भारत महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश : सर्वे
भारत में 2007 के बाद से महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में 83% की वृद्धि हुई हैं, जबकि दूसरी ओर अपराधी की सजा दर में एक भारी कमी आई है। 2016 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी तथ्य और आंकड़े, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा हाल ही में किए गए सर्वे पर एक निष्पक्ष विचार प्रस्तुत करते हैं। 2011 में हुए इस सर्वेक्षण में महिलाओं की सुरक्षा के मामले में भारत चौथे स्थान पर था। इस वर्ष लंदन स्थित चैरिटेबल संगठन द्वारा आयोजित सर्वे में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और अपराधों की संख्या में हालिया वृद्धि ने देश को पहले पायदान पर पहुँचा दिया है।
सर्वे का आधार
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा आयोजित सर्वे छह मानकों पर आधारित है जो कि यह मापता है कि महिला आबादी के लिए देश कितना सुरक्षित है। इसके छह प्रमुख क्षेत्र हैं: स्वास्थ्य सुविधा, भेदभाव, सांस्कृतिक परंपराएं, यौन हिंसा, गैर-यौन हिंसा और मानव तस्करी। लंदन स्थित रॉयटर्स फाउंडेशन ने 7 साल के अंतराल के बाद सर्वे किया है जिसमें समाज की महिलाओं की दुर्दशा में सुधार करने के लिए सरकारों द्वारा किए गए परिवर्तन का निरीक्षण किया जाता है। इस फाउंडेशन ने पहला सर्वे 2011 में आयोजित किया था। तीन साल पहले वैश्विक नेताओं ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के सभी रूपों को मिटाने का संकल्प किया था। उन्होंने 2030 तक राजनीतिक, आर्थिक और सार्वजनिक क्षेत्र में समान अवसर प्रदान करते हुए एक ऐसे संगठित समाज बनाने की कसम खाई थी जहाँ महिलाएं बिना किसी बाधा के स्वतंत्रता रूप से रह सकती हैं। महिलाओं के मुद्दों पर 500 से अधिक विशेषज्ञों के एक समूह से सवाल किए गये थे और सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद, महिलाओं के लिए शीर्ष 10 सबसे खतरनाक देशों की सूची तैयार की गई थी।
भारतीय महिलाओं के लिए चुनौतियों की उदारता
दुनिया में महिलाओं के लिए 10 सबसे खतरनाक देशों में अफगानिस्तान के तालिबान राज्य और युद्धग्रस्त सीरिया को पीछे छोड़ते हुए भारत प्रथम स्थान पर पहुँच गया है। ये देश क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं जबकि इस सूची में संयुक्त राज्य अमेरिका 10 वें स्थान पर है।
ऐसे समय में जब भारत एक शक्तिशाली देश बनने के लिए दुनिया के प्रमुख देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है, तो वही देश अभी भी सैकड़ों वर्षों से उत्पीड़न का शिकार होने वाली महिलाओं को बंधन से आजाद करके उन्हें स्वतंत्र रूप से जिदंगी जीने के लिए संघर्ष कर रहा है। भारत देश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, इस बयान की पुष्टि इस तथ्य से की गई है कि हाल के वर्षों में सरकार यौन हिंसा, शारीरिक या मानसिक हिंसा, लिंग भेदभाव और सबसे महत्वपूर्ण देह व्यापार को रोकने में नाकाम रही है
पांच साल के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं
पांच साल पहले जब निर्भया घटना घटित हुई थी, तो इसे समाज में महिलाओं के लिए मौजूद खतरे के खिलाफ भारत की लड़ाई में ऐतिहासिक क्षण के रूप में माना गया था। हालाँकि, इस घटना को पाँच साल हो जाने के बाद भी इस दिशा में शायद ही बदलाव हुआ है। हाल ही में कठुआ और उन्नाव बलात्कार के मामले ने देश की निर्बलता को उजागर किया है। इस तरह की गतिविधियाँ अभी भी समाज में मौजूद हैं और भारत में महिलाओं की स्वतंत्रता में बाधा डाल रही हैं। युगों पुराने कलंक समाज के बहुमत वर्गों में अभी भी मौजूद हैं, जहाँ महिलाओं को पितृसत्तात्मक मानसिकता एवं बलात्कार, वैवाहिक बलात्कार, यौन हमले और उत्पीड़न द्वारा अपमानित किया जा रहा है साथ ही कन्या भ्रूण के मामले में भी बढ़ोत्तरी हो रही है।
विशेषज्ञों की राय
सूची के विशेषज्ञों के मुताबिक, थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा इस्तेमाल किए गए छः मानकों में से तीन यौन हिंसा, सांस्कृतिक परंपराओं और मानव तस्करी के मामले में भारत पहले स्थान पर आता है। बुनियादी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के मामले में, भारत मध्य-पूर्वी देश यमन के साथ चौथे स्थान पर था। गैर-यौन हिंसा के मामले में भारत तीसरे स्थान पर था जिसमें आर्थिक और सार्वजनिक क्षेत्र, शारीरिक या मानसिक घरेलू दुर्व्यवहार और राष्ट्रीय भेदभाव शामिल था। विशेषज्ञों ने महसूस किया कि सरकार महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने में सक्षम नहीं है और अधिकारी समय-समय पर अपराधी के खिलाफ कड़े कदम उठाने में नाकाम रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप भारत महिलाओं के लिए दुनिया में सबसे खतरनाक देश बन गया है।
महिलाओं के लिए शीर्ष 10 सबसे खतरनाक देशों पर थॉमसन रॉयटर्स द्वारा जारी की गई सूची:
क्रम.संख्या | देश |
1 | भारत |
2 | अफगानिस्तान |
3 | सीरिया |
4 | सोमालिया |
5 | सउदी अरब |
6 | पाकिस्तान |
7 | डैमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कान्गो |
8 | यमन |
9 | नाइजीरिया |
10 | संयुक्त राज्य अमेरिका |