चैन्नई का विवेकानंद हाउस

चैन्नई का विवेकानंद हाउस: स्वामी विवेकानंद के अनुयायियों के लिए एक तीर्थ यात्रा

स्थान: कमाराजार सलाई, ट्रिपलिकेन, चैन्नई, तमिलनाडु

साल 2013-14 में स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती है। स्वामी विवेकानंद ने ही पश्चिमी दुनिया को भारतीय दर्शन का परिचय करवाया था। भारतीय समाज में स्वामी विवेकानंद के योगदान के लिए और उन्हें सम्मानित करने के लिए उस स्थान की बात करते हैं जो उनसे बहुत गहराई से जुड़ा है। विवेकानंद हाउस या विवेकानंद इल्लम चेन्नई का एक संग्रहालय है, जो स्वामी विवेकानंद के शिष्यों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। सन् 1897 की अपनी पश्चिम की यात्रा से लौटने के बाद स्वामी विवेकानंद यहीं रुके थे। इसलिए इस जगह को एक तीर्थ स्थान के तौर पर देखा जाता है।

टाइस किंग फ्रेडरिक टूडो द्वारा सन् 1877 में निर्मित विवेकानंद हाउस को शुरुआत में आइस हाउस भी कहा जाता था। अंग्रजों ने इस भवन का इस्तेमाल 30 साल तक उत्तरी अमेरिका से आयातित बर्फ रखने के लिए किया था। उनके व्यापार के बंद होने पर यह भवन स्वामी विवेकानंद के एक अनुयायी बिलिगिरी आयंगर को बेच दिया गया। श्री रामकृष्ण मठ की स्थापना इसी जगह की गई और मठ ने दस साल तक यहां से काम किया। वर्तमान में इस प्रतिष्ठित भवन में स्वामी विवेकानंद का संग्रहालय है, जहां उनके जीवन और शिक्षा से जुड़ी वस्तुएं प्रदर्शित हैं।

विवेकानंद हाउस दो मंजिला है और वास्तुकता की विक्टोरियन शैली में बना है। जिस कमरे में स्वामीजी ठहरे, जिस टेबल पर खाना खाया, जिस रसोई में उन्होेंने भोजन पकाया और ऐसे अन्य स्थान श्रद्धालुओं के देखने के लिए खुले हैं। पहली मंजिल पर चित्रकला का भाग है और दूसरी मंजिल पर स्वामी विवेकानंद के जीवन काल की तस्वीरें हैं। स्वामीजी से जुड़ी हर स्मृति उनके सिद्धांतों के बारे में बहुत कुछ बताती है।

समय: सुबह 10 से दोपहर 12 और अपरान्ह 3 से शाम 7 तक
विवेकानंद हाउस बुधवार को बंद रहता है।

प्रवेश शुल्क: 10 रुपये वयस्कों के लिए और 5 रुपये 3-12 साल तक के बच्चों के लिए।

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अंतिम संशोधन : नवंबर 4, 2014