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भारत में इलेक्ट्रिक वाहन: भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर का भविष्य

November 23, 2017
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भारत में इलेक्ट्रिक वाहन

देश में इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण उद्योग को क्या भविष्य में एक विशाल कदम कहा जा सकता है। राज्य की स्वामित्व वाली तेल और गैस कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) ने देश में पहली बार इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन के शुभारंभ की घोषणा की। महाराष्ट्र के नागपुर शहर के आईओसी पेट्रोल पंप में यह स्टेशन स्थापित किया गया है। यह इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन आईओसी और लोकप्रिय टैक्सी-ऑन-कॉल सेवा (काल करने पर आने वाली) प्रदाता, ओला दोनों के बीच सहयोग से स्थापित किया गया है। “भारत का प्रमुख तेल रिफाइनर (परिष्कारक) और विक्रेता आईओसी अपने मुख्य व्यवसाय के एक हिस्से के रूप में, पारिस्थितिक स्थिरता को बढ़ावा देने पर जोर दे रहा है। आईओसी ने एक बयान में कहा है कि “ओला के साथ यह साझेदारी भविष्य के लिए एक उचित कदम है, क्योंकि हम कल्पना कर सकते हैं कि आने वाले वर्षों में भारत में यात्रा करना कितना मुश्किल हो जाएगा।” जब से आईओसी ने देश में अपनी तरह के पहले इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन मॉडल को अंगीकृत किया है, तब से नागपुर शहर इसके शुभारंभ की प्रतीक्षा कर रहा है।

समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि इसके करीब 200 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन और 56,000 पेट्रोल पंप हैं। हालाँकि, ये इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन जनता के लिए उपलब्ध नहीं हैं।

इलेक्ट्रिक (बिजली वाले) वाहनों की स्वीकृति

अपनी कारों और दो पहिया वाहनों के मालिकों के लिए, भारत निश्चित रूप से बिजली के वाहनों के साथ-साथ बहुत कुछ प्रतिदान करने के लिए बेहद असम्मत रहा है। अभी तक, रेवा इलेक्ट्रिक कार केवल एक मात्र ऐसा इलेक्ट्रिक वाहन था, जिसके बारे में अधिकांश भारतीयों ने सुना था। दूसरी तरफ, भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक वाहनों में बड़े पैमाने पर बदलाव करने के लिए, अपनी अति महत्वाकांक्षी योजना के साथ आना शुरू कर दिया है। इसका मतलब यह है कि यदि सरकार इस नीति को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करती है, तो भारत की सड़कों पर पेट्रोल और डीजल के वाहनों की बजाय, अधिकांश बिजली से चलने वाले वाहन होगें। सीएनजी वाहनों का भी प्रचलन धीरे धीरे कम किया जाएगा। अपने आप में यह एक अद्भुत योजना है।

यात्रियों द्वारा बिजली के वाहनों को अपनाने से भारत तेल आयात में लगभग 300 अरब डॉलर (120 लाख करोड़ रुपए) बचाने में सक्षम होगा। इससे कार्बन पदचिह्न (कार्बन डाई-ऑक्साइड) में भी महत्वपूर्ण कमी देखने को मिलेगी। इस तरह का बदलाव कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को लगभग 1 गीगाटन तक कम कर देगा। भारत में इस योजना के तहत वर्ष 2030 तक बिजली वाले दो, तीन और चार पहिया वाहनों की बिक्री की कीमत 460 लाख आँकी जा रही है। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री अर्थात भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट ने एक रिपोर्ट में कहा कि “यह वार्षिक बाजार वाली भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी होने के अवसर प्रदान करेगा”।

हालाँकि भारत की महत्वाकांक्षी योजना, भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत फायदेमंद है, लेकिन इसे प्राप्त करना थोड़ा मुश्किल है। इसकी तीन महत्वपूर्ण बाधाएं हैं, जिनका निपटारा करके सफलता हासिल की जा सकती है। पहली बाधा है उपभोक्ता जागरूकता। दूसरी चार्जिंग स्टेशनों की उपलब्धता है। नागपुर में पहली बार तेल कंपनी प्रायोजित चार्जिंग स्टेशन के शुभारंभ से हमें उम्मीद है कि पेट्रोल पंपों के साथ मिलकर विद्युत चार्जिंग स्टेशन पूरे देश में आसानी से सुलभ होंगे। तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बाधा विद्युत वाहनों की कीमत है, जिसे संभवतः दूर करना होगा। भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार अधिक मूल्य का  निर्धारण करता है और इस योजना के लिए सरकारी सब्सिडी और इन ईवी की कीमत को कम करने के लिए, भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार को प्रोत्साहित करने के लिए काफी लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा, बदले में उपभोक्ता पेट्रोल और डीजल वाली कारों का विकल्प चुनने के लिए बाध्य हो जाएंगें।

अधिक ईवी विनिर्माण योजनाएं

सरकार की ईंधन से विद्युत चालित वाहनों के लिए, बड़े पैमाने पर बदलाव शुरू करने की घोषणा ने उद्योग को एक नया आयाम दिया है। हर दिन नई पहल और नई योजनाओं की घोषणा की जा रही है। हाल ही में, टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन और सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन ने ईवी विनिर्माण के क्षेत्र में अपना सहयोग देने की घोषणा की है। दोनों कंपनियाँ मिलकर ईवीएस का निर्माण करेंगी, जिसकी बदौलत वर्ष2020 तक भारतीय बाजारों में विद्युत चालित वाहन आने में सफल होंगे। महिंद्रा एंड महिंद्रा द्वारा विद्युत चालित कार क्रांति लाने के असफल प्रयास के बाद, हम उम्मीद करते हैं कि इन दोनों ऑटोमोबाइल दिग्गजों के बीच सहयोग, भविष्य में परिवर्तन की नई लहर लाएगा। सुजुकी भारत की अग्रणी ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी है और देशभर के लगभग 50 प्रतिशत यात्री मारुति-सुजुकी की कारों का उपयोग करते हैं।