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पुलवामा अटैक पर ऐक्शन की जरूरत

February 16, 2019
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पुलवामा अटैक पर ऐक्शन की जरूरत

पुलवामा अटैक आखिर हुआ क्यों? कहाँ हैं हमारी इंटेलिजेंस? कहाँ हैं हमारी काउंटर इंटेलिजेंस? हम हमेशा पाकिस्तान के प्रशासन और रक्षा बलों में अपने लोगों के बारे में बात करते हैं, कहाँ थे वे सब? क्या उरी या राज़ी को देखने में व्यस्त थे और खुद को बधाईयाँ दे रहे थे?

गुरुवार को हम लोग एकबार फिर से एक राष्ट्र के रूप में सामने आए। हमारे बच्चों और दुनिया ने हमें एक अविकसित गणतंत्र और किसी बाहरी अटैक के लिए असुरक्षित देखा जहाँ पर पुलवामा जैसी घटना हो सकती है। यह घटना बहुत ही दुःखद और अस्वीकार्य है। बहुत सारी ट्वीट्स और पोस्टों में कहा जा रहा है कि पुलवामा सेब और संतरे की तरह हैं, उनकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है, क्यों? उनकी तुलना क्यों नहीं की जा सकती है? क्या सेब और संतरे को फल के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है? उरी और पुलवामा हमारी लापरवाही के फल हैं और जमीनी हकीकत पर हमारे ध्यान का फल हैं।

जब उरी जैसा दर्दनाक हादसा हुआ उसके बाद हमने जो किया उसपर एक फिल्म बनाई गई, फिल्म निर्माताओं ने खूब सारा पैसा कमाया, जी हाँ फिल्म निर्माताओं ने। पुलवामा हादसा गुरुवार को हुआ था लेकिन कोई इस बारे में बात भी नहीं कर रहा है कि हमने उरी हमले से कोई सबक क्यों नहीं लिया। मेरे हिसाब से यह बात ज्यादा मायने रखती थी कि आखिर उरी हमला हुआ क्यों इसके बजाय कि उसके बाद हमने क्या किया। यह बात ज्यादा मायने रखती है कि आखिर पुलवामा अटैक हुआ क्यों इसके बजाय कि अब हम क्या करेंगे।

हमारी सरकार के लिए कुछ विकल्प

यहाँ पर हमारी सरकार के लिए कुछ विकल्प दिए गए हैं, जो कोई रॉकेट साइंस नहीं हैं, इस “महान” देश के हर नागरिक को यह विकल्प दिखाई देते हैं।

  • राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाए और राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री इसमें शामिल हों।
  • हमारे इस्लामाबाद उच्चायुक्त को वापस बुला लिया जाए और मिशन की गति को थोड़ा कम कर दिया जाए।
  • सीमा पार से सभी व्यापार बंद कर दिए जाएं। मोस्ट फेवर्ज नेशन का दर्जा तो वापस ले ही लिया गया है लेकिन यह सिर्फ शुरुआत ही होनी चाहिए।
  • पाकिस्तान को एक खुले पत्र में अपराधियों का नाम और उनकी भौगोलिक स्थित दी जाए। उन्हें हत्यारों और उनके मास्टरमाइंडों को भारत को सौंपने के लिए कहा जाए।
  • भारत तथा देश के बाहर के सभी स्कूलों में विरोध प्रदर्शन किया जाए और देश-विदेश में स्थित सभी भारतीय व्यवसाओं और संस्थाओं को आधा झुका हुआ राष्ट्रीय ध्वज और उसके साथ ही में एक काला झंडा फहराने को कहा जाए।
  • सिंधु जल संधि और ऐसी ही अन्य संधियों को खत्म कर दिया जाए। हमें अपने दुश्मन का पालन-पोषण नहीं करना चाहिए।
  • अरब सागर में अंतर्राष्ट्रीय जल परमिट में जितना ज्यादा हो सके उनता ज्यादा कराची के करीब जाकर संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और बांग्लादेश के साथ सैन्य अभ्यास किया जाए।
  • सऊदी अरब और अमेरिका की सहायता से पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक सहायता को रोका जाए।
  • हमें “पिछड़ी कानून व्यवस्था” का चयन नहीं करना चाहिए, आइए अनुच्छेद 370 को खत्म कर दें। श्रीनगर में संसद का एक विशेष सत्र आयोजित करें।
  • एलओसी पर कुछ हफ्तों तक खुलकर गोलीबारी की जाए। आइए ऐसे ब्लास्ट करें जो केवल एलओसी पर ही नहीं बल्कि पूरे पाकिस्तान में गूँजे और इस्लामाबाद तथा रावपिंडी में बनी हुई काँच की छतें और खिड़कियाँ चकनाचूर हो जाएं।

मुझे अच्छी तरह से पता है कि मेरी राय और सुझाव शायद कुछ ज्यादा ही बढ़कर थे लेकिन ज़रा उन परिवार वालों से तो पूछें जो देश की सेवा करते हुए अपने प्रियजनों को खो देते हैं।

पृष्ठभूमि – 2000 से ज्यादा सैनिक/सैन्य कर्मचारी अपनी छुट्टी पर से वापस लौट रहे थे। 70 से ज्यादा वाहनों के उनके काफिले पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया। सबसे ज्यादा नुकसान एक आत्मघाती हमलावर ने किया, जिसने 300 किलोग्राम से ज्यादा विस्फोटक और करीब 50 किलोग्राम आरडीएक्स से लदी अपनी एसयूवी को सैन्य काफिले में लड़ा दिया। लेखक को इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है कि कितनी जनहानि हुई लेकिन प्राप्त आँकड़े 40 से ज्यादा सैनिकों/कर्मचारियों/पुलिसवालों के शहीद होने का संकेत देते हैं।

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यहाँ पर हमारी सरकार के लिए कुछ विकल्प दिए गए हैं, जो कोई रॉकेट साइंस नहीं हैं, इस “महान” देश के हर नागरिक को यह विकल्प दिखाई देते हैं।
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