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यमुना नदी: तत्काल सख्त कदम उठाने की आवश्यकता

March 5, 2018
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यमुना नदी

यमुना नदी

यमुना नदी या जमुना जी के रूप में जानी जाने वाली इस नदी के किनारे या उसकी सहायक नदियों के पास लाखों लोग निवास करते हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसे धार्मिक नदी माना जाता है, क्योंकि यह नदी अपने तटीय क्षेत्र की आबादी के लिए एक जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है। इस नदी का उद्गम हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियरों से होता है। यह नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पूरी दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बहती  है, जबकि इस नदी के किनारे रहने वाली आबादी अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपाकर्षी और इन-स्ट्रीम प्रयोजनों का उपयोग करती है। यमुना नदी की स्थिति दयनीय हो गई है, क्योंकि यह देश की दूसरी सबसे प्रदूषित नदियों में शुमार हो गई है। पर्यावरणविदों और विभिन्न हितधारकों के बीच बढ़ती हुई चिंताओं के अनुसार, यदि इस क्षेत्र में पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन नहीं किया गया, तो यह यमुना नदी जल्द ही नदी बजाय एक गंदे नाले में परिवर्तित हो जाएगी।

भारत में नदी के प्रदूषण की समस्या

भारत में नदियों का प्रदूषण एक प्रमुख पर्यावरणीय खतरा बन रहा है, क्योंकि भारत की अधिकाँश नदियाँ अत्यधिक जनसंख्या, अनुपचारित या आंशिक रूप से घरेलू और औद्योगिक अपशिष्ट जल जैसी चुनौतियों का सामना कर रही हैं और नदियों के भारी मात्रा में शोषण ने भारतीय नदी प्रणाली को बड़े पैमाने पर दूषित करने में योगदान दिया है। भारतीय नदी प्रणाली यमुना की हालत गंभीर है, क्योंकि अगर समय पर कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो यह नदी जैविक रूप से मृत होने की कगार पर आ सकती है। यमुना नदी के बढ़ते प्रदूषण स्तर का प्रमुख योगदानकर्ता दिल्ली राज्य है, उसके बाद आगरा और मथुरा भी क्रमशः नदी को दूषित करने की सूची में शुमार हैं। दिल्ली में विस्तारित यमुना नदी का लगभग 22 किलोमीटर भाग सबसे अधिक प्रदूषित है और दिल्ली में यमुना नदी के तट पर बढ़ते अतिक्रमण के कारण बहुत कुछ करना होगा, क्योंकि दिल्ली में अधिक जनसंख्या के कारण यमुना के तट पर गंदी बस्तियों की स्थापना में वृद्धि हुई है। यमुना नदी की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है, क्योंकि जलीय पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह प्रभावित होने के कारण यमुना नदी में जल प्रदूषण का स्तर खतरनाक दर से बढ़ रहा है, इस प्रकार नदी का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र काफी हद तक क्षतिग्रस्त होने की कगार पर है।

यमुना नदी का प्रभाव

यमुना नदी को, पौराणिक शहर इंद्रप्रस्थ को (दिल्ली राजधानी के रूप में) स्थापित करने का श्रेय दिया जा सकता है, जो आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की राजधानी भी थी। दिल्ली के भौगोलिक स्थान और यमुना नदी के तटीय मार्ग राजाओं के लिए महत्वपूर्ण थे, क्योंकि इस नदी ने साम्राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग और राज्य की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाली नदी के रूप में काम किया था। जब से भारत औद्योगिक विकास के पथ पर अग्रसर हुआ है, तब से दिल्ली शहर को लोगों द्वारा अपने मूल स्थान से दिल्ली जाकर नौकरियों की तलाश करने और रहने की स्थिति में सुधार के अवसर प्राप्त करने के कारण भारी जनसमूह का सामना करना पड़ा है, जिसका यमुना नदी पर काफी प्रभाव पड़ा है, क्योंकि नदी को क्षेत्र के बदलते जनसांख्यिकीय के अनुकूल होना पड़ा और साथ ही यह नदी वहाँ की आबादी की दैनिक आवश्यकताओं के लिए पानी का भी एक प्रमुख स्रोत थी। भारत में औद्योगिक विकास की अवधि में यमुना नदी में होने वाला नुकसान उच्च स्तर पर देखा गया है, क्योंकि अनुपचारित या आंशिक रूप से उपयोग में लाया जाने वाला पानी तथा घरेलू और औद्योगिक गंदा मल-जल नालियों के माध्यम से नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। इस प्रकार, हानिकारक प्रदूषक और भारी धातु जैसे कैडमियम, निकल और सीसा, जो कि नदी में अपर्याप्त रूप से मौजूद हैं, नदी में पहुँच जाते हैं, जबकि नदी के पानी में जस्ता और आयरन आमतौर पर मौजूद होते हैं। नतीजतन यमुना नदी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) में वर्ष 1980 से वर्ष 2005 की अपेक्षा खतरनाक दर से बढ़ोत्तरी हुई है। कई जीव विज्ञानियों का कहना है कि दिल्ली क्षेत्र की यमुना नदी में “पारिस्थितिक निष्प्राण” हो गई है। उनका कहना है कि प्रदूषण और विघटित ऑक्सीजन (डीओ) के निम्न स्तर ने यमुना नदी के पानी को विषैला कर दिया है। इसलिए यमुना नदी के 22 किलोमीटर के क्षेत्र में जलीय जीवन प्रजनन के लिए अब कोई सुरक्षित स्थान नहीं रह गया है। पूरी दिल्ली से यमुना नदी में 21 नालों द्वारा मल-जल प्रवाहित किया जाता है, जो यमुना के पानी को प्रदूषित करता है और इससे फ्योप्लांकटन और जूप्लांकटन जैसे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने के लिए जरूरी आवश्यक घटक भी नष्ट हो जाते हैं। यह घटक अब दिल्ली क्षेत्र की यमुना नदी के पानी में मौजूद नहीं हैं और इसलिए यमुना नदी में कोई जलीय जीवन भी अस्तित्वमय नहीं हो सकता है।

सरकार की भूमिका

वर्ष 1993 में, भारत सरकार ने जापान सरकार के साथ मिलकर यमुना एक्शन प्लान की शुरुआत की थी, जिसने वर्ष 1990 में यमुना एक्शन प्लान के पहले चरण को लागू करने के लिए, ऋण प्रदान करने के लिए भी हामी भरी थी। पहले चरण में मैंने देखा कि सरकार ने नदी के किनारों पर बुनियादी ढाँचे के विकास और यमुना के किनारे पम्पिंग स्टेशन, एसटीपी, कम लागत वाले शौचालय, श्मशान और बागान के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। यमुना एक्शन प्लान के दूसरे चरण की शुरुआत वर्ष 2004 में हुई। इस चरण में नदी के 22 किलोमीटर के क्षेत्र में काम किया गया और यमुना एक्सन प्लान के द्वितीय चरण का समापन वर्ष 2008 में हुआ। यद्यपि भारत सरकार ने वर्ष 1990 से यमुना एक्सन प्लान पर भारी निवेश किया है, लेकिन यमुना नदी की स्थिति अब भी दयनीय है और बनी रहेगी। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यमुना की सफाई की दिशा में काम करने का वादा किया है, क्योंकि वह यमुना की शुद्धता को बहाल करने और विश्वस्तरीय नदी बैंकों का विकास करने की योजना बना रहे हैं। दिल्ली सरकार ने यमुना नदी में किसी भी प्रकार के गंदे नाले को प्रतिबंधित करके, नदी को साफ करने की एक नई योजना को जारी करने का फैसला किया है। सरकार ने यमुना नदी के लिए वजीराबाद से ओखला तक समानांतर नहर बनाने का सुझाव प्रस्तुत किया है, ताकि अनुपचारित मल नदी में बहने की बजाय नहर में प्रवाहित हो सके। दिल्ली, हरियाणा सरकार के साथ सहयोग करने की योजना बना रही है, क्योंकि नदी के जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए ताजे पानी की आवश्यकता है और हथिनीकुंड बैराज से तुरंत पानी छोड़ने की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार द्वारा जारी की गई योजना को केंद्र सरकार से प्रशंसा मिली है, क्योंकि मोदी सरकार योजना की संभावनाओं की समीक्षा कर रही है और इस योजना को सफल बनाने के लिए धन लगाने की आवश्यकता है।

नागरिकों की भूमिका

देश के नागरिक, देश के विकास में न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक ऐसा भविष्य जहाँ बच्चे ताजी हवा में खेल और सांस ले पाएं साथ ही बिना कोई भुगतान किए सुरक्षित पानी पी सकें, एक ऐसा भविष्य जहाँ उनको आपदाओं के बारे में चिंता करने की आवश्यकता न हो। लोकतंत्र की कार्यप्रणाली में नागरिक सक्रिय भूमिका निभाते हैं, क्योंकि वे सरकार के नीतिगत निर्णय को प्रभावित कर सकते हैं, जबकि सरकार, नीतियों को लागू करने और इनके सफल कार्यान्वयन में नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों से अवगत कराने की भूमिका निभाती है। लोगों को सरकार के साथ सहयोग और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता है, ताकि यमुना को स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जा सके।

सारांश
लेख का नाम – यमुना नदी: तत्काल सख्त कदम उठाने की आवश्यकता

लेख – वैभव चक्रवर्ती

विवरण – यमुना नदी, हिमालय पर्वत से उत्पन्न दूसरी नदियों की तरह उत्तर भारत के लोगों के लिए एक जीवन रेखा रही है, लेकिन प्रदूषण के कारण यह विलुप्त होने की कगार पर है।