ये कायनात और ये विशाल सृष्टि इंसानों के लिए हमेशा से ही एक पहेली रही है। प्राचीन काल से ही इस कायनात ने इंसान को मोहित किया है।
इस कायनात को जानने के लिए ही कई वेधशालाएं बनाई गई हैं और जयपुर में बना जंतर मंतर उनमें से एक है। महाराजा सवाई जय सिंह की पूरे उत्तर भारत में बनवाई गई पांच वेधशालाओं में से जयपुर का जंतर मंतर सबसे बड़ा और संरक्षित है। गुलाबी शहर के जंतर मंतर में पत्थरों से कई बड़ी संरचनाएं बनाई गई हैं जो बड़े और विविध ज्यामितीय रुपों में हैं। दुनिया भर के कलाकारों, वास्तुकारों और इतिहासकारों को जंतर मंतर अपनी ओर आकर्षित करता है।
नाम की उत्पत्ति - ‘जंतर मंतर’ शब्द संस्कृत के शब्द ‘यंत्र मंत्र’ से लिया गया है जिसका अर्थ ‘उपकरण और सिद्धांत’ होता है। ‘यंत्र मंत्र’ का पूरी तरह से मतलब ‘जादुई उपकरण’ है।
स्थिति - जंतर मंतर वेधशाला राजस्थान के जयपुर में शानदार सिटी पैलेस के गेट के पास स्थित है।
इतिहास - जंतर मंतर का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। वह जयपुर के संस्थापक होने के अलावा सन् 1728 से लेकर 1734 तक आमेर के एक राजपूत राजा थे। उनके एक प्रतिष्ठित खगोलशास्त्री होने के नाते सम्राट मोहम्मद शाह ने उन्हें ग्रहों की स्थिति पर उपलब्ध खगोलीय सारणी और आंकड़ों की पुष्टि करने के लिए नियुक्त किया था। जंतर मंतर को पूरा करने में उन्हें सात साल का समय लगा। सन् 1901 में मरम्मत करके इस मशहूर वेधशाला को सन् 1948 में राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया।
विवरण - इस वेधशाला में विभिन्न ज्यामितीय प्रकार के 13 उपकरण हैं जो दिन का स्थानीय समय, ग्रहण की भविष्यवाणी और नक्षत्रों की स्थिति बताते हैं। इन उपकरणों का आकार बहुत विशाल है जिससे सटीक जानकारी मिल सके। यह उपकरण एक सेकंड के भीतर सही माप कर सकते हैं। जंतर मंतर में जयप्रकाश यंत्र, सम्राट यंत्र, राम यंत्र और एक मिश्रित यंत्र है जिसमें सूर्यघड़ी और उत्तरी दीवार पर एक भारी गोलार्द्ध शामिल है।
विशाल सम्राट जंतर एक सूर्यघड़ी है जो 90 फीट उंची और इसकी छाया ध्यानपूर्वक दिन का समय बताती है। एक छोटी गुंबददार छतरी का इस्तेमाल ग्रहण की भविष्यवाणी और मानसून के आने की जानकारी देता है।
आज के समय में भी जंतर मंतर के उपकरणों का इस्तेमाल मौसम की भविष्यवाणी, मौसम की अवधि, मानसून की तीव्रता और बाढ़ या अकाल की संभावनाओं के लिए किया जाता है। जंतर मंतर पिछले युग के ज्ञान की गवाही देने के साथ साथ यहां हर सैलानी की यात्रा का इंतजार करता है।
अंतिम संशोधन : दिसंबर 4, 2014