अमृतसर ट्रेन त्रासदी – दोषी कौन?
भारत में इस साल दशहरा पर्व की शुरुआत दिल दहला देने वाली घटना के साथ हुई। अमृतसर में जौड़ा फाटक 19 अक्टूबर 2018 की शाम को हुई एक त्रासदी का साक्ष्य रहा। इस घटना को भुला पाना आसान नहीं है। लगभग 500 लोग रावण दहन को देखने के लिए एक रेलवे ट्रैक के पास इकट्ठा हुए थे। यह इस उत्सव के दरमियान था कि लोग रावण दहन को बेहतर तरीके से देखने के लिए रेल की पटरियों पर खड़े हो गए।
सूत्रों के अनुसार, पटाखों और लोगों के शोर की वजह से उन लोगों को आ रही ट्रेन का हॉर्न सुनाई नहीं दिया। इस वजह इस ट्रेन त्रासदी से लगभग 61 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, और कई घायल हो गए। जैसा कि मृतकों और घायलों के परिवार पर इस घटना के बाद दुख का पहाड़ टूट गया है, देश सवालों के कठघरे में है। बड़े पैमाने पर हुई इस दुखद घटना का दोषी कौन है?
कैसे हुई यह त्रासदी
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पहले से ही इस दुर्घटना, जिसने दशहरा उत्सव के रंग में भंग कर दिया, में मजिस्ट्रेट जाँच का आदेश दिया है।
शुक्रवार की शाम को, दशहरा समारोह के लिए धोबी घाट मैदान पर भारी संख्या में भीड़ इकट्ठा हुई थी। हालांकि कई लोग पहले से ही पटरियों के पास खड़े हो गए थे, ताकि ऊंचाई का लाभ उठाकर जलते हुए रावण का दृश्य स्पष्ट रूप से देख सके। इस हंगामें के बीच, पटाखों के चमकते शोर के साथ, किसी को भी ट्रेन का हॉर्न नहीं सुनाई दिया। एक ट्रेन जालंधर से अमृतसर की ओर पूरी रफ्तार के साथ आई, जिसने कई लोगों की जान ले ली। दुर्भाग्यवश, उसी वक्त दो विपरीत दिशाओं से एक साथ दो ट्रेनें आईं और लोगों को बचने का बहुत कम समय मिला।
बचाव अभियान जल्द ही शुरू हो गया था, भीड़ अभी भी सदमें में थी। मुख्यमंत्री ने रेल दुर्घटना में घायल सभी घायलों के मुफ्त उपचार की घोषणा कर दी है। पंजाब सरकार ने 20 अक्टूबर को राजकीय शोक के रूप में घोषित कर दिया, सभी कार्यालयों और शैक्षिक संस्थानों को बंद कर दिया गया।
दोषारोपण का खेल
इस घटना के बाद देश की पिछली घटनाओं को भी कुरेदा जा रहा है, स्वाभाविक रूप से लोग नहीं जानते कि क्यूं चीजें इस तरह का गंदा टर्न लेती हैं। घटनास्थल पर मौजूद लोगों के अनुसार, लोगों की भीड़ के बावजूद दोनों ट्रेनों की रफ्तार कम नहीं हुई, ये ट्रेने अपनी नियमित रफ्तार से चली आ रहीं थी। इसलिए उंगलियां उठती हैं रेलवे पर। हालांकि, पंजाब और रेलवे पुलिस द्वारा पहली ट्रेन के चालक से पूछताछ की जा रही है। उसके अनुसार, उसे आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी का संकेत दिया गया था, जिसमें दशहरा समारोह के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
पूछे जाने पर कि चालक ने ट्रेन की रफ्तार को धीमा क्यों नहीं किया, एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा है कि “गाड़ी का चालक नशे में इतना धुत था कि उसे कुछ दिखाई तक नहीं पड़ रहा था और वह पीछे मुड़कर किसी से बातचीत भी कर रहा था”। उस क्षेत्र में ट्रैक पर दो क्रॉसिंग हैं, दोनों बंद थे। यह मेन लाइन है। इसके अलावा, रेलवे विभाग ने कहा है कि इस तरह के समारोह की कोई सूचना उनके पास नहीं थी जैसा कि चालक का भी यही बयान है।
पुलिस के मुताबिक, समारोह के आयोजकों ने बताया कि कांग्रेस के अधिकारी भूमिगत हो गए हैं और अब तक इसका पता नहीं लगाया गया है। स्थानीय लोग कहते हैं कि रावण दहन इसी जगह पर 20 से अधिक वर्षों से हो रहा है, और यह भी कहा कि इस क्षेत्र से गुजरी दो अन्य ट्रेनों ने अपनी रफ्तार धीमी कर ली थी।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि ट्रेन अपनी आवंटित गति से चल रही हैं, और शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक चालक ने ट्रेन को धीमा कर ब्रेक लगाया था।
त्रासदी के लिए जिम्मेदार कौन?
हर दूसरी गलत घटना के साथ इस घटना पर कई उंगलियां अलग-अलग दिशाओं में उठ रहीं हैं। रेलवे विभाग का कहना है कि स्थिति अधिक घातक हो सकती थी, अगर ड्राइवर ने आपातकालीन ब्रेक लगाए होते तो रेल पटरी से उतर सकती थी। अव्यवस्था और गड़बड़ी के बीच, प्रश्न अभी भी उठ रहा है- इतने सारी जिंदगियों के लिए जिम्मेदार कौन होगा जो असामयिक और गलत तरीके से इस दुनिया से चले गए?
एक बात तो निश्चित है- त्रासदी पर राजनीतिकरण या नकदी सबसे जटिल समस्या है जिसने इस तरह की घटना को अंजाम दिया। कहने का मतलब यह नहीं है कि न्याय नहीं किया जाना चाहिए, कहने का मतलब यह है कि इस तरह की अमानवीय घटनाओं का सामना करने वाली हमारी मानवता का अंत नहीं होना चाहिए। एक घटना जो बड़े पैमाने पर शोर और लोगों, जो रेल की पटरियों से 50 मीटर की दूरी पर नहीं थे, की वजह से घटित हुई। यह जिम्मेदारी स्थानीय अधिकारियों की है कि वे लोगों को नियम तोड़ने करने से रोकें। दूसरा, अगर रेलवे विभाग समारोह को लेकर पहले से ही जागरुक होता और ट्रेनों की रफ्तार को कम कर दिया गया होता जिससे इस त्रासदी को कम किया जा सकता था।
इस दर्दनाक घटना ने तत्काल अन्तरावलोकन की मांग की है। उन्हें कभी सतर्कता या सुरक्षा में चूक नहीं करनी चाहिए। सीसीटीवी फुटेज ट्रेन के पास लोगों की भीड़ और ट्रेन की पटरियों के पास सेल्फी लेने वालों को दिखाता है। भले ही अधिकारियों- चाहे वह रेलवे या संयोजक हों- बेहतर सुरक्षा उपाय कर सकते हैं, सबसे पहले हमें अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
कहा जा रहा है कि पूरा देश इस हादसे का शिकार हुए लोगों को सांत्वना दिलाने के लिए उनके साथ है। बेशक, चीजों को सामान्य होने में अभी काफी वक्त लगेगा। लेकिन हम एकजुट होकर खड़े हैं।