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क्या राष्ट्रीय राजधानी इस वर्ष तोड़ देगी वायु प्रदूषण स्तर का रिकार्ड?

October 31, 2018
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क्या राष्ट्रीय राजधानी इस वर्ष तोड़ देगी वायु प्रदूषण स्तर का रिकार्ड?

जैसा कि दिल्लीवासी सर्दियों का स्वागत करने के लिए तैयार हैं, इसके साथ ही वायु गुणवत्ता सूचकांक एक बार फिर सरकार और यहां के निवासियों को चिंतित करने वाले खतरनाक स्तर के साथ लोगों पर अपना कहर बरपाने के लिए भी तैयार है। दिल्ली में वायु प्रदूषण एक बढ़ती सार्वजनिक चिंता का विषय बन गया है जो मीडिया के अनावश्यक ध्यान के साथ राज्य को सबसे अधिक शोध किए गए शहरों में से एक बना रहा है। सरकार और दिल्लीवासियों द्वारा किए जा रहे संभावित उपायों के बावजूद भी इस बढ़ते वायु प्रदूषण को रोक पाना काफी मुश्किल लग रहा है।

पिछले कई सालों में, धीमी हवाओं और गिरते तापमान के कारण अक्टूबर-नवंबर के महीनों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कमी देखी गई है। प्रदूषण जैसे धूल के कण, स्टबल बर्निंग, वाहनों और उद्योगों द्वारा उत्सर्जित धुंए से राष्ट्रीय राजधानी व्यावहारिक रूप से गैस चेंबर में तब्दील होती जा रही है। मई 2018 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 14 लाख से अधिक आबादी वाले विश्व की मेगासिटी के लिए एकत्रित वायु गुणवत्ता आंकड़ो के आधार पर दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया था।

नवंबर 2017 में, शहर की हवा प्रदूषण के सहनीय स्तर से परे अत्यधिक प्रदूषित हो गई है। दिल्ली ने दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर बीजिंग को भी पीछे छोड़ दिया है, इसके बाद वायु में उसी वर्ष दस गुना बढ़ोत्तरी के साथ वायु प्रदूषक तत्वों को देखा गया। पिछले साल दिल्ली में वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए उठाए जाने वाले एक कदम के रूप में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी के कुछ क्षेत्रों में पटाखा बिक्री लाइसेंस जारी करने की संख्या कम कर दी थी क्योंकि इससे पूरा शहर कई दिनों तक जहरीले धुंए से घिरा रहता है।

इस साल, सरकार ने 15 अक्टूबर 2018 से राष्ट्रीय राजधानी में ‘बहुत खराब और ‘गंभीर’ वायु प्रदूषण के स्तर से लड़ने के लिए आपातकालीन कार्य योजना “ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरपी)” तैयार किया है। कार्रवाई की पहली योजना डीजल जेनरेटर पर प्रतिबंध लगा रही थी, एक समय जब दिल्ली पहले से ही अक्टूबर के पहले दो हफ्तों में नौ दिनों के ‘खराब’ वायु गुणवत्ता से निपट रही है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक: दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर पर एक प्रामाणिक रिपोर्ट कार्ड

वायु गुणवत्ता सूचकांक अब प्रत्येक दिल्लीवासी के लिए एक परिचित शब्द बन गया है। यह सूचकांक न केवल किसी भी शहर के प्रदूषण स्तर की एक तस्वीर प्रदर्शित करता है बल्कि प्रदूषण की वृद्धि से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी बताता है।

 वायु गुणवत्ता सूचकांक स्वास्थ्य पर प्रभाव का स्तर टिप्पणियां
0-50 न्यूनतम क्षति अच्छी
51-100 संवेदनशील लोगों को सांस लेने में थोड़ी असुविधा संतोषजनक
101-200 अस्थमा और हृदय रोगियों द्वारा सांस लेने में असुविधा महसूस करना मध्यम
201-300 लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में आने वाले लोगों को सांस लेने में असुविधा महसूस होती है खराब
301-400 लोगों के लिए बहुत अस्वास्थ्यकर; लंबे समय के जोखिम के साथ श्वसन बीमारियों की ओर अग्रसर बहुत खराब
401-500 मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक; यह न केवल स्वस्थ लोगों को बल्कि श्वसन रोग से पीड़ित लोगों को भी प्रभावित करता है गंभीर

 

दिल्ली में वायु प्रदूषण के क्या कारण हैं ?

वातावरण में वायु प्रदूषण के कारकों की एक बड़ी संख्या का समावेश हुआ है, जिसे इस गंभीर स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। अधिकारियों के बीच जिम्मेदारी की कमी और शहर के लोगों के बीच अनभिज्ञता ने आज वायु प्रदूषण के इस बड़े अनुपात का नेतृत्व किया है। धूल के कण, खेतों में फसलों के बचे हुए अवशेष जलाना, दिवाली पर पटाखों का जलना, वाहनों और उद्योगों द्वारा उत्सर्जित धुंआ हर दिन दिल्ली की वायु गुणवत्ता को खराब करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है।

खेंतो में फसलों के बचे हुए अवशेष जलाना: एक वार्षिक मामला?

यह साल का वह समय है जब दिल्ली के लोग खेतों में फसलों के बचे हुए अवशेष को जलाने से उत्पन्न प्राणघातक धुंए में सांस ले रहें है, यह धुंआ राष्ट्रीय राजधानी को घेर कर इसे एक गैस कक्ष में बदल रहा है। दिल्ली और इसके आस-पास के क्षेत्रों में प्रदूषण पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा खेत में बचे हुए अवशेष को जलाने और दिवाली के दौरान पटाखों को जलाने से बढ़ जाता है।

पड़ोसी राज्यों जैसे पंजाब और हरियाणा में खेतों में बचे हुए फसलों के अवशेष को जलाने की वजह से दिल्ली में वायु की गुणवत्ता हर सर्दियों में दूषित हो रही है। नासा द्वारा जारी नवीनतम उपग्रह छवियों के अनुसार, पिछले 15 दिनों में पूरे पंजाब और हरियाणा में स्टबल बर्निंग के मामलों में वृद्धि हुई है। दोनों राज्यों के किसान अपने खेतों को दूसरी फसल के लिए तैयार करने में लगे हुए हैं।

यहाँ खेतों में स्टबल बर्निंग पर प्रतिरोध लगाया गया है। चूंकि इन दोनों राज्यों के किसानों के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं छोड़ा गया है, इसलिए उन्हें स्टबल बर्निंग के पारंपरिक और अवैज्ञानिक कार्य को जारी रखना होगा। खतरे को जानने के बावजूद फसलों का अवशेष को जलाया जा रहा है, पंजाब और हरियाणा सरकारें चुनौती से निपटने के लिए किसी अन्य विस्तृत कार्य योजना को पेश करने में नाकाम रही हैं।

यदि स्थिति ऐसी ही रहती है, तो फसलों के अवशेषों को जलने के कारण उत्पन्न धुआं दिल्ली में बहती हवा की गुणवत्ता को और भी खराब कर देगा।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरपी)

दिल्ली में वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार करने के लिए एक कड़ा कदम उठाते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरपी) नामक एक आपातकालीन योजना अपनायी है। यह योजना राष्ट्रीय राजधानी में ‘बहुत खराब और ‘गंभीर’ वायु प्रदूषण के स्तर से लड़ने के लिए 15 अक्टूबर 2018 को पूरी दिल्ली में लागू की गई थी। इस योजना के तहत शुरू की गई पहली पहल डीजल से चलने वाले जेनरेटर के इस्तेमाल और दिल्ली में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना है।

सीपीसीबी ने वायु प्रदूषण को रोकने के लिए मानकों के उचित कार्यान्वयन पर नियंत्रण रखने के लिए पूरी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में 41 टीमें तैनात की हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने खुले में कचरा पर प्रतिबंध लगाया है इसका उल्लंघन न करने की निगरानी करने के लिए 83 पर्यावरण मार्शल की एक टीम भी तैनात की है। साथ ही यातायात पुलिस को भी यह पता लगाने के लिए कठोर आदेश दिए गए हैं कि कोई भी इसका उल्लंघन न करें। स्थानीय पुलिस अधिकारियों को इस स्थिति में, अगर कोई भी कचरा या अन्य कोई अपशिष्ट पदार्थों को जलाते हुए मिल जाए, चालान जारी करने का निर्देश दिया गया है। कुछ ट्रकों के मार्ग भी पूर्वी पेरिफेयर एक्सप्रेस के जरिए बदल दिए गए हैं।

सीपीसीबी ने अब तक पूरी दिल्ली एनसीआर में अपनी टीमों के माध्यम से 96 निरीक्षण किए हैं और आगामी दिनों में ये निरीक्षण और अधिक तेजी से होंगे।

इस योजना के तहत किए जाने वाले उपाय

  • यदि वायु गुणवत्ता मध्यम से खराब श्रेणी में है: लैंडफिल और अन्य स्थानों में कचरे को जलाने पर रोक लगा दी जाए और उद्योगों तथा ईंट के भट्ठों पर प्रदूषण नियंत्रण नियमों को लागू किया जाए।
  • यदि वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में है: डीजल जेनरेटर सेट के इस्तेमाल को रोक दिया जाए, पार्किंग चार्ज को चार गुना बढ़ा दिया जाए और बसों तथा मेट्रो की प्रायिकता में वृद्धि कर दी जाए।
  • यदि वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में है: सड़कों की मशीनीकृत सफाई की प्रायिकता को बढ़ा दिया जाए, सड़क पर जमा धूल-गर्द को हवा में मिलने से रोकने के लिए सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाए।
  • यदि वायु गुणवत्ता गंभीरता के साथ-साथ आपातकालीन श्रेणी में है: दिल्ली में ट्रकों के (आवश्यक माल से भरी ट्रकों को छोड़कर) प्रवेश को कम कर दिया जाए, निर्माण गतिविधियों को रोक दिया जाए और यदि आवश्यकता पड़े तो स्कूलों को बंद कर दिया जाए।

दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) की भूमिका

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने राज्य संचालित एनबीसीसी से दिल्ली प्रगति मैदान में स्थित परियोजना स्थल पर सभी तरह के निर्माण एवं तोड़-फोड़ की गतिविधियों को “तत्काल रोकने” का आदेश दिया है। 14 अक्टूबर को, बातला हाउस से ओखला हेड वर्क्स, ओखला एसएलएफ, जल विहार, लाजपत नगर, रक्षा कॉलोनी, सुंदर नगर, आर के पुरम सेक्टर 1 व 4 और भैरन मार्ग समेत कई खुले इलाकों में पानी के छिड़काव के लिए 22 अतिरिक्त पानी टैंकरों को किराए पर लिया गया है।

दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण रोकने के लिए विभिन्न उपायों को लागू करने का कार्य सौंपा गया है। यह प्राधिकरण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने वाली पर्यावरण की गुणवत्ता को सुरक्षित रखने और उसमें सुधार करने के लिए ज़िम्मेदार है। ईपीसीए एक वह विभाग है जिसने शहर के प्रदूषण स्तर को ध्यान में रखते हुए शहर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरपी) का प्रबंधन किया है।

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जैसा कि दिल्लीवासी सर्दियों का स्वागत करने के लिए तैयार हैं, इसके साथ ही वायु प्रदूषण सूचकांक एक बार फिर सरकार और यहां के निवासियों को चिंतित करने वाले खतरनाक स्तर के साथ लोगों पर अपना कहर बरपाने के लिए भी तैयार है।
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