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भारत में आगामी राज्य चुनाव तय करेंगे 2019 लोकसभा चुनाव की राह?

October 17, 2018
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भारत में आगामी राज्य चुनाव तय करेंगे 2019 लोकसभा चुनाव की राह?

भारत निर्वाचन आयोग ने इन पांच राज्यों – मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की घोषणा 6 अक्टूबर 2018 को कर दी थी। हालांकि पहले चार राज्यों में वर्तमान सरकार का कार्यकाल जल्द ही समाप्त हो रहा है, जबकि तेलंगाना ने चुनाव से पहले ही अपनी राज्य विधानसभा भंग कर दी है।

मतदान का आयोजन 12 नवंबर से 7 दिसंबर तक किया जाएगा। 12 नवंबर को पहले चरण के मतदान के साथ मतदान की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। वास्तविकता तो यह है कि ये विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण होने के साथ 2019 लोकसभा चुनाव से पहले शायद अंतिम तलसीम हैं।

राज्यों का एक संक्षिप्त चुनावी इतिहास

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं, यह एकमात्र ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहाँ दो चरणों में मतदान होने हैं। जैसा कि छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना वर्ष 2000 में हुई थी, इसके बाद से राज्य दो मुख्यधारा राष्ट्रीय पार्टियों – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित है। छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यमंत्री रमन सिंह की अगुवाई में भाजपा लगभग (2003) 15 वर्षों से सत्ता में रही है।

मिजोरम

पांच राज्यों में से मिजोरम एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पर कांग्रेस की सरकार है। राज्य में लोकसभा से यह एकमात्र सीट है, जो वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के अधीन है। 40 विधानसभा क्षेत्रों के साथ, मिजोरम लंबे समय से या तो कांग्रेस या फिर मिजो नेशनल फ्रंट द्वारा शासित है। यहां कांग्रेस के ललथनहवला वर्तमान मुख्यमंत्री के रूप में 2013 से सत्ता में हैं। ललथनहवला पाँच बार निर्वाचित किए गए हैं जो मिजोरम के लिए एक रिकार्ड है।

राजस्थान

200 विधानसभा क्षेत्रों वाला राज्य राजस्थान, वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, दो बार- 2003 और 2008 में सत्ता में रह चुकीं हैं और 2013 के बाद से अब तक वह सत्ता में हैं। वह इस पद को संभालने वाली पहली महिला हैं।

 

1980 के दशक से, राज्य की सत्ता, कांग्रेस और बीजेपी के बीच स्थानांतरित होती आ रही है, जिसमें कांग्रेस का पल्ला भारी रहा है। कांग्रेस से सबसे लंबे समय 17 साल तक अपने कार्यकाल को संभाले रहने वाले मुख्यमंत्री मोहन लाल सुखाड़िया थे।

मध्य प्रदेश

सभी पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 230 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। मध्य प्रदेश राज्य में शिवराज सिंह चौहान द्वारा लगभग 13 वर्षों तक मुख्यमंत्री पद को संभालने के साथ भारतीय जनता पार्टी 2003 से सत्ता में है। 1993-2003 तक कांग्रेस के प्रमुख नेता और मौजूदा महासचिव दिग्विजय सिंह ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में दो बार पदभार संभाला है। 259 दिनों तक मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने वाली बीजेपी नेता उमा भारती राज्य की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं।

तेलंगाना

तेलंगाना राज्य का गठन काफी संघर्ष और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद 2014 में हुआ था, तेलंगाना देश में नव गठित राज्य है। के. चंद्रशेखर राव, जिन्हें केसीआर के रूप में भी जाना जाता है, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के पहले मुख्यमंत्री हैं। जून 2014 में कार्यकाल संभालने के बाद वह सितम्बर 2018, विधानसभा भंग होने, तक सत्ता में रहे। यह विधानसभा भंग होने की वजह से ही है कि तेलंगाना राज्य में जो चुनाव, कार्यकाल समाप्त होने के बाद होने था वह जल्द या फिर 2019 के मध्य होने की संभावना है। राज्यपाल की सिफारिश पर, जब तक नई सरकार नहीं बनाई जाती तब तक केसीआर कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। राज्य में 119 विधानसभा क्षेत्र हैं।

ये चुनाव इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?

चुनाव आयोग द्वारा आधिकारिक तौर पर पांच राज्यों के लिए मतदान की तारीख की घोषणा से कुछ समय पहले केंद्र को लगातार पेट्रोल की बढ़ती कीमतों की वजह से कड़ी आलोचना सहनी पड़ी है। सूत्रों का कहना है कि राज्य विधानसभा चुनावों के चलते तेल की कीमतों में अब कटौती कर दी गई है, जिसकी मांग जनता लंबे समय से कर रही थी। और क्यूं नहीं? इन पांच राज्यों में से तीन राज्यों में वर्तमान समय में भाजपा का शासन जो है। पार्टी स्वाभाविक रूप से सिर्फ सत्तारूढ़ राज्यों की सत्ता को ही नहीं, बल्कि शेष दो राज्यों- तेलंगाना और मिजोरम में अपने प्रभुत्व का विस्तार करने की योजना बना रही है।

इस बार भाजपा की हार का मतलब 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले अपनी लोकप्रियता और आत्मविश्वास के लिए एक बड़ा झटका होगा। इस स्थित से कांग्रेस को भी बहुत बड़ा लाभ मिल सकता है। जब भाजपा 2014 में सत्ता में आई, तो इसकी जीत एक विशाल और ऐतिहासिक जीत थी। तब से पार्टी ने खुद को बहुत ही प्रबल दावेदार के रूप में पेश किया है। इस छवि के साथ इसे एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी निभानी है।

यदि आगामी चुनावों में पार्टी अपने किसी भी शासित राज्य को खो देती है, तो यह इसकी प्रतिष्ठा में एक बड़ी क्षति होगी और इसके साथ यह अपनी लोकप्रियता बढ़ने के दावों को भी खो देगी। दूसरी ओर, राहुल गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, देश के लोगों के लिए जोरदार वापसी का वायदा भी कर रही है। इसलिए, भले ही कांग्रेस वर्तमान में भाजपा द्वारा शासित किसी एक राज्य पर जीत हासिल कर पाने में सफल होती है, फिर भी इसे 2019 के लोकसभा चुनावों में एक साहसिक वापसी के रूप में देखा जाएगा।

क्या है मौजूदा हालात – ओपीनियन पोल पर एक नजर

एनडीटीवी द्वारा हाल ही में किए गए एक ओपीनियन पोल में यह सुझाव दिया गया कि भाजपा के कब्जे वाले तीन राज्यों में से 2 राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता परिवर्तन की संभावना है, यह राज्य कांग्रेस के हाथ लग सकते हैं। चूँकि छत्तीसगढ़ में स्थिति के ज्यादा घातक होने की उम्मीद है, जबकि राजस्थान में कांग्रेस की संभावनाएं ज्यादा आशाजनक दिख रही हैं। एबीपी न्यूज द्वारा किए गए एक दूसरे सर्वेक्षण में तीनों राज्यों में कांग्रेस की जीत के लिए सकारात्मक संभावनाओं की भविष्यवाणी की गई है, राजस्थान में एक आसान जीत इसके हाथ लगने वाली है।

छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों में बीजेपी लगभग 15 वर्षों तक सत्ता में रही है, दोनों राज्य के मुख्यमंत्रियों को लगातार चौथे कार्यकाल में प्रवेश करने की उम्मीद है। जबकि जनमत सर्वेक्षण इन दो राज्यों में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा दिखाते हैं, लेकिन कांग्रेस को लोगों का बेहतर समर्थन मिला है। मज़े की बात यह है, एबीपी सर्वेक्षण के अनुसार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिस्थित अनकूल है, लोग अभी भी अपने संबंधित राज्यों में मुख्यमंत्री के रूप में रमन सिंह और शिवराज सिंह चौहान को पसंद करते हैं।

राजस्थान में राजे सरकार मध्यप्रदेश या छत्तीसगढ़ की तुलना में अपनी लोकप्रियता और स्थिति को बरकरार रखने के लिए सबसे ज्यादा संघर्ष कर रही है। राजे को दोनों आंतरिक मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही राज्य भर में सत्ता विरोधी लहर में भी इजाफा हुआ है। दोनों चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के वोट बैंकों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर दिखाते हैं, कांग्रेस ने एक महत्वपूर्ण नेतृत्व को बनाए रखा है।

तेलंगाना और मिजोरम के बारे में बात करें तो केसीआर पहले से ही एक महत्वपूर्ण लोकप्रियता का लाभ उठा रहे हैं। उनकी पार्टी एकबार फिर से सत्ता में आने के लिए आश्वस्त है, स्थिति इस समय दिलचस्प लग रही है। मिजोरम में, कांग्रेस और एक क्षेत्रीय पार्टी – मिजो नेशनल फ्रंट के बीच कड़ी टक्कर बनी हुई है।

निष्कर्ष

इन राज्यों में कौन सी पार्टी अपना प्रभुत्व स्थापित कर पाने में कामयाब हो पाएगी, के परिणाम अंतिम युद्ध 2019 में एक निर्णायक भूमिका निभाएंगे। पूरे देश में पहले से ही इन चुनावों को लेकर गर्मा-गर्मी का माहौल है और राजनीतिक दलों ने तैयारी में लंबा समय लगाया है। यदि सत्तारूढ़ पार्टी छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान पर अपनी पकड़ बनाए रखने का प्रबंध कर पाती है, तो यह लोकसभा चुनावों के लिए जीत का मास्टरस्ट्रोक होगा। हालांकि, अगर एक भी राज्य सत्तारूढ़ पार्टी के हाथ से निकल जाता है, तो यह दूसरी बार जीत की संभावनाओं के लिए एक बड़ा झटका होगा।

क्या भगवा पार्टी एक बार फिर से सत्ता में आने में कामयाब हो पाएगी या नव निर्मित अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर से जीत के लिए अपनी पार्टी का नेतृत्व करेंगे? यह सब जानने के लिए हमें अभी कुछ और महीनों का इंतजार करना होगा।

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क्या भारत में आगामी विधानसभा चुनाव से ही प्रशस्त होगी 2019 लोकसभा चुनाव की राह?
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भारत निर्वाचन आयोग ने इन पांच राज्यों - मिजोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की घोषणा 6 अक्टूबर 2018 को कर दी थी। क्या भगवा पार्टी एक बार फिर से सत्ता में आने में कामयाब हो पाएगी या नव निर्मित अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर से जीत के लिए अपनी पार्टी का नेतृत्व करेंगे?
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