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मूवी रिव्यू – यमला पगला दीवाना फिर से

August 31, 2018
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मूवी रिव्यू - यमला पगला दीवाना फिर से

निर्देशक – नवनीत सिंह

निर्माता – कामयानी पुणिया शर्मा, आरुषि मल्होत्रा

लेखक – बंटी राठौर (संवाद)

पटकथा – धीरज रतन

कहानी – धीरज रतन

कलाकार – धर्मेंद्र, सनी देओल, बॉबी देओल, कृति खरबंदा, बिन्नू ढिल्लों, असरानी, सतीश कौशिक

संगीत – संजीव-दर्शन, सचेत-परंपरा, विशाल मिश्रा, डी सोल्जर्स, राजू सिंह

सिनेमेटोग्राफी – जीतन हरमीत सिंह

संपादक – मनीष मोर

प्रोडक्शन कंपनी – सनी साउड प्राइवेट लिमिटेड, इंटरक्यूट एंटरटेनमेंट, पेन इंडिया लिमिटेड

मूवी कथानक – प्रसिद्ध पिता-पुत्रों की जोड़ी यमला पगला दीवाने की तीसरे सीक्वल को लेकर फिर से रुपहले पर्दे पर वापस आ गये हैं। इस बार एक नई कहानी लेकर आये हैं लेकिन ऐसा लगता है कि पहले सीक्वल को बहुत पीछे छोड़ दिया है। फ्रेंचाइजी “यमला पगला दीवाना फिर से” अन्य दो फिल्मों के समान ही क्रम बनाती है लेकिन फिल्म में दर्शकों को लुभाने के लिए कोई भी उम्दा दृश्य नहीं हैं। फिल्म का कथानक तीन पुरुष – वैद्य पूरन (सनी देओल), एक डॉक्टर, उसके भाई काला (बॉबी देओल) और उनके अजीब किराएदार परमार (धर्मेंद्र), एक वकील के आसपास घूमती है। वह शायद ही कभी किराया देते हैं। पूरन को अपने पूर्वजों से कुछ आयुर्वेद पैनेशिया (रामबाण दवा) ‘वज्र कवच’ विरासत में मिली है जो मुंहासे से लेकर नपुंसकता तक की सभी बीमारियों को ठीक कर सकती है। इन तीनों की जिंदगी में उस समय भूचाल आता है जब चीकू (कृति खरबंदा) वज्र कवच चुराने के लिए उनकी जिंदगी में आती है और वे तीनों एक कार्पोरेट विवाद के कारण कानूनी खींचातानी में पड़ जाते हैं।

मूवी रिव्यू – फिल्म अतिशयोक्तिपूर्ण प्रतीत होती है क्योंकि फार्स्ट हॉफ बहुत लंबा है और मूल रूप से अधिक रोमांटिक है। काला और चीकू के बीच प्रेम ट्रैक को दर्शाने में बहुत समय बर्बाद हो गया है और यह कॉमेडी तड़का सेकंड हॉफ में लगाया गया है। फिल्म एक लंबा सफर तय करती है और दर्शकों को खिलखिला कर हंसाने के लिए कड़ी मेहनत करती है लेकिन कॉमेडी के चरम तक पहुँचने में असफल हो गई है। फिल्म में कमजोर दृश्यों को आसानी से महसूस किया सकता है क्योंकि केवल कुछ दृश्य ही हैं जो वास्तव में हमें हंसने पर मजबूर कर देते हैं।

फिल्म में सनी देओल का अभिनय सबसे प्रभावशाली दिखाई दिया है और उन्होंने अपने अभिनय के दम से सफल बनाने की पुरजोर कोशिश की है। बॉबी देओल को फिल्म में अधिक समय मिलने के बावजूद भी वो अपनी भूमिका से दर्शकों पर जादू डालने में असफल रहे है। धर्मेंद्र काफी ऊर्जावान दिखाई दिये हैं लेकिन फिल्म में उनकी भूमिका को  अच्छे ढंग से दर्शाया नहीं गया है। कृति ने अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई है और वह पूरी फिल्म में आकर्षक रूप काफी खूबसूरत दिखाई दी हैं जो युवाओं को आकर्षित करने और इस फिल्म को देखने का कारण देती है।

हमारा फैसला – “यमला पगला दीवाना फिर से” फिल्म  स्टिरियोटाइप और चुटकुले से भरी हुई है जो कभी-कभी हास्यप्रद नहीं लगती है। कई संवाद फिल्म के फर्स्ट हाफ में कई बार दिखाई देते हैं। हम आपको फिल्म देखने के लिए केवल तभी सिनेमाघर का रूख करने को कहेंगे यदि आप बॉबी-सनी-धर्मेंद्र तीनों के फैन हो।

 

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मूवी रिव्यू - यमला पगला दीवाना फिर से
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