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शेल कंपनियाँ क्या हैं और सरकार उन्हें जब्त क्यों करना चाहती है?

October 9, 2017
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शेल कंपनियाँ क्या हैं और सरकार उन्हें जब्त क्यों चाहती है?

सरकार ने काले धन और बेईमान कंपनियों को बाहर निकालकर अर्थव्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए ठोस प्रयास शुरू किए हैं। अगस्त के महीने में, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने 331 संदेहास्पद शेल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों के निर्देश जारी किए। स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि करीब 1.75 लाख शेल कंपनियों को विपंजीकृत कर दिया गया है।

शेल कंपनियाँ क्या हैं?

वर्तमान समय में, भारत में शेल कंपनियों की स्पष्ट परिभाषा नहीं है। हालांकि, यूएस (अमेरिका) में शेल कंपनी की एक स्पष्ट परिभाषा है। एक शेल कंपनी को उस संगठन के रूप में माना जा सकता है, जिनके पास कोई भी सक्रिय व्यवसाय संचालन नहीं है और न ही इनके पास कोई महत्वपूर्ण संपत्तियाँ हैं, कुछ शेल कंपनियों को वैध उद्देश्यों के लिए स्थापित किया गया है। हालाँकि, ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अवैध उद्देश्यों के लिए ऐसी कंपनियों को स्थापित किया हैं।

शेल कंपनी का अवैध उपयोग

भारत सरकार ने शेल कंपनियों पर कार्रवाई करने का आदेश दिए हैं, क्योंकि ये कंपनियाँ अवैध उद्देश्यों के लिए स्थापित की गई हैं, जो अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेय हैं। इन कंपनियों को ऐसी गतिविधियों जैसे करों के भुगतान से बचने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाना) इत्यादि के लिए स्थापित किया जाता है। यह फर्जी कंपनियाँ काले धन को सफेद धन में बदलने का उपयुक्त साधन हैं, इन कंपनियों में सभी लेन-देन कागज पर वैध रूप में दिखाए जाते हैं। यह कंपनियाँ भौतिक रूप से अस्तित्व में नहीं होती है और इनका नाम केवल कागज पर मौजूद हैं। इसलिए, यह कंपनियाँ किसी भी तरह की आर्थिक गतिविधि का संचालन, जैसे कि उत्पाद का निर्माण करना या अपने ग्राहकों को सेवा प्रदान नहीं करती है।

सरकार शेल कंपनियों को जब्त क्यों करना चाहती है?

यह कहना गलत होगा कि सभी शेल कंपनियाँ अवैध गतिविधियों में शामिल हो रही हैं। ऐसी कई कंपनियाँ हैं, जो कि निष्पक्ष तरीके से व्यवसाय संचालित कर रही हैं। लेकिन अवैध उद्देश्यों के लिए स्थापित शेल कंपनियों की संख्या चौंका देने वाली है और यह उन गतिविधियों का सहारा ले रही हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक हैं। सितंबर के महीने में यह बताया गया था कि शेल कंपनियों के आधार पर सरकार ने 200,000 व्यापारिक कंपनियों को बंद कर दिया है।

काले धन के खतरे से लड़ने के लिए, शेल कंपनियों पर अनुचित कार्यों की श्रेणी में आने वाले कड़े कदम उठाना आवश्यक है। सरकार का लक्ष्य, इन फर्जी कंपनियों द्वारा होने वाले मनी लाडरिंग के उद्देश्यों और कॉर्पोरेट ढंग के दुरुपयोग को रोकने के लिए अवैध प्रयोजनों को अपनाना है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

सरकार ने शेल कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करने का फैसला लिया है। अगस्त में स्टॉक एक्सचेंजों को 331 शेल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। इन कंपनियों पर भविष्य में भी व्यापार करने से रोक लगा दी जाएगी। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने 2,00,000 से अधिक डिफॉल्ट वाली कंपनियों के पंजीकरण को रद्द कर दिया है। करीब 106,578 निदेशकों को उन कंपनियों के साथ संबद्ध करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, जिन्होंने तीन साल तक वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किया है।

संभवतः, सरकार को अवैध व्यवसाय में लिप्त शेल कंपनियों के खिलाफ सिस्टम को साफ करने के लिए कड़े कदम और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए काफी लंबा रास्ता तय करना होगा।