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बजट 2018: एक विश्लेषण

February 3, 2018
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बजट 2018: एक विश्लेषण

1 फरवरी को 2018 के लिए पेश किए गए बजट को किसान समर्थक और गरीबों का बजट के रूप में वर्णित किया गया है, लेकिन मध्यवर्गीय वेतनभोगी भारतीयों को इसमें काफी हद तक नजरअंदाज कर दिया गया है।

हालांकि, केंद्रीय बजट 2018 से कई लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि यह व्यक्तिगत करदाताओं की कर देयता को कम करने के लिए आयकर संरचना में बदलाव कर देगा। लेकिन बजट में व्यक्तिगत कर संरचना में किसी भी प्रकार के परिवर्तन का कोई सुझाव नहीं दिया गया है। सरकार ने वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए मानक कटौती को पुनः लागू करने का प्रस्ताव रखा है, जिसे वित्त अधिनियम 2005 द्वारा समाप्त कर दिया गया था। हालांकि, इस लाभ की पुन: प्रस्तुति से व्यक्तिगत कर मूल्यांकन के कुल कर खर्च में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होगा। यह मौजूदा चिकित्सा प्रतिपूर्ति और परिवहन भत्ते के बदले में उपलब्ध कराया गया है। मानक कटौती को दोबारा शुरू करने के अलावा, वित्त मंत्री ने प्रत्यक्ष करों में किसी अन्य बड़ी राहत की पेशकश नहीं की है। इसके अलावा, आयकर पर सेस (ऐसा उपकर जो टैक्स पर लगता हो) को 3 से 4 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है।

छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए, निगमित कर की दर में कटौती जैसे उपाय

2017 के बजट में, छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एमएसएमई) के लिए एक महत्वपूर्ण पहल देखी गई थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में घोषणा की, जिन कारोबारों का टर्न ओवर 50 करोड़ या इससे कम है, उनके लिए कॉरपोरेट आय की दर में 5% कमी की जाएगी। इसका मतलब यह है कि अब कॉर्पोरेट आयकर दर प्रभावी रूप 30% से घटकर 25% हो जाएगी।

इस प्रस्ताव से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को काफी मदद मिलेगी और छोटे व्यवसाय के मालिकों को उनके व्यवसायों को स्थापित करने और उन्नत करने के लिए काफी प्रोत्साहन मिलेगा।

वरिष्ठ नागरिक

इस बजट से वरिष्ठ नागरिकों पर कर (टैक्स) का बोझ कम पड़ेगा। वरिष्ठ नागरिकों के डिपोजिट पर मिलने वाले ब्याज को कर मुक्त कर दिया गया है। बैंक एवं डाकघरों में कर (टैक्स) छूट के लिए जमाराशि की सीमा 10 हजार रूपये से बढ़ाकर 50 हजार रूपये कर दी गई है। इस प्रकार स्रोत पर कर कटौती की आवश्यकता नहीं रह जाएगी।

ग्रामीण किसान और गरीब

इस बजट से किसानों को फायदा होगा, क्योंकि ग्रामीण परिवारों में और अधिक बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार ने प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली प्रदान करने के लिए 16,000 करोड़ रुपये प्रदान करने का फैसला किया है। सरकार ने यह भी कहा है कि खरीफ फसलों के समर्थन मूल्यों की कीमत उत्पादन की लागत से 50 प्रतिशत अधिक होगी और अगले साल के लिए कृषि ऋण लक्ष्य का मुद्दा उठाया जाएगा।

वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 10 करोड़ गरीब और पिछड़े परिवारों को 5 लाख रुपये प्रति वर्ष स्वास्थ्य कवर (हेल्थ कवरेज) का प्रस्ताव दिया है। इस योजना से 50 करोड़ भारतीय नागरिकों को लाभ होगा।

2018 का बजट एक चुनावी बजट है और इस बजट में समाज के ग्रामीण और गरीब वर्ग को ध्यान में रखा गया है। हालांकि, इस बजट के कार्यान्वयन से लोगों को प्राप्त होने वाले वास्तविक लाभ 2019 के चुनावों के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।