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मूवी रिव्यू- रेड

March 17, 2018
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मूवी रिव्यू- रेड

कलाकार: अजय देवगन, इलियाना डिक्रूज़, सौरभ शुक्ला

निर्देशक: राज कुमार गुप्ता

प्रोड्यूसर: अभिषेक पाठक, कुमार मंगत पाठक, भूषण कुमार और कृष्ण कुमार

प्रोडक्शन हाउस: पैनोरमा स्टूडियोज, टी-सीरीज

लेखक: रितेश शाह

सिनेमेट्रोग्राफी: अल्फ़ोंस रॉय

संगीत: अमित त्रिवेदी, तनिष्क बागची

शैली: क्राइम थ्रिलर

कथानक

रेड, 1980 के दशक में देश में पड़ने वाली सबसे हाई प्रोफाइल  रेड पर आधारित फिल्म है। इस फिल्म के नायक अमेय (अजय देवगन) आयकर विभाग के एक निडर अधिकारी व ईमानदार व्यक्ति हैं और वह लखनऊ के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति रामेश्वर सिंह (सौरभ शुक्ला) के घर में नान-स्टॉफ (बिना रुके) रेड डालते हैं। पूरी फिल्म, अमेय रेड को सफलतापूर्वक संचालित करने में सक्षम हो पाते हैं या दबंग राजनेता रामेश्वर सिंह के सामने घुटने टेक देते हैं, इस पर आधारित है।

यह फिल्म भ्रष्टाचार के व्यापक अभिशाप के बावजूद, अर्थव्यवस्था की रक्षा करने वाले अनगिनत अधिकारियों का सम्मान करने के लिए निर्मित की गई है। रेड नामक इस फिल्म में यह दर्शाया गया है कि किस तरह से रेड डालने के समय एक वास्तविक आयकर अधिकारी को, पूरी तरह भ्रष्ट और कुंठित प्रणाली  के हिस्से का सामना करना पड़ता है।

मूवी रिव्यू: रेड नामक यह फिल्म, मूलतः काले धन, बिक्री कर और उत्पाद शुल्क, चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाने), हवाला रैकेट आदि पर केंद्रित है। अन्य बॉलीवुड फिल्मों के विपरीत, यह फिल्म यथार्थवादी प्रतीत होती है, जिसमें अधिकारी को पुलिस संरक्षण की आवश्यकता पड़ती है। यह अधिकारी न तो हवा में ऊँची छलांग लगाता है और न ही खलनायक को मारता है, इसके विपरीत वह अक्सर रेड डालने  से डरता है, लेकिन वह अपने डर को अपने कार्य पर हावी नहीं होने देता है। “नो वन किल्ड जेसिका” और “आमिर” जैसी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्देशक राज कुमार गुप्ता की यह फिल्म, शुरुआत में नायक को स्थापित करने की कोशिश करती है। इस प्रक्रिया में बहुत समय बर्बाद हो जाता है, जिससे फिल्म कुछ समय के लिए  बोरिंग (उदासीन) हो जाती है। फिल्म में, अमेय और उनकी पत्नी मालिनी (इलियाना डी क्रूज़) के बीच डिनर के समय होने वाली बातचीत जैसे कुछ दृश्य बेहद आकर्षक हैं।

इस दृश्य में अमेय और उनकी पत्नी मालिनी मुंशी प्रेमचंद की एक कहानी “नमक का दरोगा” का जिक्र करते नजर आते हैं। वह दोनों हमेशा-प्रासंगिक कहानी और उसकी कालातीत पर चर्चा करते हैं, जो अंततः उस मुद्दे की ओर इशारा करती है कि वह हमेशा एक-दूसरे के लिए जिएंगें और कभी भी एक-दूसरे से जुदा नहीं होंगे।

फिल्म में इलियाना एक सहायक पत्नी की भूमिका निभाती हैं, जो अपने पति का 7 वर्षों में 49 बार ट्रांसफर होने के कारण थोड़ी विचलित नजर आती हैं, लेकिन वह अपनी भूमिका (चरित्र) के माध्यम से दर्शकों पर जादू डालने में ज्यादा कामयाब नहीं हुई हैं। हमने पहले भी सौरभ शुक्ला को ऐसी भूमिकाओं में देखा है, इसलिए हमें उनका किरदार कुछ ताजगी-भरा नहीं लगता है।

हमारा फैसला: फिल्म का डायरेक्शन (निर्देशन) बेहतरीन है और इसकी पटकथा भी काफी प्रभावशाली है, लेकिन फिल्म दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने में ज्यादा कामयाब नहीं हुई है और यह अव्यवस्थित पैक में दिखाई देती है। इसके दृश्य शानदार ढंग से लिखे गए हैं और वह इसकी कहानी के प्रवाह में पूरी तरह से समायोजित हैं। यदि आप एक ऐसी बॉलीवुड फिल्म देखने के मूड में हैं, जिसमें बहुत सारे ट्विस्ट और घुमाव हों, तो यह फिल्म आपके लिए नहीं है, क्योंकि यह केवल एक पुलिस और चोर का पीछा करने वाली फिल्म है। दीवारों से निकाले जाने वाले काले धन और सोना जैसे कुछ दृश्य, इस फिल्म को मनोरंजक और क्राइम थ्रिलर बनाते हैं। अगर आप एक्सन और क्राइम (अपराध) से परिपूर्ण फिल्म की तलाश कर रहे हैं, तो आप इस फिल्म को देखने के लिए जा सकते हैं।

सारांश
समीक्षाकर्ता – आयुषी नामदेव

 समीक्षा की तिथि – 16-03-2018

 रिव्यू आइटम – रेड

 लेखक रेटिंग – ***

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