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मूवी रिव्यूः अय्यारी

February 17, 2018
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मूवी रिव्यूः अय्यारी

कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, मनोज बाजपेयी, राकुल प्रीत सिंह, पूजा चोपड़ा, आदिल हुसैन, कुमुद मिश्रा, नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर

निर्देशक: नीरज पांडे

प्रोड्यूसरः शीतल भाटिया, धवल गादा, जयंतलाल गादा, करण शाह, मोशन पिक्चर कैपिटल

प्रोडक्शन हाउस: मोशन पिक्चर कैपिटल, फ्राइडे फ़िल्म वर्क्स, पेन इंडिया लिमिटेड, प्लान सी स्टूडियोज

लेखक: नीरज पांडे

सिनेमेटोग्राफी: सुधीर पालसेन

संगीत: रोचक कोहली, अंकित तिवारी

शैली: थ्रिलर

कथानक: अय्यारी, जिसका अर्थ है ऐसा जासूस जो रूप बदलने में माहिर होता है, एक रोमांचक फिल्म “कैच मी इफ यू कैन” की तरह ही दिखाई गई है। यह फिल्म दो लोगों के बीच की दौड़ के आस-पास घूमती है जो देश में रक्षा कार्यक्रमों की बारीकियों को समझते हैं। फिल्म का मुख्य कथानक युवा मेजर के बारे में है जो देश के रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार की सीमा को महसूस करने के बाद भ्रमित हो जाते हैं और कुछ पैसे कमाने के बारे में सोचने लगते हैं, लेकिन उनके अफसर उन्हें ऐसा करने के लिए रोकने की कोशिश करते हैं। फिल्म में कुछ ट्विस्ट और टर्न हैं जो कि बिल्ली और चूहे की दौड़ के इस गेम को अधिक मनोरंजक बनाने के लिए पेश किए गए हैं लेकिन लंबा खींचने और त्रुटि पूर्ण स्क्रिप्ट के कारण इस फिल्म का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया है।

फिल्म में मनोज बाजपेयी एक शानदार सुरक्षात्मक शूरवीर के रूप में उभर कर सामने आए हैं और वास्तव में इन्होंने इस फिल्म में कर्नल अभय सिंह की भूमिका के रूप में उम्दा अभिनय किया है। फिल्म अय्यारी में, बाजपेयी, एवलेट मेजर जय बख्शी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) के गुरु हैं। वे भारतीय सेना के सैन्य खुफिया की एक विशेष ईकाई का हिस्सा हैं। दोनों सिपाहियों के आपस में घनिष्ट संबंध हैं और एक-दूसरे से बहुत प्यार भी है लेकिन उनकी विचारधाराएं अलग हैं जो फिल्म की बड़ी कहानी को आगे ले जाती है। यह फिल्म सेना के अंदर हो रहे भ्रष्टाचार, घोटाले के रंग और गद्दारी जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे युवा ग्रस्त हैं, लेकिन लंबी कहानी को कम समय में दिखाने के कारण गंभीर मुद्दों को ठीक से संबोधित नहीं किया गया है। फिल्म पुरुष प्रधान है लेकिन राकुल प्रीत सिंह, जिसे आईटी विजार्ड के रूप में पेश किया गया है, को फिल्म में एक शोपीस के रूप में  स्थान दिया गया है।

मूवी रिव्यूः नीरज पांडे द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्म अय्यारी, एक ऐसी कहानी है जिसमें भारतीय सेना के अंदर होने वाले भ्रष्टाचार के मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है जिसमें हथियारों की अवैध आपूर्ति भी शामिल है। पांडे ने “ए वेडनेसडे, स्पेशल 26, बेबी” जैसी कई अद्भुत फिल्मों का निर्देशन करके थ्रिलर शैली में एक बेंचमार्क सेट किया है। वह कन्टेन्ट-बेस्ड फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं और इस फिल्म में भी बहुत ही खूबसूरती के साथ इसका वर्णन किया गया है। फिल्म में कुछ दृश्य है जैसे कि एक दृश्य में कर्नल अभय, जय को कश्मीर मुद्दे के बारे में बताते हैं और इसे “एक उद्योग” कहकर सम्बोधित कर रहे है। हालांकि, अय्यारी निराशाजनक प्रतीत हो रही है क्योंकि फिल्म का निष्पादन उसके पात्रों के रूप में उल्लेखनीय नहीं है। पटकथा में कुछ कमजोर बिंदु हैं और यह फिल्म उनकी पिछली फिल्मों की तरह उतनी अच्छी नहीं है।

हमारा फैसला: यदि आप रोमांटिक ड्रामा देखने के विचार के साथ अय्यारी देखने जा रहे हैं तो यह फिल्म निश्चित रूप से आपको निराश करने वाली है। यह फिल्म दर्शकों को पाँच मिनट से ज्यादा बाँधकर नहीं रख सकती, क्योंकि फिल्म में धीमी गति वाले दृश्य और कई त्रुटियाँ हैं। लंबी अवधि के कारण, यह फिल्म अपने लक्ष्यित संदेश बताने में विफल रही है।