मेहरानगढ़ किला भारत का विशाल और शानदार किला है जो 150 मीटर उंची पहाड़ी पर स्थित है। यह किला राजस्थान में जोधपुर से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इतिहास - इस किले का निर्माण सन् 1459 में राव जोधा ने किया था जब उन्होंने अपनी राजधानी स्थानांतरित की थी। गुजरते समय के साथ साथ इसमें जोधपुर के अन्य शासकों ने कई इज़ाफ़े किए। किले के दूसरे दरवाजे पर आज भी पिछले युद्धों के दौरान बने तोप के गोलों के निशान मौजूद हैं। अंतिम संस्कार स्थल पर आज भी सिंदूर के घोल और चांदी की पतली वरक से बने हथेलियों के निशान पर्यटकों को उन राजकुमारियों और रानियों की याद दिलाते हैं जिन्होंने अपने पतियों के लिए जौहर या आत्मदाह किया था।
विवरण - यह किला 68 फीट चैड़ा और 117 फीट उंचा है जिससे आसपास के मैदानी इलाके को साफ तौर पर देखा जा सकता है। इस किले के सात दरवाजे हैं और इनमें सबसे मशहूर ‘जय पोल’ है। इस दरवाजे का निर्माण महाराजा मान सिंह ने जयपुर और बीकानेर की सेना पर विजय पाने के बाद करवाया था। एक अन्य दरवाजे ‘फतेह पोल’ को महाराजा अजीत सिंह ने मुगलों को पराजित करने के बाद बनवाया था। इसके आगे बरामदे में हथेलियों के निशान हैं जो चिता के स्थान की ओर जाते हैं। बाईं ओर किरत सिंह सोडा की छतरी है। सोडा की मौत आमेर सेना से किले की रक्षा करते हुए हो गई थी। यह शानदार स्मारक जोधपुर के राठौड़ राजाओं की वीरता और निर्भयता की गवाही देता है।
मेहरानगढ़ किले में लगे आकर्षक बलुआ पत्थर जोधपुर के कारीगरों की शानदार शिल्पकारी का प्रदर्शन करते हैं। मेहरानगढ़ किले में भव्य महल भी हैं, जैसे मोती महल। इसमें ‘श्रीनगर चैकी’ नाम का जोधपुर का सिंहासन भी है। फूल महल की छत पर सोने का महीन काम किया हुआ है। इसके अलावा यहां रंग महल और चंदन महल भी हैं। अन्य भवनों में उम्मेद विला जिसमें राजपूत लघु चित्र, अजीत विला जिसमें संगीत यंत्र और शाही वस्त्र प्रदर्शित हैं तथा मान विला आदि हैं।
वर्तमान में किले में मेहरानगढ़ किला संग्रहालय भी है जिसमें महल के अच्छी तरह सजाए हुए कमरे और विला हैं, जहां शाही पालकी, लघु चित्र, फर्नीचर और ऐतिहासिक शस्त्रागार आदि हैं।
अंतिम संशोधन : दिसंबर 4, 2014