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मूवी रिव्यूः बाजार

October 27, 2018
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मूवी रिव्यूः बाजार

निर्देशक – गौरव के चावला

निर्माता – निखिल आडवाणी, वायाकॉम 18 मोशन पिक्चर्स, क्यटा प्रोडक्शंस, एम्मे एंटरटेनमेंट, बी 4 यू मूवीज़

पटकथा – निखिल आडवाणी, परवेज शेख, असीम अरोड़ा

कालाकारसैफ अली खान, राधिका आप्टे, चित्रांगदा सिंह, डेनिल स्मिथ, रोहन मेहरा

संगीत– तनिष्क बागची, यो यो हनी सिंह, कनिका कपूर, सोहेल सेन, बिलाल सईद

छायांकन – स्वप्निल सोनवणे

संपादक – माहिर ज़वेरी, अर्जुन श्रीवास्तव

फिल्म कथानकः फिल्म की कहानी शुरू होती है एक ऐसे दृश्य से जिसमें एक लड़का रिज़वान अहमद (रोहन मेहरा) छत पर खड़ा है। वह पसीने से लथपथ है और वास्तव में बहुत ही कमजोर दिख रहा है। इलाहाबाद का रहने वाला यह लड़का भी शेयर ब्रोकर बनकर आसमान छूना चाहता है। इसके बाद फिल्म में एंट्री होती है शकुन कोठारी (सैफ अली खान) की जो प्रार्थना करते हुए कहता है कि “मिच्छामी दुक्कड़म”– अर्थात जो भी बुरा किया गया है वो फल रहित हो। रिजवान अहमद, शकुन कोठारी (सैफ अली खान) को अपना आदर्श मानता है। इसके बाद कहानी आगे बढ़ती है और एक फ्लैशबैक में पहुंच जाती है, जहाँ पर एक लड़का रिजवान, जो एक छोटे से शहर में रह रहा होता है, के ख्बाब बहुत बड़े होते हैं। वह टिकट बुक कराता है और मुंबई चला जाता है। इसलिए फिल्म के मुख्य पात्रों को मूल रूप से फिल्म के शुरुआती दृश्यों में दिखाया जाता है। फिल्म की कहानी पूरी तरह से रिजवान, जो मुंबई शहर में अपनी मौजूदगी महसूस करने का इरादा रखता है और सूरत के एक छोटे से शहर का एक लड़का शकुन कोठारी जो कि खुद को शेयर बाजार का किंग मानता है, के ईर्द-गिर्द घूमती है। इस फिल्‍म की कहानी सपनों, लालच, धोखा, नुकसान और उसकी भरपाई पर आधारित है।।

मूवी रिव्यु: फिल्म काफी निराशाजनक है और इसकी कथा गैर-रैखिक है। बाजार में थ्रिलर और थीम दोनों हैं, लेकिन इन्हें ग्रिप करने वाली सेटिंग की कमी है, जिससे यह फिल्म दोनों बिंदुओं पर थकाऊ बन जाती है और एक ही दृश्य को कई बार दिखाया जाता है। फिल्म का पहला हॉफ बेहद धीमा है। हालांकि, दूसरे हॉफ में रोमांच का अनुभव किया जा सकता है। पूरी फिल्म शेयर बाजार के शब्दजाल का एक बड़ा हिस्सा उपयोग करती है और अंदरूनी व्यापार और वित्तीय हेरफेर जैसे कई जटिल विचारों को भी प्रदर्शित करती है जो इसे एक अच्छी फिल्म बनाती है। लेकिन फिल्म में अधिक भीड़-भाड़ और सत्ता की लड़ाई इसे काफी थकाऊ बनाती है।

अपने करियर की शुरुआत कर रहे रोहन मेहरा ने फिल्म में काफी मेहनत की है। लेकिन सैफ अली खान ने उन्हें प्रभावित किया है। वह पूरे दृश्य में शानदार दिखाई देते हैं। मेहरा की प्रेमिका के रूप में राधिका आप्टे ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है। चित्रांगदा फिल्म में अज्ञात हैं।

हमारा फैसला: फिल्म बाजार हमें मीडिया कुशलता, अंदरूनी प्रशिक्षण और राजनीतिक सामग्रियों से अवगत कराती है। फिल्म स्टॉक एक्सचेंज की बुरी दुनिया में गहरा गोता लगाती है। इसलिए इस फिल्म को तभी देखने जाएं जब आप व्यवसायी हों अन्यथा यह फिल्म एक बार देखने लायक है।

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