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लखनऊ में अम्बेडकर मेमोरियल या अत्यधिक लोकप्रिय मायावती पार्क

February 27, 2018
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लखनऊ में अम्बेडकर मेमोरियल और मायावती पार्क

लखनऊ में अम्बेडकर मेमोरियल और मायावती पार्क

एक विशाल और भव्य स्मारक कोई प्रतिदिन खोजने वाली वस्तु नहीं है। अम्बेडकर मेमोरियल 107 एकड़ के क्षेत्र में फैली हुई, डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम पर स्थापित एक शानदार संरचना है, जो उन सभी का सम्मान करती है, जिन्होंने मानवता और समानता के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।

इस शानदार संरचना की स्थापना उत्तर प्रदेश की बहुजन समाजवादी पार्टी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा करवाई गई थी। कुछ लोगों का मानना है कि यह अम्बेडकर स्तूप या डॉ. भीमराव अम्बेडकर मेमोरियल सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल है, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह सिर्फ मायावती पार्क है।

इस तरह के एक विशाल स्मारक का निर्माण कार्य आसान काम नहीं था। मुख्यमंत्री ने इस शानदार संस्मरण के निर्माण के अपने सपने को पूरा करने के लिए, राज्य निधि से 700 करोड़ रुपए एकमुस्त व्यय किए थे। इसके निर्माण में विशेष रूप से राजस्थान से लाए गए लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। गोमती नदी के प्रवेश द्वार के जरिए आप एक बहुत विशाल परिसर के केन्द्र में पहुँच जाते हैं, जहाँ आप 112 फुट ऊँचे स्तूप को देख सकते हैं। यह पार्क अनगिनत स्तंभ, हाथियों की संरचनाओं तथा कुछ अन्य संरचनाओं से घिरा हुआ है। इस पार्क का वातावरण काफी शांत है और रात में जब पूरा पार्क रंगीन प्रकाश से प्रकाशित होता है, तो यह और अधिक भव्य दिखाई पड़ता है।

स्मारक के अंदर आपको एक कुर्सी पर बैठे हुए डॉ अम्बेडकर की प्रतिमा दिखाई देगी। यहाँ अन्य कई अपने जीवन-चरित्र का प्रदर्शन करने वाले व्यकितयों की प्रतिमाएं भी दिखाई पड़ेंगी। यह विचित्र परिसर लखनऊ के एक शानदार क्षेत्र के मध्य में, एक शाही संरचना के रूप में स्थित है। यह जानना दिलचस्प है कि दलित समुदाय का सम्मान करने के लिए, नोएडा में भी एक इसी प्रकार का निर्माण कार्य किया गया है। परियोजना की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण इसके निर्माण-कार्य पर रोंक लगा दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह परियोजना पर्यावरण के अनुकूल नहीं थी, लेकिन कुछ समय बाद इसे फिर से हरीझंडी मिल गई थी। इसे ग्रीन गार्डन के रूप में भी जाना जाता है। नोएडा के स्मारक में भी मायावती की प्रतिमा बनी हुई है।

अम्बेडकर मेमोरियल को वास्तुकला की सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि इसकी विशालता को देखने के लिए जाना चाहिए। शायद, यह अपने विरोधियों से तंग आ गई मायावती को कम से कम थोड़ी राहत प्रदान कर सकता है।