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भारत में हुए शीर्ष 10 आतंकवादी हमले

July 6, 2018
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भारत में हुए शीर्ष 10 आतंकवादी हमले

यहाँ पर ऐसे आतंकवादी हमलों की एक सूची है जिन्होंने भारत को हिलाकर रख दिया

26/11 आतंकी हमला-

भारत में सबसे खतरनाक आतंकवादी हमला नवंबर 2008 को हुआ था, जब 10 आतंकवादियों ने रिहाई के लिए भारत की वाणिज्यिक राजधानी को चार दिनों तक अपनी हिरासत में ले लिया था। यह नरसंहार 26 तारीख को हुआ था, जब आतंकवादी समुद्र के माध्यम से देश में प्रवेश करने में सफल हुए थे और यह खूनी खेल पहले हुए हमलों से काफी भिन्न था। इस हमले में आतंकवादियों ने गोली बारी के साथ-साथ कुछ बम विस्फोट भी किए थे। आतंकवादियों ने नरीमन हाउस, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट और ताज होटल जैसे महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने मुंबई के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों के साथ-साथ सभी महत्वपूर्ण स्थानों जैसे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मेट्रोसिनेमा, लियोपोल्ड कैफे, टाइम्स ऑफ इंडिया के कार्यालय और कामा अस्पताल पर भी निशाना साधा था। संयोग से इन स्थानों पर ज्यादातर विदेशी यात्री दौरे पर आए हुए थे, जो कि आतंकवादियों के निशाने पर थे।

उन आतंकवादियों में से केवल एक अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था और बाकी अन्य आतंकवादी एनएसजी कमांडो और पुलिस अधिकारियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। बिना किसी संदेह की छाया के यह सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था, जिसे भारत हमेशा याद रखेगा। इस हमले की साजिश हाफिज सईद ने की थी, जो पाकिस्तान और लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख भारत विरोधी आतंकवादी था और इसके लोगों ने पूरे हमले को अंजाम दिया। इस हमले में कुल 166 लोग मारे गए थे और 293 लोग घायल हुए थे। इस हमले में मरने वालों की संख्या और घायलों की संख्या में विदेशी नागरिकों के साथ-साथ भारतीय नागरिक, पुलिस अधिकारी और सुरक्षा-कर्मी भी शामिल थे।

मुंबई सीरियल बम विस्फोट-

बदमाशों और आतंकवादियों जैसे आपराधिक तत्वों का मुंबई हमेशा पसंदीदा स्थान रहा है। 12 मार्च 1993 को, सिलसिले वार बम विस्फोटों ने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया था। विस्फोटों के झटकों को भारत के आसपास के शहरों में भी महसूस किया जा सकता था। इन योजना बद्ध सीरियल बम विस्फोटों को, भारत में हुए सबसे खतरनाक बम विस्फोटों में से एक माना जाता है। डी-कंपनी नाम से संगठित अपराध के अंतर्राष्ट्रीय सिंडिकेट को चलाने वाले दाऊद  इब्राहिम ने इन हमलों का आयोजन किया था, जो निम्नलिखित स्थानों पर हुए थे-

  • मछुआरों की कॉलोनी, माहिमकॉजवे
  • सहारा हवाई अड्डा
  • जवेरी बाजार
  • एयर इंडिया बिल्डिंग
  • प्लाजा सिनेमा
  • होटल जुहू सेंटर
  • सेंचुरी बाजार
  • वर्ली
  • झावेरी बाजार
  • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग
  • होटल सीरॉक
  • पासपोर्ट कार्यालय

ऐसा माना जाता है कि भारत और पाकिस्तान के कई तस्करों ने भी इन आतंकवादी हमलों के लिए आर्थिक रूप से योगदान दिया था। भारत ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस पर हमलों के मास्टरमाइंड होने का आरोप लगाया है। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात आतंकवादियों की भर्ती करता है और फिर उनको प्रशिक्षित करता है। इस हमले में 257 लोगों ने अपनी जान गवा दी थी और 713 लोग घायल हो गए थे।

अक्षर धाम मंदिर पर हमला-

24 सितंबर 2002 को, अहमदाबाद के अक्षर धाम मंदिर पर अशरफ अली मोहम्मद फारूक और मुर्तजा हाफिज यासीन ने हमला किया था। वह आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा संगठनों के सदस्य थे। उस दिन, उन लोगों ने लगभग 3 बजे मंदिर में प्रवेश किया तथा उनके हाथों में हथ गोले और स्वचालित हथियार भी थे। जल्द ही उन्होंने अंधा-धुँध गोली बारी शुरू कर दी। एनएसजी कमांडो रात में उन दोनों को मारने में सक्षम हुए। बाद में अधिकारियों को एक पत्र मिला जिसमें यह लिखा था कि यह हमला वर्ष 2002 में हुए गुजरात दंगों का एक प्रतिशोध है। इस घटना में लगभग 80 लोग घायल हुए थे और 31 लोगों की मौत हो गई थी।

दिल्ली सीरियल बम विस्फोट-

29 अक्टूबर 2005 को,  दीवाली से कुछ दिन पहले होने वाले तीन बम विस्फोटों ने राष्ट्रीय राजधानी को हिला कर रख दिया था। पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन वाले इस्लामी क्रांतिकारी मोर्चे ने इन विस्फोटों का आयोजन किया था। पहाड़ गंज और सरोजिनी नगर के साथ-साथ शहर के मुख्य बाजार वाले इलाकों में कुछ बम विस्फोट हुए थे और तीसरा विस्फोट गोविंद पुरी में एक बस के अंदर हुआ था। यात्रियों और कंडक्टर की जागरूकता के कारण बस में हुए विस्फोट से ज्यादा लोग आहत नहीं हुए थे, क्योंकि एक संदिग्ध बैग को देखने के तुरंत बाद, उन्होंने बस को खाली करवाना शुरू कर दिया, जिसके कारण वहाँ के लोग विस्फोट से ज्यादा प्रभावित नहीं हुए थे। हालांकि, बाजारों में स्थिति गंभीर थी, क्यों कि धनतेरस का समय था, इसलिए वहाँ बहुत से लोग थे, जिसके कारण उस विस्फोट में 210 लोग घायल हो गए थे और 63 लोगों की मृत्यु हो गई थी।

मुंबई रेल बम विस्फोट-

11 जुलाई 2006 को मुंबई की स्थानीय ट्रेनों में सात बम विस्फोट हुए थे। प्रेशर कूकर के अंदर ट्रेनों के प्रथम श्रेणी के डिब्बों में बम रखे गए थे। विस्फोटों की जाँच से पता चला है कि विस्फोटों के लिए एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन जिम्मेदार था। यह विस्फोट निम्नलिखित उपनगरीय रेलवे स्टेशनों में या उनके निकट हुए थे:

  • माटुंगा रोड
  • जोगेश्वरी
  • माहिम
  • भायंदर
  • बांद्रा
  • बोरीवली
  • खाररोड

वर्ष 1993 के विस्फोटों के बाद, यह मुंबई के सबसे घातक विस्फोट थे। दावा किया जाता है कि इस हमले में 715 लोग घायल हुए थे और लगभग 210 लोगों की मृत्यु हो गई थी।

जयपुर बम विस्फोट-

13 मई 2008 को, लगातार 15 मिनट में हुए नौ बम विस्फोटों से पूरे जयपुर में सदमें की लहर दौड़ गई थी। अधिकारी 10 वें बम को ढूँढने और निरस्त्र करने में सक्षम रहे। यह हादसा एक प्रकार से आँख खोलने वाला था, क्योंकि इससे पहले यह शहर कभी भी आतंकवाद का निशाना नहीं बना था। जयपुर देश के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। एक बम विस्फोट हवा महल के आसपास हुआ था। पुलिस की जाँच में हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी, लश्कर-ए-तैयबा और छात्र इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया जैसे कई इस्लामी आतंकवादी संगठनों की संभावित भागीदारी का पता चला है। अधिकारियों का यह भी कहना है कि अल-कायदा भी इस मामले में शामिल हो सकता है। जयपुर के निम्न छह स्थानों पर बम विस्फोट हुए थे।

  • बड़ी चौपड़
  • त्रिपोलिया बाजार
  • माणक चौक पुलिस स्टेशन एरिया
  • छोटी चौपड़
  • जौहरी बाजार
  • कोतवाली एरिया

आतंकवादियों ने विचार करके विस्फोटों की योजना बनाई थी कि जब लोग होने वाले बम धमाके से एक सुरक्षित स्थान की तरफ दौड़े, तो वहाँ पर भी विस्फोट हो। उन विस्फोटों में 63 लोगों की मृत्यु हुई थी और 210 लोग घायल हुए थे।

असम बम विस्फोट-

30 अक्टूबर 2008 को असम में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों से भारत को अत्याधिक हानि हुई थी। असम की राजधानी गुवाहाटी इस बार निशाने पर थी। शहर के विभिन्न हिस्सों में 18 विस्फोट हुए थे, जिसमें लगभग 81 लोग मारे गए थे और 470 लोग घायल हुए थे। बम धमाकों से बार पेटा रोड, कोकराझार और बोंगई गांव जैसे कुछ प्रमुख क्षेत्र प्रभावित हुए थे। शहर के मुख्य बाजार में उस वक्त धमाके हुए, जब वहाँ पर भारी भीड़ थी। इन बम धमाकों के पीछे किसका हाथ है, इसका उचित रूप से खुलासा नहीं हो पाया था, परंतु अधिकारियों का कहना है कि इसमें नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) का हाथ था। वास्तव में, तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सेना ने एक संदेश भेजकर यह बताया था कि आतंकवादियों द्वारा गुवाहाटी पर हमला करने की योजना बनाई जा रही है। यह संदेश कोलकाता से आया था और अधिकारियों ने इस हमले को रोकने के लिए छह महीने तक कोशिश भी की थी, लेकिन वह इन हमलों को रोकने में सफल नहीं हो पाए थे।

भारतीय संसद पर हमला-

भारतीय संसद को पूरे देश में सबसे सुरक्षित स्थान माना जाता है। हालांकि, 13 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तय्यबा के पाँच आतंकवादियों द्वारा यह भवन हमले का शिकार हुआ था। संसद परिसर के अंदर मौजूद सुरक्षा-कर्मी आतंकवादियों को मारकर बड़े नुकसान को रोकने में सक्षम हो गए थे, नहीं तो वह मुख्य इमारत को ध्वस्त कर सकते थे। हांलाकि यह हमला ऐसा है, जिसे कभी भी इतिहास के पन्नों से मिटाया नहीं जा सकता है। उन्होंने वहाँ प्रवेश पाने के लिए नकली स्टिकर्स का इस्तेमाल किया था। हालांकि, जब वे उपराष्ट्रपति के काफिले के करीब पहुँच गए, तब वे अपनी कारों से उतरे और गोली-बारी तथा हथ गोले फेंकने शुरू कर दिए। यह पूरा कारनामा कई घंटों तक चला। उस समय संसद भवन में लगभग 100 राजनैतिक चेहरे जैसे हरीन पाठक, तत्कालीन रक्षा मंत्री और लालकृष्ण आडवाणी भी मौजूद थे। इस हमले में तीन संसद सदस्य और छह पुलिस अधिकारी मारे गए थे।

कोयंबटूर बम विस्फोट-

1998 में वेलेंटाइन डे के दिन अल उम्माह नाम के एक इस्लामी कट्टरपंथी संगठन ने दक्षिण भारतीय शहर कोयम्बटूर के 11 अलग-अलग स्थानों पर 12 बम विस्फोट किए थे। इस हमले का मुख्य लक्ष्य लालकृष्ण आडवाणी थे, जो उस समय एक चुनाव सभा में भाग लेने के लिए शहर में आए थे। ज्यादातर बम विस्फोट उन स्थानों पर हुए, जहाँ पर अधिक संख्या में हिंदू निवास करते थे और वह ही मुख्य रूप से इन विस्फोटों का शिकार हुए थे। आतंकवादी शहर में सामंजस्यपूर्ण हालात के साथ-साथ व्यावसायिक प्रगति को भी बाधित करने में कामयाब हुए थे। इन बम विस्फोटों में 60 लोग मारे गए थे और कम से कम 200 लोग घायल हुए थे।

जम्मू और कश्मीर विधायी विधानसभा हमला

2001 अक्टूबर के पहले दिन, जैश-ए-मोहम्मद संगठन के कई आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर की विधान सभा पर हमला किया था। श्रीनगर की विधान सभा को तबाह करने के लिए परिसर में तीन आत्मघाती हमलावर और एक कार बम का इस्तेमाल किया गया था। इस हमले में तीन आत्मघाती हमलावर और 38 अन्य लोगों की मौत हुई थी।