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राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश पर छाए चुनावी बादल

July 21, 2018
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राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश पर छाए चुनावी बादल

कर्नाटक राज्य में विधानसभा चुनाव के जोरदार और उत्साहपूर्ण समापन के बाद, प्रमुख राष्ट्रीय दलों की निगाहें इस साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों पर टिकी हुई हैं। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, लेकिन बहुमत की कमी के कारण भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा फ्लोर टेस्ट पास करने में नाकाम रहे और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। बीजेपी को तीनों राज्यों में राज्य विधानसभा चुनावों के लिए सत्ता विरोधी लहरों का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के कार्यालय में रमन सिंह और शिवराज सिंह चौहान दोनों अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करेंगें, जबकि वसुंधरा राजे राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करेगी। दूसरी तरफ, कांग्रेस को 2014 के लोक सभा चुनावों के बाद से मात्र कुछ राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों में चुनावी झटकों का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस जो कि सबसे पुरानी पार्टी है वो भी अब अपने सपनों की दुनिया से बाहर आती हुई नजर आ रही है अगर कांग्रेस इन तीनों राज्यों में जीत हासिल करती है तो यह जीत उसे पुन: अपने पैर जमाने और 2019 लोक सभा चुनावों के लिए अपनी पार्टी को पुन: सशक्त बनाने और अपना नेतृत्व साबित करने में मदद करेगी।

वसुंधरा राजे का शासन समाप्ति की ओर?

राजस्थान, पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से मशहूर है, यह एक प्रवृत्ति है जो दो दशकों से अधिक समय से इस राज्य में चली आ रही है। वसुंधरा राजे ने 2013 के विधानसभा चुनावों में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत के खिलाफ एक सफल अभियान चलाया। चुनावों के दौरान राज्य में 74 प्रतिशत राज्य मतदाताओं द्वारा मौके पर हुए मतदान में बड़े फेर- बदल का रिकॉर्ड देखा गया। वसुंधरा राजे की अगुआई में बीजेपी ने अपने पिछले चुनावी प्रदर्शन से 85 सीटों की बढ़ोत्तरी करते हुए, कुल 163 सीटें हासिल करके भारी जीत दर्ज की थी और इस बार राज्य में चुनावी इतिहास बनाने की जुगत में हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत पार्टी के लिए केवल 21 सीटें ही हासिल कर सके, जो पिछले चुनावी आंकड़ों से 75 सीटें कम  थी और इस प्रकार उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को अपने घाव भरने के लिए छोड़ दिया गया था। हालांकि, इस समय ‘राजस्थान की रानी’ के लिए यह स्थिति निराशाजनक दिख रही है क्योंकि वह पार्टी के भीतर चल रहे असंतोष का सामना कररही हैं, वही अलवर और अजमेर क्षेत्रों में लोक सभा सीटों के उप-चुनाव हाथ से निकल जाने के बाद पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी हाई कमान जल्द ही उस विश्वास को खो रहा है जो उन्हें उस समय था जब वह कांग्रेस को हराकर सत्ता में आई थी।

लगातार चौथे कार्यकाल के लिए शिवराज सिंह चौहान का नेतृत्व?

एक “बीमारू” राज्य से स्वर्ग के एक निवेशक तक, शिवराज सिंह चौहान ने धीरे-धीरे लेकिन व्यवस्थित रुप से मध्य प्रदेश राज्य में सुधार किया है। शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 13 साल से संचालन कार्य कर रहे हैं और उनकी राजनीतिक सफलता की यह कहानी कही भी समाप्त होती नजर नहीं आ रही है। मध्यप्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पीएम मोदी के शासनकाल को पीछे छोड़ दिया है। वह भाजपा के दूसरे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं और छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह इस पंक्ति में अगले दावेदार हैं। 2005 में शिवराज सिंह द्वारा शासनकार्य संभालने से पहले, मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं थी और राज्य का बुनियादी ढाँचा भी अव्यवस्थित था। हालांकि, इन्होंने निष्क्रिय अर्थव्यवस्था को बाहर निकालकर उसे विकास के रास्ते पर अग्रसर किया और अब मध्यप्रदेश एक सबसे तेज गति से विकसित होने वाला राज्य है। कांग्रेस, मुख्यमंत्री के खिलाफ सत्ता विरोधीलहर लाने की तलाश में है, क्योंकि उन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर विश्वास है, जो कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने की सोचरहे हैं जिसे किसी समय, बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान के उदय से पहले, कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। चुनाव प्रक्रिया शुरू होने पर शिवराज सिंह चौहान भाजपा प्रभारी होंगे | पार्टी, राज्य पार्टी के ढाँचे और मतदाताओं के बीच चौहान की महानता की छवि को प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है।

रमन सिंह – दि लोन वोल्फ

2000 में स्थापित, छत्तीसगढ़ राज्य को अलगाववादियों की मांगों पर सुलह होने के कई वर्षों बाद मध्यप्रदेश से अलग करके बनाया गया था।कांग्रेस नेता अजीत जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2003 में हुए दूसरे विधानसभा चुनावों में, रमन सिंह की अगुआई में सफल बीजेपी अभियान ने मौजूदा जोगी सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। तब से, नक्सली प्रभावित राज्य में 14 साल से बीजेपी के सर्वोच्च नेता संचालन कार्य को विकास की एक दिशा में तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। राज्य का दक्षिणी छोर नक्सली क्षेत्र रहा है, लेकिन रमन सिंह की सरकार के तहत चीजों में धीरे-धीरे से सुधार हुआ है। केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल के अंतर्गत शहर स्मार्ट शहरों में से एक है और राजधानी रायपुर तेजी से निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प के रूप में उभर रहीं है। राज्य ने सुशासन और नीति कार्यान्वयन के लाभों का फायदा उठाया है और इसे आर्थिक उन्नति और विकास के संदर्भ में सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। सरकार रमनसिंह के इस विस्वास के साथ कि वह चौथे कार्यकाल के लिए भी सत्ता में आ जाएंगे। हालांकि, एक ऐसे राज्य में जहाँ कांग्रेस और बीजेपी के बीच द्विध्रुवीय चुनावी प्रतियोगिता दिख रही है, लेकिन इस बार छत्तीसगढ़ में राजनैतिक नेतृत्व के लिए तीन-तरफा चुनावी प्रतियोगिता होगी। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कांग्रेस का साथ छोड़ते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी बनाने के लिए अपना मार्ग अलग किया है और जिसमें वे ‘किंग मेकर’ या एच डी कुमारस्वामी की तरह भूमिका निभाते नजर आएंगें। दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष भूपेश बागेल को अनुभवी व्हीलचेयर वाले जोगी और वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ मुख्यमंत्री के चेहरे के चेहरे के लिए चुनावी रण में उतारने की संभावना है।

 

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राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश पर छाए चुनावी बादल
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छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्य नए विधानसभा चुनावों का सामना करने के लिए तैयार हैं। बीजेपी इन सभी तीन राज्यों में सत्ता में है जबकि कांग्रेस अपने पुराने अस्तित्व को फिर से हासिल करने की कोशिश करेगी।
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