November 10, 2016
भारत सरकार ने ब्रिटिश काल से चली आ रही कई दशक पुरानी (तकरीबन 92 साल) परंपरा को तोड़कर रेल बजट को आम बजट में मर्ज करने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि संसद में दोनों बजटों पर अलग-अलग वोट ऑफ अकाउंट्स और एप्रोप्रिएशन बिल नहीं आएंगे। इससे बहुत समय बच जाएगा। यह एक ऐसा सुधार था, जिसकी जरूरत कई बरसों से महसूस की जा रही थी। फर्स्टपोस्ट के कॉलमिस्ट और स्वराज्य के एडिटोरियल [...]
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