तमिलनाडु की कट्टूबावा मस्जिद: शांति और सद्भाव का प्रतीक

स्थान: पदुकोट्टाई जिला, तमिलनाडु

देश में सबसे ज्यादा हिंदू मंदिरों के लिए पहचाने जाने वाले शहर में कोई मस्जिद मिलने की संभावना बहुत कम लगती है। हर संभावना किसी अज्ञात को खोजने का अवसर होता है, इसलिए मुझे मंदिरों के इस राज्य में एक बहुत पुरानी मस्जिद मिल ही गई। करीब 500 साल पहले बनी ये मस्जिद जिसे कट्टूबावा मस्जिद या कट्टूबावा पल्लीवसल कहते हैं, तमिलनाडु में बहुत मशहूर है। पदुकोट्टाई-मदुराई राजमार्ग पर स्थित यह मस्जिद मध्य भारत का एक उल्लेखनीय इस्लामी तीर्थ केन्द्र है।

खूबसूरत संरचना वाली कट्टूबावा मस्जिद में बाबा फकरुद्दीन की मजार है। उनका लोकप्रिय नाम कट्टूबावा था और वह सम्माननीय संत नागौर शाहुल हमीद के पोते थे। यह मस्जिद अंदर से जितनी शांतिपूर्ण है उतनी ही बाहर से शांत लगती है। महीन कारीगरी के साथ इसकी वास्तुकला सचमुच अभूतपूर्व है। मस्जिद के ठीक सामने एक गेस्ट हाउस है, जो तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए उत्तम है। प्रति दिन माॅलिद शरीद सुबह छह बजे शुरु होता है।

कट्टूबावा मस्जिद शांति और सद्भाव का प्रतीक है और यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग आते हैं। यहां सालाना उर्स वसंत के दूसरे महीने में रबी-उल-आखिर के माह में आयोजित होता है। मुसलमानों और सूफी संतों के अनुसार कट्टूबावा मस्जिद दिवंगत संत के आशीर्वाद पाने का माध्यम है।

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अंतिम संशोधन : नवंबर 7, 2014