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इंदु सरकार ” – मूवी रिव्यू

July 29, 2017


indu-sarkaarआपातकाल भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण समयों में से एक है। यह अब तक के उन सभी युगों में से एक है जिसका दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड के द्वारा शायद ही कभी उपयोग किया गया हो। इस बात पर कोई आश्चर्य नहीं है कि बॉलीवुड इस प्रकार के विवादित राजनीतिक मुद्दों पर फिल्म बनाने का हमेशा विरोधी रहा है। फिर भी मधुर भंडारकर, एक ऐसे निर्देशक है जिनको ऐसे विवादित मुद्दों और समस्याओं पर फिल्म बनाने के लिए जाना जाता है जिनपर सामान्य रूप से बात नहीं की जाती,उन्होंने इस प्रकार की एक फिल्म को बनाने की कोशिश की है। बहुत ही आसानी से कहा जा सकता है कि मधुर भंडराकर द्वारा बनाई गई फिल्म इंदु सरकार बॉलीवुड के चाहने वाले लोगों की इस प्रकार के मुद्दों पर बनाई गई फिल्मों की कमी और चिंता को दूर करती है।

वर्तमान राजनीतिक संदर्भ

फिल्म इंदु सरकार में माँ और बेटे, इंदिरा गाँधी और संजय गाँधी की जोड़ी पर गहराई से प्रकाश डालने की कोशिश की गई है, जो लगभग चार दशक पहले देश पर अपनी निजी संपत्ति की तरह राज करते थे। हालांकि भंडारकर इसको सही से प्रस्तुत करने में सफल नहीं हो पाये हैं। इस फिल्म को बनाने में जो प्रयास किये गये हैं उनको नीरस और बेपरावाह प्रयास कहा जा सकता है, स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस प्रकार के अत्यधिक बुरे समय के बारे में और भला क्या कहा जा सकता है। इस समय को राजनीति व्यवस्था के सबसे असंगत और बुरे दिनों के रूप में वर्णित किया जा सकता है। फिल्म इंदु सरकार में कोई राजनीतिक निष्पक्षता नहीं है, पात्रों को काले और सफेद (परस्पर विरोधी) रूप में प्रस्तुत करना निर्देशक की सोच हो सकती है और कोई जरूरी भी नहीं कि यह असलियत ही हो।

सोची समझी चाल

ऐसे राजनीतिक विषयों पर जिनका कोई ठोस आधार या नतीजे न हों, पर फिल्म बनाने के लिए एक कुशल निर्देशक की आवश्यकता होती है। लेकिन फिल्म इंदु सरकार देखकर किसी को भी यह पता चल सकता है कि भंडारकर पहले जैसी फिल्में बनाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जबकि वह कई अन्य मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय सच्ची घटनाओं पर अपना ध्यान अधिक केन्द्रित करते थे। यहाँ पर इन्होंने अपनी पुरानी फिल्मों जैसे कॉर्पोरेट, फैशन, हीरोइन, कैलेंडर गर्ल और पेज 3 में उपयोग किये गये फार्मूले को तोड़ने और ला चाँदनी बार, ट्रैफिक सिग्नल और जेल जैसी फिल्मों की वास्तविक कहानियों को बताने का प्रयास किया है।

इंदु सरकार के कलाकार

कुछ भी हो लेकिन इंदु सरकार एक प्रेरणादायक पात्र है। वह एक अनाथ स्त्री है जो हकलाती भी है। जिसको जिदगी भर ठुकराया जाता है बचपन में उसके माता-पिता के द्वारा और बाद में युवा अवस्था में उसके साथियों के द्वारा। फिर उसकी जिन्दगी में पहला एक ऐसा व्यक्ति आता है जो हकलाने के बावजूद भी उसको पसंद करता है, बाद में सब कुछ सामान्य हो जाने के बाद वे विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। शादी से पहले उसका जीवन साथी उससे पूछता है कि वह जीवन में क्या बनना चाहती है। वह अपने पति के द्वारा पूछे गये उस सवाल का जवाब तलासती रहती है, बाद में उसे इस सवाल का जवाब तब मिलता है जब वह अपने पति को उन नेताओँ के साथ देखती है जो आपातकाल के दौरान अपने फायदे के लिए कानूनों को तोड़ रहे होते हैं। वह अपनी वर्तमान जिंदगी को छोड़कर एक आदर्श भारतीय नागरिक के रूप में देश वासियों के अधिकारों और देश की बेहतरी के लिए संघर्ष करने का फैसला करती है। यह पूरी कहानी उसके संघर्ष के बारे में है।

एक्टिंग

एक्टिंग निश्चित रूप से फिल्म के सबसे मजबूत बिंदुओं में से एक है। कीर्ति कुलहरि काफी समय से देश की सबसे मशहूर अभिनेत्रियों में से एक रही हैं, इस फिल्म में वह अपने किरदार को लेकर काफी उत्साहित दिख रही हैं। फिल्म में तोता रॉय चौधरी का प्रदर्शन काफी शानदार है इन्होंने अपने इस अवसर का पूरा लाभ उठाया है, वह उस चीज में भी अपना बखूबी किरदार निभाते हैं जिसको करने की संभावना नहीं होती है। हालांकि, दूसरे कलाकारों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता है। नील नितिन मुकेश ने इंदु सरकार में एक महत्वपूर्ण किरदार निभाया है, लेकिन उनकी विलेन के रूप में भूमिका अधिक पसंद की जाती है क्योंकि वह अपने समय के एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के बजाय एक मशहूर बॉलीवुड विलेन हैं।

इन सब के मद्देनजर इंदु सरकार एक ऐसी फिल्म है जिसे निश्चित रूप से देखना चाहिए, लेकिन इससे ज्यादा उम्मीदें नहीं करनी चाहिए क्योंकि सामान्यतः लोग मधुर भंडारकर के निर्देशन से अच्छी तरह परिचित हैं।