पंजाब में ड्रग (नशीली दवा) माफिया और तस्करी के रास्ते
पंजाब एक काफी सशक्त राज्य है, लेकिन इसका विकास कई सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं के कारण अवरुद्ध हो गया है, जिससे यहाँ के लोगों को काफी मुसीबतों का सामना भी करना पड़ रहा है। 80 के दशक में, पंजाब का विकास खालिस्तान आंदोलन के कारण काफी बाधित हुआ था, राज्य उस आंदोलन के आघातों से उभर ही पाया था, लेकिन जल्द ही पूरा राज्य शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग से ग्रसित हो गया। सभी सामाजिक क्षेत्रों और आयु समूहों से संबंधित पुरुष और महिलाएं इससे पीड़ित हैं।
अवैध नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि यह शहरी और ग्रामीण दोनों के युवाओं के बीच एक गंभीर समस्या के रूप में उभर कर सामने आई है। इससे पहले कुल्लू-मनाली और गोवा जैसे प्रमुख लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर नशीली दवाओं (ड्रग्स) की उपलब्धता और खपत देखी गयी, लेकिन पंजाब अब इन जगहों से सबसे आगे है और पंजाब अब सबसे अधिक नशीली दवाओं का उपभोग करने वाले राज्यों में शीर्ष पर है।
तरण तारण जिले के ग्रामीण इलाकों में नशीली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों की तादात काफी अधिक है, जबकि पंजाब के अमृतसर के शहरी इलाकों में नशीली दवाओं का सेवन करने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। सीमा क्षेत्रों में 15 से 25 वर्ष की आयु वाले 75 प्रतिशत से ज्यादा लोग नशीली दवाओं का भारी तादात में सेवन कर रहे हैं, जबकि इसका सेवन करने वाले शेष लोगों की आयु 35 से 60 वर्ष है।
कई वर्षों से ड्रग माफियाओं ने नशीली दवाओं का बहुत व्यापक रूप से विस्तार किया है और राजनेता, पुलिस और नौकरशाह अपने लाभ के लिए, इस व्यवसाय को करने वाले ड्रग माफियाओं की सहायता और उन्हे संरक्षण प्रदान करते हैं।
अवैध दवाओं का व्यापार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है, जहाँ स्कूल के युवा लड़के व लगभग बारह वर्ष के लड़के इन नशीली दवाओं का वितरण कर रहे हैं। सरकार को छोड़कर, इस व्यापार के आपूर्ति श्रृंखला से लाभान्वित होने वाले लोग जितना कमाते नहीं हैं, उससे अधिक लोग नशीली दवाओं के आदी हो जाते हैं। गैर कानूनी नशीली दवाओं में हेरोइन, अफीम, कोकेन, भांग, चरस, गाँजा और मेथम्फेटामाइन आदि शामिल हैं।
मुनाफे वाला रास्ता-
इस अवैध व्यापार का फलने-फूलने का मुख्य कारण यह है कि मुख्य रूप से अपूर्ति श्रृंखला पर कड़ी-जाँच प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही और अपूर्ति श्रृंखला द्वारा की जाने वाली माँग और लाभ जोखिम से कहीं ज्यादा है। तस्करी के रूप में 1 किलो हेरोइन की अफगानिस्तान से पाकिस्तान में कीमत लगभग 1 लाख रुपये है और पंजाब के माध्यम से भारत में यह नशीली दवा यात्रियों द्वारा लाई जाती है और पंजाब में इसी 1 किलो हेरोइन की कीमत 30 से 35 लाख रुपये है। यह नशीली दवा भारत के अन्य हिस्सों में 1 करोड़ रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से भी बेची जाती है और फिर भारत के तस्करों द्वारा इसे अन्य देशों में 4 से 5 करोड़ रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता है।
सभी प्रकार की नशीली दवाओं का उपभोग करने के कारण पंजाब एक संक्रमित राज्य की श्रेणी में आ गया है और आपूर्ति श्रृंखला को नशीली दवाइयों को प्रदान करके लाभ कमाने वाले लोग राज्य को दूषित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सबस्टेंस एक्ट 1985 (एनडीपीएस एक्ट) के तहत पूरे भारत में जितने मामले पंजीकृत हैं, उनमें नियमित वृद्धि देखी गई है।
भारत में वर्ष 2014 में 46,923 मामले दर्ज किए गए थे और वर्ष 2004 में इस तरह के मामलों में 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। उपरोक्त में पंजाब के मामलों की संख्या 14,483 थी। इस प्रकार एनडीपीएस अधिनियम के तहत महाराष्ट्र के दर्ज किए गए 14,622 मामलों की सबसे अधिक संख्या के बाद दूसरा नंबर पंजाब का है। हालाँकि, व्यापक रूप से इन अवैध नशीली दवाओं के प्रसार का उपभोग होने के कारण यह संभावना की जाती है कि अवैध नशीली दवाओं के उपभोक्ताओं की संख्या पंजाब में सबसे अधिक है।
व्यापार के सामान्य रूप से नए-नए रास्तों का जन्म
यह सभी जानते हैं कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी का एक प्रमुख पारगमन बिंदु रही है। चूँकि पंजाब पाकिस्तान की बड़ी सीमा को साझा करता है और पाकिस्तान इसके जरिए 80 के दशक से हथियारों की तस्करी कर रहा था, लेकिन अब नशीली दवाओं की तस्करी कर रहा है। राज्य में इसकी आपूर्ति के बढ़ने के कारण काफी लोग इसके आदी हो गए हैं और इसके साथ तस्कर काफी लाभान्वित हो रहे हैं।
हेरोइन और कोकेन जैसी बहुमूल्य नशीली दवाएं पाकिस्तान से पंजाब में लाई जाती हैं और स्थानीय माँगों को पूरा करने के बाद, कुल्लू-मनाली व गोवा जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर इन दवाओं की पूर्ति की जाती है।
राज्य और केंद्र सरकार दोनों इस समस्या से अवगत है और देश में नशीली दवाओं के प्रवेश को नियंत्रित और अवरुद्ध करने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
भारतीय जमीन पर सीमा-पार होने वाले आतंकवादी हमलों की पृष्ठभूमि में, भारतीय अर्धसैनिक बलों ने पंजाब पुलिस के साथ सीमा पर अपनी सतर्कता बढ़ा दी है, जिसके परिणाम स्वरूप पाकिस्तान से आने वाली नशीली दवाओं का प्रवाह काफी थम गया है।
लेकिन सुप्रसिद्ध ड्रग्स माफिया ने अपूर्ति के लिए नए रास्तों को अपनाया है। पूर्व में, म्यांमार और बांग्लादेश से भारत में नशीली दवाओं को लाया जा रहा है और यहाँ से अन्य देशों को भेजा जा रहा है।
राजस्थान भी नशीली दवाइयों की गिरफ्त में
भारत-पाकिस्तान सीमा के माध्यम से नशीली दवाइयों की अपूर्ति करने में मुश्किल हो रही है, अब दवाएं विभिन्न वैकल्पिक भूमि और रेल मार्गों के माध्यम से पंजाब में भेजी जा रही हैं। पंजाब जाने वाला रेल मार्ग राजस्थान होते हुए निकलता है, इसलिए राजस्थान राज्य के लोग भी इन दवाइयों के शिकार हो रहे हैं।
भारत में अंतरराष्ट्रीय दवाओं की तस्करी के अलावा, मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर दवाओं की बढ़ोत्तरी के साथ-साथ अवैध रूप से संसोधित प्रमुख स्रोत व आपूर्ति के एक संकेतक के रूप में उभरे हैं। भारत का मध्य प्रदेश कानूनी तौर पर स्वीकृत अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक है, जहाँ पर हेरोइन की फसलों की अधिकता है। अफीम के अलावा, भांग की भी खेती की जाती है और इसकी काफी माँग भी है। दुर्भाग्य से, अफीम और भांग की खेती अवैध रूप से की जाती है और पंजाब के माध्यम से राजस्थान में भी इनका प्रसार किया जा रहा है, जिसके कारण राजस्थान एक प्रमुख पारगमन (नशीली दवाओं का उपयोगकर्ता) राज्य में तब्दील हो रहा है।
अभी हाल ही में, अजमेर पुलिस ने तीन लोगों को अनुमानित 2 लाख रुपये व 80 किलोग्राम अफीम के साथ गिरफ्तार किया था। पूछताछ से पता चला कि भेजा हुआ माल मध्य प्रदेश से आया था और वह चित्तौड़गढ़ के माध्यम से पंजाब की सड़क पर ले जाया जा रहा था।
रेलवे पुलिस को उन नशीली दवाओं को भी जब्त करने में सफलता मिली है, जिन्हें ट्रेनों के माध्यम से ले जाया जा रहा था। मार्च में ही, जीआरपी ने 132 किलोग्राम भांग और 12 किलोग्राम अफीम जब्त की है। यह केवल पंजाब में खपत होने वाली नशीली दवाओं की तुलना में एक छोटा अंश है। पिछले 10 वर्षों में पंजाब में हेरोइन की खपत में 50 गुना वृद्धि हुई है, जो स्थानीय क्षेत्रों में इसकी माँग में वृद्धि का संकेत करती हैं।
जागरूक होने का समय
पंजाब अवैध नशीली दवाओं के व्यापार का कारोबार करने के कारण काफी प्रभावित हुआ है और इस समय राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर पारगमन को अवरुद्ध करने लिए न सिर्फ अधिक सक्रिय रूप से काम किया है बल्कि इसके व्यापार से जुड़े सभी लोगों चाहें वह किसी भी पद पर हों, उनको गिरफ्तार करने और उन्हें दंडित करने का भी निर्णय लिया है।
यह पंजाब के लोगों के लिए जागरूक होने और सुधार करने का समय है।