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दिल्ली में ऑड-इवन कार रेशनिंग- फिर से दम घोटने वाले धुएं के कारण राजधानी बंद

November 13, 2017
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दिल्ली में ऑड-ईवन कार रेशनिंग- फिर से दम घोटने वाले धुएं के कारण राजधानी बंद

बढ़ते प्रदूषण के कारण राष्ट्रीय राजधानी में रहने वाले लोगों का दम घुटने लगा है, क्योंकि दिल्ली और इसके पड़ोसी क्षेत्रों पर धुएं की एक मोटी परत सी बिछ गई है। दिवाली के समय पटाखों की बिक्री पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध के बावजूद भी, एनसीआर के निवासी जहरीले धुएं में श्वास लेने के लिए मजबूर हैं, जो निश्चित तौर पर लोगों के जीवन को काफी प्रभावित करेगा। खबरों के माध्यम से, इस सप्ताह राष्ट्रीय राजधानी के दृश्य और धुएं की मोटी परत के कारण कम दिखाई पड़ना और वहाँ के दयनीय जीवन के बारे में पता चला है। आप की अगुवाई वाला राज्य प्रशासन राजधानी के कष्ट के लिए, केंद्र के गैर-सहयोग को जिम्मेदार ठहरा रहा था, जबकि केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चलने वाले राज्य विधानसभा चुनावों के अभियान का संचालन करने में व्यस्त थी। ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों के बीच कोई भी भारतीय किसानों की यह बात बताने में दिलचस्पी नहीं ले रहा था कि सालाना एनसीआर में कड़ी मेहनत करने वाले लाखों लोगों की मौतें हो रही थी।

दिल्ली के बिगड़ते हुए वायु प्रदूषण का परिदृश्य

7 नवंबर 2017 दिन मंगलवार तक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के “पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी” खचाखच भर गए थे। विशेष रूप से सर्दियों के महीनों में होने वाला वायु प्रदूषण दिल्ली की आम बात है। हालाँकि, राजधानी के वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयूआई) के अनुसार, प्रदूषण एक नए स्तर पर पहुँचने के कारण, अब तक स्कूलों और निर्माण स्थलों को बंद हो जाना चाहिए था। अगले दिन पीएम 2.5 स्तर (छोटे कणों का स्तर, जो एक घातक वायु प्रदूषक माना जाता है) लगभग 726 तक बढ़ गया। कुछ क्षेत्रों में पीएम 2.5 का स्तर 830 और 930 के बीच दर्ज किया गया है।

जब तक हम इन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की अनुमत सीमा के हिसाब से प्रकाश नहीं डालते, तब तक ये केवल संख्याएं हैं। डब्लूएचओ ने पीएम 2.5 की आदर्श सीमा 10 निर्धारित की है, लेकिन यह 50 तक स्वीकार्य है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पीएम 2.5 का स्तर 300 से अधिक हो गया है जो काफी “खतरनाक” माना जाता है। इसलिए दिल्ली की वायु अब इस सीमा के तीन गुना खतरनाक है।

ऑड-इवन का पुनःस्थापन

गुरुवार तक, वायु प्रदूषण के स्तर ने राजधानी में आतंक की स्थिति पैदा कर दी थी और जिसके कारण आप सरकार को सोमवार 13 नवंबर से शुक्रवार 17 नवंबर तक तक ​​कारों का प्रचलन कम करने के लिए ऑड-इवन (जो राज्य में पहले से ही जारी था) को फिर से बहाल करने का निर्णय लेना पड़ा था। उन्होंने इसे 13 नवंबर, 15 और 17 नवंबर तक लागू रखने का आदेश दिया है, जिसमें जिन कारों के नंबर प्लेटों के अंत की संख्या (1,3,5,7 व 9) या ईवन (2,4,6,8 व 0) होगीं वही प्रचलन में लाई जा सकती हैं। इस नियम के कुछ अपवाद भी होंगें। उदाहरण के लिए, कार चलाने वाली महिलाओं को इस नियम का पालन करने से छूट दी गई है। आप प्रशासन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से संपर्क किया है, जो कि राजधानी में प्रदूषण संबंधी मुद्दों को सुलझाने की नियम बना रहा है।

कल, दिल्ली सरकार को एक आरोप का सामना भी करना पड़ा था। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने एनजीटी से पूछा था कि दिल्ली के तेजी से बिगड़ते हुए वायु प्रदूषण के परिदृश्य के बावजूद भी, अग्रिम निवारक उपाय क्यों नहीं अपनाए गए। एनजीटी ने दिल्ली सरकार से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ऑड-इवन और इसके प्रभावशाली समर्थन का साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कहा था।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी प्रशासन को एनजीटी द्वारा की जाने वाली आलोचनाएं चिंतित कर रही थीं। एनजीटी ने कहा कि “आप दुनियाभर में दिल्ली को सबसे खराब राजधानी के रूप में प्रदर्शित कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने प्रदूषण को रोकने के लिए सैकड़ों उपाय बताए, लेकिन आप ने केवल ऑड-इवन का चुनाव किया। पिछले एक साल से दिल्ली सरकार हाथ पर हाथ धरकर बैठी हुई है।”केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने न्यायाधिकरण से कहा है कि उसने दिल्ली सरकार को शहर में हो रही वायु प्रदूषण की खतरनाक वृद्धि की चेतावनी दी थी। एनजीटी ने हद से ज्यादा पार्किंग शुल्क, प्रदूषण नियंत्रणऔर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों आदि जैसे मामलों के लिए सरकार को दोषी ठहराया है।

इसके बावजूद, एनजीटी आखिरकार ऑड-ईवन नियम को लागू करने के लिए सहमत हो गया। हालाँकि, एनजीटी ने उन छूटों को देने से इनकार कर दिया, जो दिल्ली सरकार ने माँग की थी। सरकार द्वारा माँगी जाने वाली मुख्य छूट यह थी कि उसे सभी दो पहिया वाहनों का सभी दिनों में उपयोग करने की इजाजत दे दी जाए, लेकिन एनजीटी ने अस्वीकार कर दिया था। सीपीसीबी के अनुसार, दो पहिया वाहनों की तुलना में चार पहिया वाले वाहनों से ज्यादा प्रदूषण होता है। एनजीटी ने पूछा “यदि आप 500 कारों को सड़कों पर चला रहे हैं और 1000 दो पहिया वाहनों की अनुमति दे रहे हैं, तो क्या यह उद्देश्य काम करेगा? ग्रीन ट्रिब्यूनल ने महिलाओं और सीएनजी संचालित कारों को भी छूट प्रदान करने से इनकार कर दिया हैं।

आप द्वारा ऑड-इवन को वापस लेना

यहाँ तक ​​कि एनजीटी ने आप के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को अपवाद के बिना ऑड-इवन​ ​कार नियम लागू करने का अनुरोध किया था, लेकिन दिल्ली प्रशासन ने इस नियम को वापस ले लिया है। अब ऑड-इवन कार नियम लागू नहीं किया जाएगा। सरकार ने कहा कि अपवादों के बिना दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की जरूरतों को पूरा करना असंभव होगा और इससे महिलाओं की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती हैं। सरकार ने कहा कि वह कुछ दिन बाद फिर से एनजीटी से संपर्क करेंगे, जिसमें आवश्यक अपवाद के साथ-साथ ऑड-इवन नियम को लागू करने के लिए पुनर्विचार किया जाएगा।