मूवी रिव्यू : सुई धागा
निर्देशक – शरत कटारिया
निर्माता – मनीष शर्मा, आदित्य चोपड़ा
लेखक – शरत कटारिया
कलाकार – वरुण धवन, अनुष्का शर्मा
संगीत – अनु मलिक
बैकग्राउंड स्कोर – एंड्रिया गुएरा
सिनेमेटोग्राफी – अनिल मेहता
संपादक – चारू श्री रॉय
प्रोडक्शन कंपनी – यश राज फिल्म्स
फिल्म का कथानक : मौजी (वरुण धवन) एक साधारण व्यक्ति है जो कुछ मूर्खतापूर्ण निरुद्देश्य चीजें करके पैसा कमाता है। हालांकि वह एक ईमानदार व्यक्ति भी है जो बड़ी-बड़ी पार्टियों में कुत्ते, भालू और अन्य जानवरों की पार्ट-टाइम एक्टिंग करता है। एक दिन उसकी पत्नी ममता (अनुष्का) को उसके इस काम के बारे में पता चल जाता है, जो उसे पसंद नहीं आता इसलिए वह अपने पति से कोई ऐसा काम करने के लिए कहती है जिसमें सम्मान हो। वह अपने पति को उसके सिलाई वाले कौशल का उपयोग करके अपना खुद का बिजनेस शुरू करने का सुझाव देती है, जिसमें सम्मान भी है। दोनों अपना खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए जी-जान से जुट जाते हैं। फिल्म का सार, मौजी की कड़ी मेहनत, उसकी उद्यमिता और पति-पत्नि के बीच के सहयोग पर निहित है।
मूवी रिव्यू : फिल्म सुई धागा एक ईमानदार व्यक्ति के जीवन-चक्र को दर्शाती है, जिसकी शुरुआत बहुत ही विनम्रता से होती है और उसके बाद वह बहुत ही प्रसिद्ध उद्यमी बन जाता है। इस फिल्म की कहानी – दृढ़ता, आत्मनिर्भरता, स्वाभिमानता और कारीगरों की प्रतिभा को दर्शाती है। शरत कटारिया ने एक औसत व्यक्ति की तुलना, जो अपने जीवन में हर एक चीज को लेकर संतुष्ट रहता है, दैनिक समस्याओं को बहुत ही सफलतापूर्क चित्रित किया है। फिल्म में वरुण ने अपने पात्र को खास बनाते हुए बहुत ही खूबसूरती से उकेरा है। इधर अनुष्का ने उत्तेजक कपड़ों के बिना साधारण साड़ी और कम मेकअप के साथ अपने पात्र को बहुत ही शालीनता से प्रस्तुत किया है। रघुवीर यादव और गोविंद पांडे सहित सहायक कलाकारों ने भी फिल्म में शानदार प्रदर्शन किया है। फिल्म में संवाद यथार्थवादी है क्योंकि प्रयुक्त भाषा आम है जिसका सामना हम अक्सर अपने दैनिक जीवन में करते हैं। फिल्म का पहला भाग थोड़ा निराश कर सकता है पर दूसरा भाग दिलचस्प हो जाता है। अनुष्का और वरुण ने फिल्म सुई धागा में अपने करियर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
हमारा फैसला: फिल्म सुई-धागा मनोरंजन, संवाद, रोमांच और नाटकीय पलों के रंगीन धागे के साथ पिरोई गई है। फिल्म में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं है और कलाकारों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। फिल्म प्रीतिकर है और एक बार देखने लायक है।




