सिटी पैलेस जयपुर

सिटी पैलेस एक महल परिसर है। यह गुलाबी शहर जयपुर के बीच में स्थित है। इस खूबसूरत परिसर में कई इमारतें, विशाल आंगन और आकर्षक बाग हैं जो इसके राजसी इतिहास की निशानी है। इस परिसर में चंद्र महल और मुबारक महल जैसे महत्वपूर्ण भवन भी हैं। पिछले ज़माने के कीमती सामान को यहां संरक्षित किया गया है। इसके महल के छोटे से भाग को संग्रहालय और आर्ट गैलेरी में तब्दील किया गया है। इस महल की खूबसूरती को देखने के लिए सैलानी दुनिया भर से हजारों की संख्या में सिटी पैलेस में आते हैं।

इतिहास

सिटी पैलेस में कछवाह राजपूत वंश के जयपुर के महाराज का सिंहासन है। आमेर पर सन् 1699 से 1744 तक राज करने वाले महाराज सवाई जय सिंह द्वितीय ने इस महल परिसर के निर्माण की शुरुआत करवाई थी। यह परिसर कई एकड़ों में फैला है। उन्होंने पहले इस परिसर की बाहरी दीवार के निर्माण का आदेश दिया था। इसका निर्माण सन् 1729 में शुरु हुआ और इसे पूरा करने में तीन साल लगे। यह महल परिसर पूरी तरह से बनकर सन् 1732 में तैयार हुआ।

वास्तुकला
इस भव्य महल को मुगल, शिल्प शास्त्र और यूरोपीय शैली की वास्तुकला के मेल से बनाया गया है। इस महल के हर कोने में आप रंग, डिजाइन, कला और संस्कृति का सही मेल देख सकते हैं।

प्रवेश द्वार
इस परिसर की सबसे बड़ी विशेषता इसके भव्य रूप से सजाए गए दरवाजे हैं। इस परिसर में घुसने के तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं जो वीरेन्द्र पोल, उदय पोल और त्रिपोलिया गेट हैं।

दर्शकों के लिए प्रवेश उदय पोल और वीरेन्द्र पोल से होता है जबकि शाही परिवार के सदस्य त्रिपोलिया गेट का इस्तेमाल करते हैं।

मुबारक महल
इस्लामी, राजपूत और यूरोपीय निर्माण शैली के मेल से बना दो मंजिला मुबारक महल दरअसल एक स्वागत केन्द्र के तौर पर बनवाया गया था। इसे स्वागत महल के नाम से भी जाना जाता है और 19वीं शताब्दी के अंत में महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने इसे बनवाया था।

वर्तमान में एक वस्त्र संग्रहालय के तौर पर सैलानी और यात्री इसका दौरा करते हैं। यह एक प्रकार से कई प्रकार के कपड़े जैसे सांगानेरी ब्लाॅक प्रिंट, कश्मीरी पश्मीना और शाही वस्त्रों का बेहतरीन संग्रह है।

अवश्य देखें: इस संग्रहालय में रखी गई वस्तुओं में राजा सवाई माधो सिंह प्रथम के विशाल कपड़ों का संग्रह है। उनका वजन लगभग 250 किलोग्राम था और उनकी 108 पत्नियां थीं।

चंद्र महल
सात मंजिला चंद्र महल, जिसे चंद्र निवास के तौर पर भी जाना जाता है, इस परिसर के पश्चिमी छोर पर खूबसूरत बाग और झील के बीच स्थित है। इस भवन की हर मंजिल को एक नाम दिया गया है जैसे प्रीतम निवास, रंग मंदिर, सुख निवास, श्री निवास, मुकुट महल और चाबी निवास। इस भवन की दीवारों को विशिष्ट चित्रकारी, शानदार आरसी के काम और फूलों से सजाया गया है। हालांकि दर्शक केवल भूतल पर ही जा सकते हैं जहां पांडुलिपियां, कालीन और शाही खजाने की कुछ और वस्तुएं संग्रह करके रखी गई हैं।

दर्शक इस महल में एक खूबसूरत मोर फाटक से प्रवेश करते हैं। इस भवन की उपर की मंजिल में बालकनियां है और एक मंडप है जहां से शहर का मनोरम दृश्य दिखता है।

साथ ही चंद्र महल के शीर्ष पर एक झंडा है जो महल में शाही परिवार की मौजूदगी की सूचना देता है। इस झंडे का आकार जाहिर तौर पर ‘एक और एक चैथाई’ है जो कि शाही परिवार के नाम ‘सवाई’ के अनुसार है।

प्रीतम निवास चैक
चंद्र महल की ओर जाते हुए आप एक छोटे से आंगन से गुजरते हैं जो प्रीतम निवास चैक है। इस चैक के चार प्रवेश द्वार हैं जिन्हें रिद्धी सिद्धी पोल कहा जाता है और इनकी अपनी सुंदरता और खासियत है। चार दरवाजे चार मौसम का प्रतीक हैं और हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं।

यह चार द्वार हैं:

पूर्वोत्तर मोर गेट: मोर की रंगीन डिजाइन वाले यह गेट शरद ऋतु का प्रतीक हैं और भगवान विष्णु को समर्पित हैं।

दक्षिण-पश्चिम गेट: इस गेट पर बनी फूलों की डिजाइन गर्मी के मौसम का प्रतीक है और भगवान शिव-पार्वती को समर्पित है।

उत्तर-पश्चिम हरा दरवाजा: इसे लहरीया भी कहा जाता है। यह हरे रंग का दरवाजा वसंत के मौसम का प्रतीक है और भगवान गणेश को समर्पित है।

गुलाब गेट: इस दरवाजे पर खूबसूरत फूल उकेरे गए हैं और यह रंगीन गेट ठंड के मौसम का प्रतीक है और इसे देवी को समर्पित किया गया है।

दीवान-ए-खास
महाराजाओं के निजी दर्शक मंडप को दीवान-ए-खास कहा जाता था। इस कमरे को सर्वतो भद्रो भी कहा जाता था जिसका मतलब होता है चारों ओर से खुला हुआ और जिसका कोई कोना ना हो। संगमरमर के फर्श वाला यह हाॅल आर्ट गैलरी और शस्त्रागार के बीच स्थित है। इस हाॅल में 1.6 मीटर उंचे शुद्ध चांदी के बर्तन हैं जिनका घनफल 4000 लीटर और वजन 340 किलोग्राम है।

दो बड़े बर्तनों का नाम दुनिया के सबसे बड़े चांदी के बर्तन होने के कारण गिनीज बुक आफॅ वल्र्ड रिकाॅर्ड में दर्ज है। इनका निर्माण महाराजा सवाई माधो सिंह द्वितीय के आदेश पर 14000 चांदी के सिक्कों को पिघलाकर और बिना टांका लगाए किया गया था ताकि इसमें गंगा जल रखा जा सके। गंगा जल रखने के कारण इन बर्तनों का नाम गंगाजली रखा गया। इन दो बर्तनों को राजा सन् 1901 में अपने साथ इंग्लैंड ले गए थे जिससे वह वहां का पानी पीने की धार्मिक भूल ना कर सकें।

दीवान-ए-आम
दीवान-ए-आम या सभा निवास वह हाॅल है जो सार्वजनिक बैठकों और सम्मेलनों के लिए बनाया गया था और यह इस परिसर का सबसे महत्वपूर्ण भवन है। इसकी छत को कई जीवंत रंगों से रंगा गया है। हालांकि अब इस हाॅल को एक आर्ट गैलरी में बदल दिया गया है। इसमें फारसी, मुगल और राजस्थानी कला के कई उत्तम लघु चित्र प्रदर्शित हैं। इस शानदार छत के नीचे कई प्राचीन ग्रंथ, अलंकृत कालीन और लोई हैं। यहां आने वाले दर्शकों को स्वर्ण सिंहासन का दीदार भी जरुर करना चाहिए जो तख्त-ए-रावल के नाम से जाना जाता है और महाराजा इसे बैठने के लिए इस्तेमाल करते थे।

महारानी महल
जैसा कि नाम से ही पता चलता है इस महल में शाही महारानी रहती थीं। वर्तमान में इसका इस्तेमाल एक संग्रहालय के तौर पर होता है जिसमें राज वंश के अस्त्र शस्त्र प्रदर्शित हैं। इस संग्रहालय की छत कीमती पत्थरों और रत्नों से बनाई गई है।

अवश्य देखें: यदि आप इस महल का दौरा करें तो महारानी महल जाकर ‘कैंची’ ज़रूर देखें। यह उस समय का सबसे खतरनाक हथियार था इसे किसी के शरीर में घोंपने के बाद वापस खींच लिया जाता था।

बग्गी खाना
महल के परिसर में बग्गी खाना वो जगह है जहां आप शाही परिवार द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कई प्रकार पुरानी गाडि़यों, पालकियों और यूरोपीय कैब की झलक देख सकते हैं। कई गाडि़यों और वाहनों के अलावा एक यूरोपीय बग्गी भी है जो प्रिंस आॅफ वेल्स ने महाराजा को सन् 1876 में तोहफे में दी थी। यह विक्टोरिया बग्गी के नाम से मशहूर है।

गोविंद देवजी मंदिर
इस महल के परिसर में एक मंदिर है जिसका नाम गोविंद देवजी मंदिर

है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। इसका निर्माण 18वीं सदी की शुरुआत में हुआ था और इसके आसपास एक खूबसूरत बाग है। दिन में सात बार यहां भगवान की प्रार्थना की जाती है। मंदिर को इस स्थान पर बनाने का कारण यह था कि महाराज चंद्र महल में बैठे बैठे ही मंदिर को साफ साफ देख सकें।

यात्रा करने का उत्तम समय

अक्टूबर - मार्च

समय
सिटी पैलेस को सप्ताह में किसी भी दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक देखा जा सकता है, सिर्फ राजपत्रित अवकाश को छोड़कर।

प्रवेश शुल्क
विदेशियों के लिए: बच्चों के लिए 80 रुपये और वयस्कों के लिए 150 रुपये प्रति व्यक्ति।

भारतीयों के लिए: बच्चों के लिए 20 रुपये और वयस्कों के लिए 35 रुपये प्रति व्यक्ति।

राजस्थान में देखने योग्य स्थान
अल्बर्ट हॉल संग्रहालयकुम्भलगढ़ किला
आमेर किलामेहरानगढ़ किला
सिटी पैलेसरणथम्भौर नेशनल पार्क
गलताजी मंदिरसरिस्का नेशनल पार्क
हवा महलभांडेसर मंदिर
जंतर मंतररानी सती मंदिर


अंतिम संशोधन : दिसंबर 4, 2014