गणेश मंदिर के बारे में
जयपुर सिर्फ अपने किलों, महलों और विरासत में मिले स्मारकों के लिए ही मशहूर नहीं है, बल्कि यहां एक सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध भगवान गणेश मंदिर भी है। सिर्फ जयपुर ही नहीं बल्कि देश भर से आने वाले लोगोें के मन मेें इस मंदिर के लिए खास जगह है।
यह मंदिर एक खूबसूरत महल से घिरा है जो स्काॅटलैंड के किसी महल जैसा दिखता है। इस महल में महाराजा माधो सिंह के बेटे रहते थे। यह एक निजी संपत्ति है और सैलानियों के देखने के लिए नहीं खुला है, हालांकि यहां अभिजात्य वर्ग के लिए कई पार्टियां आयोजित की जाती हैं।
यह मंदिर आधुनिक भारतीय वास्तुकला की झलक दिखाता है। इसके तीन गुंबद भारत के तीन प्रमुख धर्मों के प्रतीक हैं। यह मंदिर दो किलोमीटर के इलाके में फैला है और स्काॅटलैंड के महलों की शैली में बने एक महल से घिरा है जिसे मोती डूंगरी कहते हैं। यह मंदिर पत्थरों को नक्काशी कर बनाया गया है और इसमें पौराणिक चित्रों को संगमरमर में उकेरने का खूबसूरत काम किया हुआ है। कला प्रेमियों के लिए यह दृश्य खासा रुचिकर होता है।
यहां का मुख्य आकर्षण बैठक की मुद्रा वाले भगवान गणेश की मूर्ति है जिनकी सूंड बांई ओर है, जिसे बहुत शुभ माना जाता है। भगवान गणेश की प्रतिमा के सामने मूशक की विशाल प्रतिमा भी है जिसे भगवान गणेश की सवारी माना जाता है।
भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। कोई भी नया काम शुरु करने से पहले भक्त भगवान का आशीर्वाद चाहते हैं। हर बुधवार मंदिर में खास मेला आयोजित होता है क्योंकि भगवान गणेश बुध के देवता हैं और बुधवार का दिन हिंदू धर्म में बुध को समर्पित है। मंदिर में हर दिन सात दर्शन आयोजित होते हैं और हर दर्शन के लिए खास भजन कीर्तन किए जाते हैं।
गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी, अन्नकूट और पौश बड़ा के त्यौहार यहां का मुख्य आकर्षण हैं और इन त्यौहारों पर बड़ी संख्या में भक्त जुटते हैं।
इतिहास
कहा जाता है कि मेवाड़ के राजा अपने महल लौट रहे थे और अपने साथ भगवान गणेश की एक प्रतिमा बैलगाड़ी पर ले जा रहे थे। वो इस मूर्ति का विशाल मंदिर बनवाना चाहते थे, उन्होंने तय किया कि जहां कहीं भी यह बैलगाड़ी अपने आप रुक जाएगी वहीं वो मंदिर का निर्माण करवाएंगे।
इतिहास के अनुसार बैलगाड़ी मोती डूंगरी की तलहटी में रुकी और वहीं यह मंदिर आज भी स्थित है। इस मंदिर के निर्माण का कार्य सेठ जयराम पालीवाल को सौंपा गया और उन्होंने ही यह शानदार मंदिर बनाया। यह मंदिर सिर्फ भगवान शिव के भक्तों के लिए बनाया गया था। जिसके बाद एक महलनुमा परिसर बनाया जिसे माता डूंगरी नाम दिया गया, जिसमें यह गणेश मंदिर है।
स्थान
मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुर के बीच एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है जिसके आसपास मोती डूंगरी महल बना है।
यात्रा करने का उत्तम समय क्योंकि यहां की जलवायु गर्मियों में बहुत गर्म हो जाती है इसलिए मध्य मार्च से जून के महीनों में यहां यात्रा करने से बचना चाहिए। इस दौरान यहां तापमान 45 डिग्री तक पहुंच जाता है।
मानसून का मौसम जुलाई से शुरु होकर अगस्त के अंत तक रहता है। यहां उमस भी बहुत बढ़ जाती है जिससे इस शहर में घूमना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन यदि आप किस्मत वाले हों और अच्छी बरसात हो जाए तो आप उस समय यहां का अच्छा टूर ले सकते हैं। इस शानदार गुलाबी शहर को घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का होता है। तब मानसून खत्म हो जाता है और मौसम सुहाना हो जाता है। दिसंबर से फरवरी के बीच रात का तापमान पांच डिग्री तक गिर जाता है। इस दौरान यहां दिन का तापमान 22 डिग्री के आसपास रहता है। ऐसे समय में भारतीय विरासत की सुंदरता समेटे इस शहर में यादगार समय बिताया जा सकता है।
कैसे पहुंचंे
परिवहन के कई साधनों के द्वारा यह जयपुर शहर देश के बाकी प्रमुख हिस्सों से बहुत अच्छी तरह जुड़ा है।
दुनिया के प्रमुख शहरों में नियमित उड़ानों के साथ यह शहर प्रमुख विदेशी स्थानों से भी जुड़ा है। घरेलू हवाई अड्डे से नियमित उड़ानें आपको दिल्ली, औरंगाबाद, चैन्नई, कोलकाता, गोवा, मंुबई, बेंगलौर से जोड़ती हैं। अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें आपको दुबई, शारजाह और मस्कट तक कनेक्ट करती हैं। लंदन और डबलिन के लिए चार्टर सुविधा भी उपलब्ध है।
जयपुर से सभी प्रमुख रुट जुड़े हैं। आप दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, गोवा, बीकानेर, जोधपुर, कोलकाता, लुधियाना, कानपुर और अन्य महानगरों तक आसानी से जा सकते हैं। आप आराम और लक्जरी से भरी ’पैलेस आॅन व्हील’ लक्जरी रेल से भी यात्रा कर सकते हैं। यह रेल जीवन का यादगार अनुभव देती है।
राजस्थान राज्य परिवहन निगम डीलक्स, सेमी डीलक्स बसों के साथ आपको शानदार सेवा देता है। इसकी यह बसें नियमित अंतराल पर चलती हैं।
अंतिम संशोधन : नवम्बर 16, 2016