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डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का स्मरण

April 13, 2018
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डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का स्मरण

मैं इस बात को हमेशा याद रखती हूँ कि कैसे सामूहिक रूप से कुछ लोगों के बारे में बात की जाए और कैसे उनके बारे में अधिक से अधिक जानकारी फैलाई जाए, जिन्होंने हमारे लिए संघर्ष किया या फिर उससे भी कही ज्यादा। ऐतिहासिक दृष्टि से बाबासाहेब अम्बेडकर जैसे एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व के मामले में, यह और भी बड़ा सत्य है।

भारत के अधिकाशः लोग डॉ. अम्बेडकर को भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में याद करते हैं। वह एक सम्मानित व्यक्ति हैं, बस इतना ही सभी जानते है। कोई भी सवाल नहीं है आपके पास, बस आप जानते होगें कि उनको भारत रत्न दिया गया है- देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार। इस तरह से हम डॉ. अम्बेडकर को याद कर लेते हैं।

फिर भी, कुल मिलाकर एक अलग संदर्भ में, वह एक प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले महापुरूष है। कुछ लोग उन्हें दलितों के समर्थक के रूप में जानते हैं, कुछ लोग उन्हें सामाजिक उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए जानते हैं।

समय और दिन, जो हमें उनके कार्यों और त्याग को याद दिलाता है, जो एक अन्य भारत- दलित भारत को अस्तित्व में लाए, जिन्होंने वास्तव में दलितों के उत्थान की दिशा में काम किया है, जिसके लिए व्यावहारिक रूप से उनकी पूजा की जाती हैं।

स्वयं दलित, डॉ. अम्बेडकर ने सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिनको निचली जाति में जन्म के कारण (मेरे विचार में बहुत गलत) अछूत माना गया। गरीबी और अन्याय के साथ-साथ उनके जाति के अधिकांश लोगों को भेदभावों का सामना करना पड़ा, डॉ. अम्बेडकर ने कोलंबिया और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कानून की डिग्री प्राप्त की, जहाँ पर उनके घर से बेहतर माहौल था, वहाँ पर कोई भी भेदभाव नहीं था।

हाँ, यह सच है कि भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान के निर्माता थे और स्वतंत्र भारत सरकार के पहले कानून मंत्री थे, लेकिन हम भूल जाते है कि वो इससे भी बढ़कर थे। उदाहरण के लिए देखा जाए तो हम उनकी न्याय की प्यास भूल जाते हैं, फ्रांसीसी क्रान्ति के समय दिए गए नारे “स्वतंत्रता, समानता और बराबरी” पर अंबेडकर के महत्व को भूल जाते हैं, महात्मा गाँधी के साथ उनकी कई बहसों (जो अब अन्य विद्वानों का विषय है) को और न जाने ऐसी ही कितनी और बातों को भूल जाते हैं।

भीमराव अम्बेडर जी सबसे ज्यादा दलितों, जिसे अब हम लोग दलित आंदोलन कहते है, के जीवन में सामाजिक और शैक्षिक सुधार सुधार लाये, जिसके कारण वो लोग एक बेहतर जीवन जी सके। उन्होंने समाज को सुधारने में काफी मेहनत की और फिर भी हम यही मानते है कि अम्बेडकर जी ने केवल संविधान का प्रारूप तैयार किया और कानून मंत्री के पद को संभाला। हम जल्दबाजी में यह बात तो भूल ही गये कि उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा को दलित मांगों में रखा।

यह सब इतिहास में एक दिलचस्प पाठ है। केवल यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हमें याद है, लेकिन हम सच में उन्हें याद करते है और उनके स्मरण में क्या करते हैं, इस कार्य के लिए मात्र एक घंटे की जरूरत है।

साराँश
लेख का नाम- डॉ. बी.आर अंबेडकर का स्मरण    

लेखिका- स्वाती

विवरण- डॉ. बी.आर. अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता हैं, उनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया है, जो कि देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

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