मध्य प्रदेश सरकार की कार्य समीक्षा और मुख्य चुनावी मुद्दे
मध्य प्रदेश में राज्य की विधायी विधानसभा में 230 सीटों पर प्रतिनिधियों का चयन करने के लिए 28 नवंबर 2018 को चुनाव होगें।
बीजेपी सरकार की अगुआई करते हुए शिवराज सिंह चौहान भी, अपने समकक्ष छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की तरह आने वाले अपने चौथे कार्यकाल के लिए विधानसभा चुनाव जीतने की उम्मीद में बड़े जोर-शोर से चुनाव लड़ने की तैयारी में व्यस्त है।
शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यकाल के 15 वर्षों में से 13 वर्ष पूरे कर चुके हैं और ये आगामी चुनाव को भी जीतने की उम्मीद रखते हैं। जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) इसे अलग नजरिए से देख रही है।
यह सच है कि बीजेपी, राज्य में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है, लेकिन क्या लोग कांग्रेस को एक और मौका देना चाहेंगे, यह एक खुली बहस का विषय है।
आइए देखते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पिछले पांच सालों में कैसा प्रदर्शन किया है।
तो चलिए हम इस तथ्य की त्वरित समीक्षा करने के लिए निम्नलिखित पैरामीटर का सहारा लेते हैं:
मध्य प्रदेश – राजनीतिक
विधानसभा सीटें: 230
चुनाव की तिथि: 28 नवंबर 2018
परिणाम घोषणा: 11 दिसंबर 2018
2013 का विधानसभा चुनाव परिणाम:
कुल निर्वाचन क्षेत्र: 230
कुल उम्मीदवार: 2583
कुल मतदाता: 46,636,788
मतदान का प्रतिशत: 72.07%
परिणाम: भाजपा की 165 सीटें, कांग्रेस 58 सीटें, बसपा की 4 सीटें, निर्दलीय 3 सीटें।
भाजपा का मतदानः 44.88%, कांग्रेस: 36.38%, बसपा: 6.29%
भाजपा को तीन कारकों पर बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, जो इसके अपने सन् 2013 के प्रदर्शन को दोहराने की संभावनाओं के खिलाफ जा सकते हैं और इसकी कीमत इसे सीटों को गंवाकर चुकानी पड़ सकती है।
किसानों की समस्या
पिछले पांच वर्षों में कृषि की स्थिति में 18% का सुधार होने के बावजूद भी, वर्तमान में कृषि समस्या ने किसानों को गंभीर वित्तीय संकट में डाल दिया है। मानसून की कमी और फसलों की कम कीमतों ने राज्य के कई हिस्सों के किसानों को घाटे में पहुँचा दिया है। सरकार ने किसानों को खुश करने की उम्मीद से आखिरी समय में न्यूनतम समर्थन मूल्यों में जो बढ़ोतरी की है उसके बावजूद सरकार किसानों को ज्यादा राहत नहीं दे पाई है।
2022 तक किसान की आय को दोगुना करने का सरकार का वादा, राज्य सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2017-18 के अनुसार, पूरी तरह से खोखला रहा है क्योंकि यह सर्वेक्षण साफ दर्शाता है कि कृषि उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में बढा नहीं बल्कि कम हो गया है। जिससे किसानों को बहुत चोट पहुँची है।
अल्पसंख्यक मतदाता:
भोपाल, जबलपुर और इंदौर में अपेक्षाकृत अधिक अल्पसंख्यक आबादी है जिसने 2013 में भाजपा को वोट किया था। इस बार ये मतदाता कांग्रेस के पक्ष में भी देखे जा सकते हैं हालांकि भाजपा लगातार इन मतदाताओं के वोटों की उम्मीद किए है।
बसपा
मध्य प्रदेश राज्य के कई जिलों में एससी / एसटी मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है। 2013 में, बसपा ने 6.29% वोट हासिल किए थे। इन वोटों ने बीजेपी की तुलना में कांग्रेस को अधिक प्रभावित किया था। इस बार, यदि बसपा अपने 2008 के (9 .08%) की तरह वोट प्राप्त करता है, तो यह कांग्रेस की बजाय भाजपा को भी हानि पहुँचा सकता है। लेकिन मायावती ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जो शायद वे चुवान में अपनी पार्टी के प्रदर्शन के आधार पर प्रकट करेंगी।
मुख्य चुनौतियां:
भाजपा के लिए, सत्ता का विरोध, किसानों की समस्या, अल्पसंख्यक वोट और अन्य सभी कारक जो इसके खिलाफ जा सकते हैं। वे किस हद तक इसे मात दे सकते हैं ये आने वाले समय में ही पता चलेगा।
मध्य प्रदेश- आर्थिक
जीएसडीपी वित्तीय वर्ष 2011-12: $ 6581 करोड़, जीएसडीपी वित्तीय वर्ष 17-18: $ 10970 करोड़
प्रति व्यक्ति एनएसडीपी (स्थिर कीमतें) 2017-18: 55,442 करोड़ रुपये
जीएसडीपी (स्थिर कीमतें) 2017-18 – उद्योग: 1,25,801 करोड़ रुपये
जीएसडीपी (स्थिर कीमतें) 2017-18 – कृषि: 1,17,456 करोड़ रुपये
जीएसडीपी (स्थिर कीमतें) 2017-18 – विनिर्माण: 56,807 करोड़ रुपये
2012 में एमएसएमई इकाइयां: 19,894; 2017: 87,071
मध्यप्रदेश 2011-12 के बाद से 14.3 9% के प्रभावशाली सीएजीआर को बनाए रखने वाले सबसे तेजी से बढ़ रहे राज्यों में से एक है। वित्तीय वर्ष 2011-12 का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 65.81 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 17-18 में 109.70 अरब डॉलर हो गया है।
मध्य प्रदेश राज्य में विनिर्माण क्षेत्र के महत्वपूर्ण निवेश में भी बहुत वृद्धि हुई है और राज्य के कई औद्योगिक क्षेत्रों को सफलतापूर्वक विकसित किया गया है जो राज्य की आय संबधी बढ़ोत्तरी में योगदान दे रहे हैं। भोपाल के हबीबगंज में दिसंबर 2018 के अंत तक अत्याधुनिक पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया जाएगा जो सरकार की आर्थिक सफलता का प्रदर्शन करेगा।
मध्य प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरना ही, शिवराज सिंह चौहान के तीन बार शासन करने का कारण है और दिल्ली से शिवराज सिंह चौहान चौथे कार्यकाल में भी पूर्ण समर्थन के साथ जीतने की तैयारी में है तथा इन सभी चीजों का श्रेय इनके आर्थिक एजेंडे को जाएगा।
मुख्य चुनौतियां:
पिछले पंद्रह वर्षों में बड़े पैमाने पर विकास के बावजूद भी, नई नौकरियां का न होना ही एक बड़ी समस्या बनी हुई है। कई बड़े क्षेत्र उपेक्षित या अविकसित रह गए हैं और इन सभी कारणों की वजह से भाजपा को अपने बहुमूल्य वोटों की हानि सहनी पड़ सकती है।
आधारिक संरचना
सड़कों, बांधों तथा बिजली के उत्पादन में विकास राज्य की आधारिक संरचना की सफलता के कुछ सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक रहा है और इसके बदले में लोगों ने भाजपा को तीन बार सत्ता में आने का मौका दिया है। अब भी भाजपा का इस क्षेत्र में उपलब्धियों को उजागर करना जारी है और जनवरी 2019 में होने वाला हबीबगंज रेलवे स्टेशन का उद्घाटन का दृश्य लोगों के सामने एक उदाहरण के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।
मुख्य चुनौतियां:
विकास के पीपीपी मॉडल इसके ही मुद्दे हैं और इन्होंने आधारिक संरचना के विकास की गति को धीमा कर दिया है। इस गति को बढ़ाया जा सकता था, खासकर आंतरिक क्षेत्रों में जहां निवेश की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
मध्य प्रदेश – सामाज
भाजपा सरकार ने केंद्र सरकार की योजनाओं के अन्तर्गत होने वाले सामाजिक विकास पर तो बहुत अधिक निवेश किया है, लेकिन इसे मुसलमानों, एससी / एसटी और दलितों तथा अल्पसंख्यक समूहों से समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो समस्याएं बीजेपी पार्टी के खिलाफ काम कर सकती हैं।
मुख्य चुनौतियां:
इन क्षेत्रों पर जीत, कांग्रेस को एक बार फिर से उठ खड़ा होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।