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मूवी रिव्यू – सोनू के टीटू की स्वीटी

February 24, 2018
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कलाकार: कार्तिक आर्यन, नुशरत भरूचा, सनी सिंह

निर्देशक: लव रंजन

प्रोड्यूसर: भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, लव रंजन, अंकुर गर्ग

प्रोडक्शन कंपनी: टी-सीरीज

लेखक: राहुल मोदी, लव रंजन

सिनेमेटोग्राफी: सुधीर के. चौधरी

संगीत: रोचक कोहली, यो यो हनी सिंह, अमाल मलिक, जैक नाइट, सौरभ – वैभव, गुरु रंधवा, रजत नागपाल

शैली: रोमांटिक कॉमेडी

कथानकः फिल्म “सोनू के टीटू की स्वीटी” दो मुख्य पात्रों सोनू और टीटू के बीच एक तरह के मजाकिया ब्रामोन्स पर आधारित है। लव रंजन ने सोनू और टीटू के प्यार को ध्यान में रखते हुए इस हेटेरोसेक्सुअल रोमांस को पर्दे पर बहुत ही शानदार ढंग से उतारा है। फिल्म का विषय “ब्रोमेंन्स बनाम रोमांस” के रूप में सेट किया गया है जो आज के युवाओं के वास्तविक जीवन की हकीकत है इसलिए यह फिल्म युवाओं के लिए बेहद आकर्षक है। कार्तिक आर्यन द्वारा किया गया सोनू का किरदार फिल्म में शानदार दिखाई देता है क्योंकि यह वही है जो अपने दोस्त टीटू (सनी सिंह द्वारा निभाई गई भूमिका) को भाई की तरह प्यार करता है और हमेशा उसकी रक्षा करता है तथा उन सभी से टीटू को बचाता है जो चालाकी से टीटू को फंसाना चाहते हैं। सोनू अपने दोस्त टीटू को गलत लड़की के प्यार में फंसने से भी बचाता है।

मूवी रिव्यू

फिल्म “सोनू के टीटू की स्वीटी” तीन पात्रों सोनू, टीटू और उसकी स्वीटी (नुशरत भरूचा द्वारा निभाया गया किरदार) के चारों ओर घूमती है। सोनू और टीटू बचपन के दोस्त हैं जो हमेशा से एक-दूसरे के साथ रहे हैं। वे बचपन से एक ही परिवार में एक ही छत के नीचे रहते हैं और साथ बैठकर शराब पीते हैं। वे इतने करीबी दोस्त हैं कि सोनू, टीटू की माँ बनकर टीटू को फोन करता है, जो लेखक द्वारा उनके बीच के प्यार की गहराई को उजागर करने के उद्देश्य से इस फिल्म में दिखाया गया है।

कहानी में मोड़ तब आता है जब प्यारी स्वीटी टीटू के जीवन में प्रवेश करती है और टीटू उसे पसंद करने लगता है। स्वीटी संस्कारी, सुंदर, सुशील और चालाक लड़की है। वह एक आदर्श लड़की है जो एक गैर-सरकारी संगठन में काम करती है जिसमें वह माता के जागरण आदि में भजन गाती है, जिससे टीटू और उसका पूरा परिवार उसे पसंद करने लगता है। लेकिन सोनू को उसकी चिकनी-चुपड़ी बातों पर संदेह होता है और वह उसे बेनकाब करने के बारे में सोचने लगता है।

लव रंजन का गंभीरता रहित दृष्टिकोण सही दिशा में है क्योंकि इसमें सास-बहू मार्का शह और मात के खेल जैसी कई दिलचस्प घटनाएं डालकर इन्होंने एक आधुनिक आकर्षक संबंध का निर्माण किया है। उन्होंने इस विषय का पता लगाया है कि शादी आज सिर्फ दो व्यक्तियों के बीच विवाह का संबंध ही नहीं बल्कि यह दो लोगों में अच्छी सामंजस्यता का प्रवाह भी है। स्वीटी एक आदर्शवादी महिला के रूप में दिखाई देती है जो वास्तव में एकदम सही दिखती है। फिल्म आगे बढ़ती है और आप दुविधा की ओर बढ़ जाते हैं कि शायद टीटू सोनू को बिना जाने समझे इतना चाहता था। फिल्म में एक विचित्र प्रेम त्रिकोण बनता है।

हमारा फैसला: फिल्म को मुख्यधारा की चेतना से बहुत अलग दिखाया गया है। स्वीटी (नुशरत भरूचा) को जान-बूझकर चतुर महिला के रूप में चित्रित किया गया है जिससे निर्देशक महिलाओं से नफरत करने वाला प्रतीत होता है। लेकिन अगर आप फिल्म में महिलाओं के प्रति दिखाई गई दृढ़ता वाले हिस्से को अनदेखा कर दें, तो आप निश्चित रूप से “सोनू के टीटू की स्वीटी” में प्यार की तकरार का आनंद ले सकेंगे। तो, ब्रोमेंस बनाम रोमांस को देखने के लिए इस सप्ताह सिनेमा हॉल की तरफ रूख जरूर करें।