भारत का गुलाबी शहर जयपुर राजपूतों का तत्कालीन राज्य रहा है और इतिहास के पन्नों में इसका भरपूर उल्लेख मिलता है। अपने गौरवपूर्ण युद्ध इतिहास, लोक कथाओं और शानदार इमारतों के अलावा यहां प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण बाग भी हैं, जैसे सिसोदिया रानी का बाग।
सिसोदिया रानी का बाग सवाई माधो सिंह के उदयपुर की अपनी रानी के लिए प्रेम का प्रतीक है। इस बाग का निर्माण 1728 में हुआ था और यह तब के गुलाबी शहर के संस्थापक का अपनी प्रिय रानी को तोहफा था। इस बाग का विशाल लैंडस्केप भारतीय और मुगल वास्तुकला का मेल है और यह जयपुर राजधानी से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सुंदर बड़े लाॅन जिसमें हरे वनस्पति और मौसमी फूलों की बहार के साथ खूबसूरत फव्वारे, गैलरी, मंडप, झिलमिलाते सरोवर, करीने से छंटनी की हुई फूलों की क्यारियां और भगवान कृष्ण की कहानियां बताते विभिन्न भित्ति चित्र यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
यहां के भित्ति चित्र इस बाग की केंद्रीय थीम के मायने में एकदम सही बैठते हैं क्योंकि यह भगवान कृष्ण और राधा के बीच खिलते प्रेम को दिखाते हैं।
17वीं और 18वीं सदी में यह सुंदर बाग जयपुर की शाही युवतियों का गर्मियों का मनोरंजन स्थल था। बाग के आसपास मौजूद भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान हनुमान के मंदिर बाग के आनंद को और बढ़ाते हैं।
सिसोदिया रानी का बाग जयपुर के दक्षिण-पूर्व में स्थित एक आदर्श हराभरा स्वर्ग है और सच्चे प्रेम का प्रतीक होने के साथ साथ जयपुर का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है।
अंतिम संशोधन : नवम्बर 16, 2016