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तेलंगाना सरकार की कार्य समीक्षा और मुख्य चुनावी मुद्दे

November 3, 2018
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तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018- सरकार की कार्य समीक्षा

तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018- सरकार की कार्य समीक्षा

तेलंगाना राज्य की विधायी विधानसभा में 119 सीटों पर विधायकों का चयन करने के लिए 7 दिसंबर 2018 को चुनाव होंगे। तेलंगाना में कुल 119 निर्वाचन क्षेत्र हैं जिसमें से 18 अनुसूचित जाति (एससी) और 9 एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।

राज्य में मजबूत पकड़ बनाए हुए के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में वर्तमान में कुल 119 सीटों में से 90 सीटें के. चंद्रशेखर राव की ही हैं और इनको दूसरे कार्यकाल में भी सत्ता में आने की उम्मीद है। तो, आइए निम्नलिखित पैरामीटरों पर प्रदर्शन की समीक्षा करें और देखें कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने अब तक कैसा प्रदर्शन किया है? और इसके दूसरे सत्र में जीतने की क्या संभावना है? तथा वर्तमान पार्टी के मुख्य मुद्दे क्या हैं?

राजनीतिक

वर्तमान परिदृश्य

कुल विधानसभा सीटें: 119

वर्तमान में सीटें: टीआरएसः 90, कांग्रेसः 16, एआईएमआईएम 7, भाजपाः 5 तम्मिमेनी वीरभद्रमः1

तेलंगाना में सभी पार्टियों की तुलना में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की लहर दिख रही है। इसकी समर्थक पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) है। इन्हें टीआरएस को हटाने के उद्देश्य से महा कुटमी गठबंधन में एक साथ आने वाले दलों – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) और तेलंगाना जन समिति (टीजेएस), से एक मजबूत विरोध का सामना करना पड़ेगा और यह बहुत ही भारी पड़ेगा।

महा कुटमी गठबंधन के पास न तो कोई ऐसा नेता है जो कि के. चंद्रशेखर राव से सामना कर सके और न ही टी.आर.एस के विकास एजेंडे को चुनौती देने के लिए कोई स्पष्ट एजेंडा है। तेलंगाना के गठन से पहले इस क्षेत्र में कांग्रेस और टीडीपी दोनों का मजबूत आधार रहा है जो अब 2014 से कमजोर हो गया है।

मुख्य चुनौतियां  

तेलंगाना राज्य में टीआरएस बीजेपी को भी प्रतिबंधित कर रही है और अब के. चंद्रशेखर राव का सामना करने वाले एक विश्वसनीय मुख्यमंत्री को सामने लाना महा कुटमी गठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है।

आर्थिक

वर्तमान परिदृश्य

  • जीएसडीपी (2011-12): 97 बिलियन डॉलर, जीएसडीपी (2017-18): 113.68 बिलियन डॉलर
  • जीएसडीपी की विकास दर (2011-12) से (2 017-18): 12.60%
  • उद्योग का जीएसडीपी हिस्सा: 20%
  • 2015-16 में कृषि सकल मूल्य वर्धित (जीएसवीए): 14.7%

हैदराबाद की राजधानी और एक स्थापित आईटी शहर के रूप में तेलंगाना बहुत भाग्यशाली राज्य है जिसने राज्य में समग्र विकास को उत्प्रेरित करने वाली टीआरएस पार्टी को गठित करने का श्रेय प्राप्त किया है।

तेलंगाना की वर्तमान राज्य सरकार ने अपनी मौजूदा शक्ति के आधार पर औद्योगिक विकास के लिए प्रमुख तीन क्षेत्रो-औषधीय निर्माण, आईटी और आईटीईएस तथा प्रतिरक्षा विनिर्माण, पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है।

पिछले चार वर्षों में फार्मास्युटिकल (औषधीय) निर्यात में तेलंगाना का हिस्सा लगभग 20% यानी लगभग 1.49 बिलियन (लगभग 10,000 करोड़ रुपये) रहा है। अब तेलंगाना हैदराबाद के पास 19, 000 एकड़ में एक फार्मा सिटी का निर्माण करने की योजना बना रहा है और उम्मीद है कि इस कार्य के लिए तेलंगाना सरकार लगभग 993.02 मिलियन डॉलर (6,800 करोड़ रुपये) का निवेश करेगी।

तेलंगाना में राष्ट्रीय निवेश व विनिर्माण क्षेत्र (एनआईएमजेड) की स्थापना 12, 635 एकड़ में होने जा रही है, जिसमें स्थापना के चरण 1 में 3,000 एकड़ जमीन खरीदी गई है ओर इसके एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में भी उभरने की उम्मीद है।

तेलंगाना मेक इन इंडिया पहल के तहत राज्य में डिफेंस प्रोडक्शन को सक्रिय रूप से बढ़ावा मिल रहा है। ये इसे सक्रिय रूप से बढ़ावा देने के लिए पहले से ही प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय और देशीय कंपनियों को आकर्षित कर चुके हैं।

राज्य में आईटी और आईटीईएस विभाग की सेवाओं में 2017-18 में $ 14.50 बिलियन (92,500 करोड़ रुपये) का निवेश किया गया है। इसके अतिरिक्त राज्य अब हैदराबाद के बाहरी इलाके में सूचना प्रौद्योगिकी निवेश क्षेत्र (आईटीआईआर) को विकसित करने की योजना बना रहा है और इसके अन्तर्गत अगले पांच वर्षों में लगभग 15 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रुप से तथा 50 लाख लोगों के लिए अप्रत्यक्ष नौकरियां की उत्पन्न करने की उम्मीद है।

के. चंद्रशेखर राव अपने द्वारा पिछले चार साल छः महीनों में उत्पन्न की गई नौकरियों की संख्या के लिए महत्वाकांक्षी और आत्मविश्वासपूर्ण व्यक्ति बन गए हैं और इनकी अगले पांच वर्षों में अधिक नौकरियां उत्पन्न की संभावना इन्हें आने वाले चुनावों में अच्छा लाभांश का भुगतान कराएगी।

मुख्य चुनौतियां:

किसानों और अन्य जनवादी योजनाओं के लिए दी गई ऋण छूट ने राज्य के बजट को प्रभावित किया है। इसके अलावा, तेलंगाना को घरेलू निवेश और एफडीआई को आकर्षित करने के लिए ए.पी. से कड़ी प्रतिस्पर्धा का भी सामना करना पड़ रहा है।

आधारिक संरचना

तेलंगाना सरकार, राज्य में बिजली उत्पादन, सड़कों, आवास, चिकित्सा सुविधाओं और शैक्षणिक संस्थानों सहित कई आधारभूत संरचनाओं को बहुत ही तीव्र गति से विकसित कर रही है जिसमें 7, 480 मेगावाट की संयुक्त उत्पादन क्षमता वाले चार थर्मल पावर परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा, राज्य में बिजली उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए दो जल विद्युत परियोजनाओं को भी विकसित करने की उम्मीद है।

तेलंगाना राज्य ने जल वितरण पाइपलाइन नेटवर्क का उपयोग करके एक प्रमुख फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क लॉन्च किया है। इसके अन्तर्गत लोगों के घरों में हाई-स्पीड इंटरनेट की सुबिधा पहुँचाने की योजना बनाई गई है।

मिशन भागीरथ एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य सभी परिवारों को 95% पेयजल उपलब्ध कराना है। यह योजना बहुत ही अच्छी तरीके से कार्यरत है और आने वाले चुनावों में ये टीआरएस की मदद करेगी।

पिछले चार साल छः महीनों में ग्रामीण क्षेत्रों में आवास, सिंचाई और अन्य विकासशील कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के बाद, टीआरएस ने अगले पांच वर्षों में शहरी आधारभूत संरचना, जहां 44 प्रतिशत आबादी निवास करती है, के विकास पर ध्यान केंद्रित करने का वादा किया है।

मुख्य चुनौतियां:

राज्य आधारिक संरचना के विकास के लिए केंद्र सरकार से आवश्यक अपेक्षित धन प्राप्त करने में सक्षम नहीं है। टीआरएस को देशीय और अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण को बढ़ाने के लिए  देशीय और विदेशी निवेश के लिए तेजी से उभर रही एपी प्रतिस्पर्धा के साथ अधिक आक्रामक होना पड़ेगा।

सामाजिक स्थिति

अम्मा ओडी योजना प्रसव से पहले और बाद में गर्भवती महिलाओं को चिकित्सा सुविधाओं दिलाने के लिए मुफ्त परिवहन प्रदान करती है।

2017 में, एक केसीआर किट नाम की योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत,  गर्भवती महिलाओं को नवजात शिशु और मां की सहायता के लिए केसीआर किट के साथ 12,000 रुपये की वित्तीय सहायता भी मिलेगी। अम्मा ओडी और केसीआर किट दोनों ही योजनाएं लोगों को बहुत प्रिय हो गई हैं और टीआरएस को उम्मीद है कि मतदाता 7 दिसंबर को मतदान करते समय इन्हें जरुर याद रखेंगे।

मुख्य चुनौतियां:

जाति विभाजन, किसानों का संकट और अन्य संवेदनशील कारक हैं जिन्हें टीआरएस को खत्म करना ही होगा।