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खाद्य मिलावट: धीमी गति से मौत की तरफ बढ़ना

January 27, 2018
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खाद्य मिलावट: धीमी गति से मौत की तरफ बढ़ना

क्या आप भी जानते हैं कि आप धीमी गति से मौत की तरफ बढ़ रहे हैं और इसमें आपके परिवार के सभी सदस्य भी शामिल हैं। आप खाद्य मुद्रास्फीति, पेट्रोल की कीमत, सरकार कैसा प्रदर्शन कर रही है और अगला क्रिकेट मैच किसने जीता इस पर ध्यान देते हैं, लेकिन क्या आपके द्वारा इस पर भी ध्यान दिया जाता है, अगर आपको बताया जाए कि आप जो खाद्य पदार्थ खरीदते हैं और रोजाना खाते हैं वह आपके शरीर को धीमी गति से विषाक्त कर रहा है और आप इसकी कीमत भी चुका रहे हैं। सचमुच!

हम उन खाद्य पदार्थों में मिलावट और उनमें उपयोग किये जाने वाले सभी हानिकारक कीटनाशकों का उल्लेख कर रहे हैं, जिनका हम उपभोग करते हैं।

इस साल मार्च में, दिल्ली उच्च न्यायालय की एक विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार और प्रस्तुत की गई, जो खाद्य व्यंजनों की एक रिपोर्ट पर कार्य कर रहा है, दिल्ली उच्च न्यायालय के द्वारा रिपोर्ट का निष्कर्ष काफी चिंताजनक बताया गया है कि प्रतिदिन उपयोग की जाने वाली खाद्य सामग्री में हानिकारक कीटनाशक अवशेषों का खतरनाक स्तर पर दिल्ली के नागरिकों द्वारा उपभोग किया गया है। न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार को चार सप्ताह के अंदर खाद्य अधिकारी के नियंत्रण में एक ‘कीटनाशक अवशेष प्रबंधन कक्ष’ स्थापित करने को कहा है। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के द्वारा अदालत ने इसकी उपयोगिता या इसकी कमी के बारे में एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया है।

सरकार के पास बहुत से ऐसे अधूरे अनुपयोगी समुदाय हैं, जिन्हें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता नहीं है। सरकार के दबाव और प्राथमिकता की कमी की वजह से इन समुदायों को बिना अनुमति के शायद ही कभी संग्रहित होकर सक्रिय रूप से देखा जाता है।

समस्या गंभीर है तथा प्रतिदिन बढ़ रही है और इसका कारण यह है कि हम सभी नागरिक वास्तव में स्वयं की देखभाल नहीं करते हैं। जब एक ऐसी फिल्म रिलीज की जाती है, जिससे हमारे धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचती है तब विरोध प्रदर्शन रैलियाँ होती हैं, अगर एक राजनेता को जोड़ा या हटाया जाता है तो रैलियाँ होती हैं, पड़ोस में एक हत्या हो जाती है, तो रैलियाँ होती हैं लेकिन क्या आपने हमारे करीबी और प्रियजनों की धीमी हत्या के लिए किसी रैली या कैंडल मार्च के बारे में सुना है?

क्या हमने उन नौकरशाहों और राजनेताओं पर पर्याप्त दबाव बना लिया है, जो हम पर शासन करते हैं, उन्हें वातानुकूलित कमरे से बाहर निकालकर और इस भयंकर खतरे की जाँच करने के लिए सड़कों पर ले जाएं? जब कोई हत्यारा एक या दो लोगों को मारता है, तब वह सुर्खियों में बना रहता है, लेकिन इस समय मीडिया कहाँ है, जब पूरे देश को दैनिक आधार पर पीड़ित किया जा रहा है?

हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम अपने सामने घटित होने वाली समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं।यदि किसी को मार डाला गया है लेकिन अगर वह हमारे पड़ोस में नहीं है, तो ठीक है। अगर भारत के कुछ हिस्सों में बिजली नहीं है, तो ठीक है, अगर समाज के किसी एक भाग में पेय जल उपलब्ध नहीं है, तो ठीक है, जब तक हम इन समस्याओं से खुद नहीं जूझते हैं या हमें सीधे प्रभावित नहीं करता है तब तक ठीक है। लेकिन जब यह हमें सीधे प्रभावित करती है, तो उदासीनता क्यों?

मिलावट एक अदृश्य हत्यारा है और हम इसे अपने बहुत समीप आने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। क्या हम अपने बच्चों को वह दूध पिलाकर ठीक कर रहे हैं जिसको कृत्रिम दूध के साथ मिलाया जाता है, जिसमें यूरिया, कास्टिक सोडा और वनस्पति तेल मिश्रित होते हैं? उनके लिए कुछ सस्ते आइसक्रीम खरीदते हैं, जिसमें वॉशिंग पाउडर शामिल होते हैं? उन्हें मिठाई देते हैं जो आर्सेनिक मिश्रित होते हैं?

असली अपराधी कौन है? मिलावट करने वाला व्यक्ति या वह समाज जो मिलावट को बढ़ावा देता है? कानून सभी के लिए है। यह सामान्य रूप से वह कार्यान्वयन और अभियोजन है, जो इसे स्थापित करना चाहता है।

हाँ, अगर कभी आप किसी को पकड़ते हैं, आप उसे तीन साल के लिए जेल भेज देते हैं या फिर उस पर 10 से 15 साल या उससे ज्यादा समय के लिए मुकदमा चलाया जाता है। उस लाभ को खोने के लिए उसे क्या मिलता है? लाभ के लिए मिलावट करने वालों का यह बहुत कम जोखिम वाला खेल है क्योंकि उन पर अधिकारियों का कोई दबाव नहीं होता है। तो वह उन्हें क्यों रोकेंगे?

आखिरी बार जब आपने खाद्य पदार्थों में मिलावट की जाँच करने के लिए छापे के बारे में सुना था? और उस आखिरी छापे के बाद से अब तक अधिकारियों ने क्या किया? दैनिक आधार पर छापे क्यों नहीं पड़ते हैं? लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव आयोग की कड़ी कार्रवाई के फलस्वरूप अधिक मात्रा में नकदी, शराब और दवाइयाँ बरामद की गई थीं। यह पर्याप्त नहीं हो सकता है लेकिन उसने कुछ दबाव जरूर बन गया। मुद्दा यह है कि हर राज्य में खाद्य आयुक्त का कार्यालय होने के बावजूद दैनिक / साप्ताहिक आधार पर छापे नहीं डाले जा रहे हैं? क्या उन्हें रोका जा रहा है?

जब तक कि हम सभी नागरिक, समाज के साथ मिलकर सड़कों पर नहीं आएगें और सरकार को कार्य करने के लिए मजबूर नहीं करेगें, तब तक कोई कार्रवाई नहीं होगी और हम सभी अपने बच्चों के साथ धीरे-धीरे मौत की तरफ बढ़ते रहेंगे। विडंबना यह है कि अधिकारियों और राजनेताओं को भी इस समस्या का सामना करना पड़ता है! लेकिन परवाह कौन करता है?

खाद्य पदार्थों में साधारण मिलावट:

क्या आप उन मिलावट युक्त व्यंजनों से परिचित हैं जिन्हें हम अपने भोजन में सम्मिलित करते हैं? जरा देखिए।

मक्खन और क्रीम:

मक्खन को पीली रंगत देने के लिए उसमें नारंगी रंग (अनाता) मिलाया जाता है। बीफ़वसा के उत्पाद को ओलेमोर्गेरिन के नाम पर मक्खन में बड़ी मात्रा में मिलाया जाता है। जिलैटिन को क्रीम में मिलाया जाता है। अपनी वस्तुओं को ज्यादा समय तक ताजा रखने लिए फार्मल्डिहाइड मिलाया जाता है। वनस्पति शुद्ध घी और मक्खन को आपस में मिलाया जाता है।

आइसक्रीम:

आइसक्रीम में वॉशिंग पाउडर को नियमित रूप से मिलाया जाता है।

दूध, पनीर, खोया:

इनमें यूरिया, स्टार्च और वॉशिंग पाउडर मिलाया जाता है।

हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च:

हल्दी में पीला मेलेनिल, रंगीन चाक पाउडर, एनिलिन डाईज को मिलाया जाता है; हल्दी और धनिया में लकड़ी का पाउडर मिलाया जाता है, जबकि लाल मिर्च में लाल रंग डाई, लालसूडान, रंग और ईंटों का चूरा मिलाया जाता है।

सरसों:

अरजिसोन बीज को नियमित रूप से मिलाया जा रहा है।

गर्म मसाले:

बार्नको सिंथेटिक रंगों के साथ मिलाया जाता है।

दालचीनी की छाल:

कैसिया छाल मिलाई जाती है।

जीरा:

रंगीन ग्रास बीज चारकोल के साथ मिले होते हैं।

दालें: मूंग, चना आदि

लीड क्रोमेट को नियमित रूप से मिलाया जाता है। केसरी दाल को बेसन और पीली दाल में मिलाया जाता है।

चाय:

लोहे का बुरादा, रंगीन चाय की पत्तियाँ इस्तेमाल की जाती हैं।

कॉफ़ी:

चिकोरी को कॉफ़ी पाउडर के साथ मिलाया जाता है।

गेहूं का आटा:

चाक पाउडर, वार्न डस्ट और बालू मिलाई जाती है।

मिष्ठान (मिठाई)

शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालने वाले रंगों को मिष्ठान वस्तुओं में मिलाया जाता है जो बच्चों को नियमित रूप से खिलाई जाती हैं और इसमें तांबा, प्रूसिकब्लू, आर्सेनिक यौगिक, पीले रंग आदि मिलाए जाते हैं।

सब्जियाँ:

सब्जियों को हरे रंग में रंगने के लिए कॉपर लवणों का प्रयोग किया जाता है।

वनस्पति तेल:

अंडी का तेल, खनिज तेल, ऑर्गेमोने तेल, क्रानजा तेल मिलाया जाता है।

अगर ऊपर दी हुई जानकारी पढ़ने के बाद भी आप अपनी ज़िंदगी को सामान्य रूप से जीते हैं, तो अपने करीबी और प्रियजनों को मिलावट की वस्तुएं खिलाने के लिए मिलावट खोर को दोष न दें। आप स्वयं उन्हें इसके साथ निरंतर चलने की स्वीकृति प्रदान कर रहे हैं।