जयपुर के पर्यटन स्थल
राजस्थान के चमचमाते गुलाबी शहर जयपुर को महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने स्थापित किया था। अपने विशाल किलों और शानदार महलों के जरिए यह शहर शाही राजपूत विरासत को सैलानियों के सामने प्रदर्शित करता है।
इसकी एक और खास बात यहां के रंगीन लोगों की मेहमाननवाज़ी और कई वैराइटी के हस्तशिल्पों की दुकानें हैं। सैलानी यहां कई त्यौहारों को देख सकते हैं या उनमें भाग ले सकते हैं। जयपुर में होने वाले त्यौहारों में आधुनिक जयपुर साहित्य सम्मेलन से लेकर पारंपरिक तीज, गणगौर और काइट फेस्टीवल भी हैं।
गर्मियों में जयपुर का मौसम बहुत गर्म रहता है और तापमान 45 डिग्री हो जाता है। इसलिए यहां घूमने आने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता जब तापमान लगभग 8.3 डिग्री तक गिर जाता है।
जयपुर का दिल्ली, मुंबई, जोधपुर, उदयपुर, कोलकाता और अहमदाबाद से शानदार हवाई संपर्क है। जयपुर से दिल्ली, आगरा, मुंबई, चैन्नई, बीकानेर, जोधपुर, उदयपुर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और अहमदाबाद के लिए रेलगाडि़यां उपलब्ध हैं।
जयपुर में देखने के स्थान
आमेर किला
आमेर किले के नाम से मशहूर इस खूबसूरत किले को महाराजा मान सिंह प्रथम ने बनवाया था और यह बड़े दरवाजों और पथरीले रास्तों के साथ हिंदू वास्तुकला का कलात्मक नमूना है। चार मंजिला यह किला लाल संगमरमर और बलुवा पत्थरों से बना है इसमें शाही विरासत का दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल और सुख निवास जिसमें एयर कंडीशनर का प्रभाव देने के लिए एक सरल और प्राकृतिक जल प्रवाह भी बनाया गया है और शिला माता मंदिर है। कई पीढि़यों तक शाही परिवार यहां रहा है और हमलों के दौरान आपातकालीन रास्ता भी है जो इसे जयगढ़ किले से जोड़ता है।
जयगढ़ किला
महाराजा जय सिंह द्वारा बनवाई गई यह सुंदर कृति जयपुर के आमेर में अरावली की पहाडि़यों के भाग चील का टीला में स्थित है। 400 मीटर उपर और प्रसिद्ध आमेर किले के ढांचे के समान इस किले को आमेर की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। एक गुप्त मार्ग के रास्ते जयगढ़ किले से आमेर किले में पहुंचा जा सकता है। यह किला तीन किलोमीटर लंबा और एक किलोमीटर चैड़ा है। इसमें पहियों पर चलने वाली दुनिया की सबसे बड़ी तोप है जिसका नाम जयवन है। इसमें कुछ महल हैं जो शाही परिवार का निवास रहे हैं। साथ ही एक सुव्यवस्थित बाग और संग्रहालय भी इसमें है।
सिटी पैलेस
इस विशाल किले के भीतर दो और किले हैं और ये जयपुर के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। सिटी पैलेस राजाओं का तख्त रहा है। इसमें कई भवन, आंगन, मंदिर और बाग हैं। इसका निर्माण जय सिंह ने शुरु करवाया था और इसमें भारतीय और यूरोपीय वास्तुकला शैली का सटीक मिश्रण है। इस शानदार पैलेस में मुबारक महल, चंद्र महल, मुकुट महल, महारानी का महल, गोविंद मंदिर और सिटी पैलेस संग्रहालय हैं। चंद्र महल सिटी पैलेस का सबसे भीतरी किला है। इसका अपना एक संग्रहालय है और इसमें शाही परिवार के सदस्य रहते हैं।
हवा महल
हवा महल का निर्माण महाराजा प्रताप सिंह ने करवाया था और यह जयपुर के दक्षिण में स्थित है। इस खूबसूरत पांच मंजिला भवन को भगवान कृष्ण के प्रतिरुप के तौर पर बनवाया गया और इसमें 1000 छोटी खिड़कियां हैं जिससे यह एक छत्ते की तरह दिखता है। इस जालीदार डिजाइन के कारण गर्मियों में भी ठंडी हवा इस महल में आती है जिससे एयर कंडीशनिंग का प्रभाव आता है। इसका गुलाबी और लाल पत्थरों का बाहरी हिस्सा सुबह की रोशनी में बहुत खूबसूरत नज़ारा देता है। यह महल शाही सिटी पैलेस का हिस्सा है और जनाना कक्ष तक फैला है।
नाहरगढ़ किला
अरावली की पहाडि़यों के किनारे पर स्थित नाहरगढ़ किले से गुलाबी शहर जयपुर का मनोरम नज़ारा दिखता है। नाहरगढ़ का अर्थ होता है ‘शेरों का आवास’ और यह सचमुच राजस्थान की विरासत लगता है। महाराजा सवाई जय सिंह जिन्होंने जयपुर की स्थापना की थी उन्होंने इस किले का निर्माण करवाया था। इस किले में कई ऐतिहासिक महत्व की घटनाएं हुईं हैं, जैसे मराठा के साथ समझौते पर यहां हस्ताक्षर हुए और सिपाही विद्रोह के दौरान यह ब्रिटिश महिलाओं का आश्रय स्थल रहा। यह किला शिकार के दौरान राजाओं का निवास स्थान रहा है। इस खूबसूरत किले के कमरे एक लंबे गलियारे से जुड़े हैं।
जंतर मंतर
महाराजा जय सिंह द्वारा बनवाई गई इस वेधशाला को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा चुका है और इसमें खगोलीय उपकरणों का बहुत बड़ा संग्रह है। संगमरमर और स्थानीय पत्थरों से बना यह खूबसूरत भवन देश का सबसे बड़ा भवन है जिसे खगोलीय पिंडों की खोज के लिए बनाया गया। इसमें 14 स्थापित और ध्यानकेंद्रित उपकरण हैं जो समय को मापने, ग्रहणों की भविष्यवाणी करने, तारों की निगरानी करने और सूर्य के चारों ओर धरती की कक्षा का पता लगाने के लिए लगाए गए हैं।
जगत शिरोमणि मंदिर
इस सुंदर मंदिर का निर्माण राजा जगत सिंह की मां श्रृंगार देवी कंकावत ने करवाया था और इसे बनने में सन् 1599 से लेकर 1608 तक का नौ साल का समय लगा। यह पश्चिम मुखी मंदिर हिंदू भगवान राधा और कृष्ण को समर्पित है और इसके भवन में गरुड़ छतरी, संगमरमर का तोरण, एक बरोठा और एक मंडप हैं जो कि सजावटी जंघ और वेदीबंध पर मौजूद हैं। इस पवित्र मंडप में कई खंभे हैं जो विभिन्न प्रकार से सजाए गए हैं और गुंबददार छत को धार्मिक चित्रों से सजाया गया है।
जल महल
जल महल एक खूबसूरत वास्तुकला का नमूना है जो जयपुर शहर की सागर झील के बीच में मौजूद है। इन दोनों को 18वीं सदी में राजा जय सिंह ने पुनर्निर्मित किया और बड़ा करवाया। इस महल की पहली मंजिल पर स्थित हाॅल को बहुत अच्छी तरह से सजाया गया है लेकिन फिर भी इसके उपर स्थित चमेली बाग ज्यादा खूबसूरत है। यह पूरा इलाका अरावली, अन्य किलों, मंदिरों और मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा है। इस झील की ड्रेनेज प्रणाली बहुत अच्छी है जो कि मछलियों को जिंदा रहने के लिए जरुरी गहराई देती है और इसमें मानव निर्मित पांच द्वीप हैं जो प्रवासी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
अलबर्ट हाॅल
यह जयपुर का सबसे पुराना संग्रहालय है और इसे सर सैमुअल जेकब ने 19वीं सदी में बनवाया था। इसे राजस्थान के शासकीय संग्रहालय या केंद्रीय शासकीय संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। यह खूबसूरत भवन राम निवास बाग में स्थित है और इंडो अरब वास्तुकला के मेल के नमूने के तौर पर खड़ा है। यहां आपको कई कलात्मक वस्तुओं का समृद्ध संग्रह मिल जाएगा जैसे कालीन, पेंटिंग, पत्थर, हाथी दांत, धातु से बने शिल्प, क्रिस्टल के रंगीन काम और हर वो सामान जो राजस्थान की शाही परंपरा को दर्शाता है।
गोविंद देवजी मंदिर
गोविंद देवजी मंदिर सिटी पैलेस के भीतर स्थित है। कहा जाता है कि इसके देवता कृष्ण की मूर्ति भगवान कृष्ण के चेहरे की प्रतिकृति है और इसे वृंदावन से यहां लाकर जय सिंह द्वितीय ने पुनस्र्थापित किया है। लक्ष्मीनारायण मंदिर मोती डूंगरी महल के पास स्थित है।
सिसोदिया रानी महल
अन्य रोचक स्थल सिसोदिया रानी महल से कुछ दूरी पर हैं, इन्हें सुंदर बागों के साथ पुनर्निर्मित किया गया है और यहां पूर्व महाराजा का एक स्मारक भी है। गलताजी में एक सूर्य मंदिर भी है।
स्टेचू सर्किल
राजस्थान का सबसे जीवंत शहर जयपुर कई रंगों में रंगा है और पूरे देश में विशाल वैभव और राॅयल्टी के लिए जाना जाता है। इस गुलाबी शहर का सबसे प्रसिद्ध लैंडमार्क हलचल से भरा स्टेचू सर्किल है। शहर के मध्य में स्थित यह जगह आपको देखने में आम चैराहा लगे लेकिन यह इससे कहीं ज्यादा है। यह स्थानीय लोगों और सैलानियों के लिए एक लोकप्रिय अड्डा है। स्टेचू सर्किल को इसका यह नाम इसके आकार के कारण मिला ना कि इसमें स्थित सवाई जय सिंह की प्रतिमा की वजह से।
राज मंदिर सिनेमा
प्रसिद्ध राज मंदिर सिनेमा हाॅल को इसकी प्राचीन वास्तुकला के लिए जाना जाता है और यह शहर का गौरव है। वास्तुकला के इस आश्चर्य को ‘एशिया की शान’ का गौरव भी मिल चुका है। यदि आप गुलाबी शहर पहली बार जाएं तो यह संभव नहीं है कि आप राज मंदिर सिनेमा ना जाएं। इस हाॅल में हजारों दर्शक आ चुके हैं और इसमें कई पुरानी क्लासिक फिल्में देखी जा चुकी हैं। इसका अपना ही एक आकर्षण है और पहली बार जयपुर जाने वालों के लिए इसे देखना बनता है।
इसके अंदर और बाहर दोनों ओर बारीक सजावट की गई है और राज मंदिर सिनेमा हाॅल बीते समय की याद दिलाता है। इसका हाॅल बड़े बड़े झूमरों की वजह से किसी महल का अहसास कराता है। इसकी लाइटिंग प्रणाली भी एक अलग आकर्षण है और हर शो के पहले लाॅबी में उत्तम प्रकाश व्यवस्था रहती है।
जयपुर के पास पर्यटन स्थल
जयपुर के आसपास दिलचस्प स्थान हैं जो देखे जा सकते हैं
- जयपुर से 35 किलोमीटर दक्षिण में बगरु है जो कि हाथ से छपाई किए कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध है, जबकि सांगानेर जयपुर से 16 किलोमीटर दूर स्थित है और पारंपरिक शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान पाश्र्वनाथ को समर्पित दिगंबर मंदिर भी है।
- पुष्कर एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थस्थान है और इसका पुष्कर मेले के नाम से पशु मेला भी प्रसिद्ध है।
- रामगढ़ झील जयपुर से 32 किलोमीटर दूर स्थित एक पिकनिक स्थल है जो कि एक विशाल कृत्रिम झील है।
- जयपुर से 40 किलोमीटर दूर समोद एक प्राचीन स्थान है जो कि राजपूत हवेली वास्तुकला का आदर्श उदाहरण है।
- वन्यजीव प्रेमी रणथंभौर और सरिस्का भी जा सकते हैं जो कि प्रसिद्ध वन्य जीव अभयारण्य है।
अंतिम संशोधन : नवम्बर 09, 2016