November 15, 2018
कोई भी स्थित हो फिर भी ऐसा नहीं है और न हो सकता है कि हम कानून और न्यायपालिका का सम्मान न करें। अदालतों का उल्लंघन करना अस्वीकार्य है, आलोचना की अनुमति है लेकिन उल्लंघन की नहीं। यह हमारे लोकतंत्र के आधार को हिलाकर रख देता है। –रियूवेन रिवलिन रिवलिन ने इस बात का जिक्र इज़राइल को अपने जहन में रखते हुए किया होगा, लेकिन यह भारतीय परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण है। 28 जनवरी 1950 [...]
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