Home / Education / सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध: भारत के ‘लौह पुरुष’ के बारे में जानने योग्य बातें

सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध: भारत के ‘लौह पुरुष’ के बारे में जानने योग्य बातें

October 30, 2018
by


सरदार वल्लभभाई पटेल

“हम सरदार पटेल का उनकी जयंती पर अभिवंदन करते हैं। भारत, सरदार पटेल की महत्वपूर्ण सेवा और उनके स्मारकीय योगदान को कभी नहीं भुला सकता है”। इन शब्दों के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को उनकी 142 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। वल्लभभाई पटेल को बेहतर प्रयोजनों का नेतृत्व करने के कारण सरदार की उपाधि से संबोधित किया गया था। हमारे महान राष्ट्र भारत के स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती वर्षों में, सरदार पटेल ने दृढ़निश्चयी नेतृत्व का प्रदर्शन करके देश को आजाद कराने में काफी योगदान दिया था, जिसके कारण वास्तव में वह प्रशंसा और स्मरण करने योग्य हैं।

भारत के लौह पुरुष

भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल का जन्म वर्ष 1875 में गुजरात के एक किसान परिवार में हुआ था और इनके माता-पिता का नाम झवेरभाई पटेल व लाडबा देवी था। वल्लभभाई पटेल ने छोटी सी उम्र में ही अपने दृढ़ निश्चय को प्रदर्शित करना शुरू कर दिया था। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के कारण देश की निराशाजनक स्थिति से निडर होकर विनम्र स्वभाव को धारण कर सरदार पटेल इंग्लैंड में बैरिस्टर (वकालत) की पढ़ाई करने चले गए और बैरिस्टर की उपाधि हासिल करने में कामयाब हुए। देश में वापस आकर, पटेल अहमदाबाद शहर के सबसे श्रेष्ठ वकील के रूप में विख्यात हो गए थे। हालाँकि, भारत में दासों (गुलामों) की स्थित ठीक नहीं थी और जिसके कारण उनका अंग्रेजों के खिलाफ वैचारिक संघर्ष दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा था। जल्द ही वह अपने साहस व तेज के साथ राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागिता करने लगे और वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक के रूप में विख्यात हो गए। जिसके कारण सरदार पटेल को महात्मा गांधी का एक करीबी सहयोगी भी माना गया। हालाँकि, वह अपने गृह राज्य, गुजरात में बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा के विरोध के आयोजन में बहुत सक्रिय रहे थे और पटेल राष्ट्र की शक्ति को कमजोर नहीं होने देना चाहते थे।

रियासतों का एकीकरण

जब तक ब्रिटिश शासन से भारत आजाद था, उस समय भारत में 550 रियासतें थीं। इन राज्यों का विस्तार और शक्तियाँ भिन्न-भिन्न थीं। ज्यादातर मामलों में शाही परिवार भारतीय संघ में शामिल होने से कतराते थे। इन रियासतों का एकीकरण मुख्य मुद्दा बन गया था और यह जिम्मेदारी सरदार वल्लभभाई पटेल को सौंपी गई थी। पटेल ने एक अन्य असाधारण व्यवस्थापक वी. पी. मेनन के साथ मिलकर इन राज्यों का एकीकरण करने और भारतीय गणराज्य का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अपने मजबूत दृढ़ संकल्प, संपर्क और उत्कृष्ट वार्ता कौशल के दम पर देश को व्यवस्थित करने में कामयाब रहे थे।

सरदार पटेल शब्दों का उच्चारण तोड़-मरोड़ कर नहीं करते थे। उन्होंने शाही परिवारों के लिए हर संभव विशेष सुविधाएं मुहैया करवाई थी और अगर वह सैन्य कार्रवाई को रोकने में सफल न हो पाए होते, तो वह भारत के राज्यों को एकजुट करने में भी सफल नहीं हो पाते। उन्होंने न केवल इन राज्यों के प्रवेश को सुरक्षित रखने का प्रबंधन किया, बल्कि चरणबद्ध तरीके से प्रशासन के रूपांतरण का भी निरीक्षण किया। वह अपने काम के कारण मोनिकर “भारत के एकजुटता के सूत्रधार” से भी सम्मानित हुए।

पटेल ने पूरे देश में एकीकरण की व्यवस्था स्थापित करने के लिए, सिविल सेवकों और नौकरशाहों के साथ बड़े पैमाने पर काम किया था। इसलिए पटेल को हमारी नागरिक सेवाओं के “संरक्षक संत” के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन यह इन सेवाओं के लाभों का आनंद उठाने वाले एक आम आदमी हैं, जो भारत में इन सेवाओं को स्थापित करने में कामयाब रहे।

प्रथम गृहमंत्री

सरदार पटेल ने देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के रूप में, अशांत समय में देश का मार्गदर्शन किया था। एक नेता जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के माध्यम से भारत का नेतृत्व किया था, हिंसक विभाजन के परिणामस्वरूप दिल दहला देने वाले खून-खराबे के कारण काफी दुखी और निराश हुए थे। लेकिन पटेल ने जिम्मेदारी के कारण अपनी दुःख की भावनाओं को व्यक्त नहीं किया। उन्होंने उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर राहत शिविर और शरणार्थियों के लिए आश्रय की स्थापना करवाई और देश में शांति और स्थिरता बहाल करने का प्रस्ताव रखा। सरदार पटेल के कार्यों को यादगार बनाने के लिए हाल ही में सरदार सरोवर बाँध का उद्घाटन किया गया है। यह इस महान व्यक्ति की क्षेत्रीय समृद्धि और राष्ट्रीय उत्थान की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

भारत की आजादी के बाद के वर्षों में, सरदार पटेल ने राष्ट्रीय नीतियों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। सरदार पटेल की सफलता महात्मा गांधी, नेहरू और अन्य लोगों के विचारों को ज्यादा महत्व देने के कारण सीमित थी, लेकिन उनके आदर्शों और उनकी नीतियों के ज्ञान के परिणामस्वरूप भारत विकास के पथ पर अग्रसर है।

एकता की विरासत

सरदार वल्लभभाई पटेल अपने पीछे एकता और अखंडता की एक समृद्ध विरासत का निर्माण करके गए हैं। वल्लभभाई पटेल के कठिन परिश्रम और प्रयासों के फलस्वरूप सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कई छोटे और अक्सर विवादित रियासतों का एकीकरण करके प्रतिष्ठित भारतीय समाज का निर्माण करने में सफलता मिली है। वर्ष 2014 से सरदार वल्लभभाई पटेल की जंयती, 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस वर्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाने के लिए देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों से कहा है कि सरदार पटेल द्वारा प्रदर्शित मार्ग के परिणामस्वरूप देश के युवा राष्ट्रीय गौरव और एकता की समान भावना को आत्मीयता से अपनाएं।