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मूर्ति बर्बरता- एक विनाशकारी विचारधारा

March 14, 2018
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मूर्ति बर्बरता- एक विनाशकारी विचारधारा

पिछले कुछ हफ्तों से, भारत के विभिन्न हिस्सों से प्रसिद्ध राजनीतिक और सामाजिक सुधारकों की मूर्तियों की तोड़-फोड़ की घटनाओं से संबंधित खबरें आ रही हैं। मूर्तियों के विध्वंस की सबसे पहली घटना त्रिपुरा से आई थी, जब कुछ दिन बाद भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने 25 वर्षीय वाम-मोर्चा सरकार पर अपना कब्जा कर लिया था। तब से, इस तरह के परिमाण वाली घटनाओं की खबरें केरल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्यों से सुनने को मिली हैं। त्रिपुरा में होने वाली इस तरह की घटना ने देश भर में मूर्ति विध्वंस के कार्यों की शुरुआत की, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मूर्तियों की तोड़-फोड़ की घटनाओं में हो रही वृद्धि की निंदा की है।

त्रिपुरा

त्रिपुरा में हाल ही में संपन्न हुए चुनाव निर्वाचन के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली आईपीएफटी गठबंधन ने राज्य में पहली बार पिछले 25 वर्षों से जीत हासिल करने वाली वाम-मोर्चा सरकार को हरा दिया है। 5 और 6 मार्च को राज्य के दक्षिण जिले में बेलोनिया और सबरूम शहर से एक खबर सामने आई, जब ‘बेलोनिया में’ एक पेलोडर (बुल्डोजर) के साथ लोगों की भीड़ ने ‘भारत माता की जय’ बोलते हुए रूसी क्रांतिकारी नेता व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को ध्वस्त कर दिया था, जबकि इसी तरह से सबरूम में भी लेनिन की मूर्ति का विध्वंस हुआ था। माना जाता है कि वामपंथी दलों और भारतीय जनता पार्टी के बीच चुनावी नतीजों के परिणाम के कारण पूरे राज्य में इस तरह की हिंसा की घटनाओं का जन्म हुआ।

उत्तर प्रदेश

त्रिपुरा से शुरू हुई इन घटनाओं ने धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश में भी मूर्तियों की तोड़-फोड़ की शुरुआत कर दी, क्योंकि भीड़ ने कथित तौर पर डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्होंने भारत में दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया था, की मूर्ति से छेड़छाड़ की। इस घटना के बाद मवाना इलाके के दलित समुदाय द्वारा इस घटना के लिए व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन किया गया था, जबकि अधिकारियों ने शीघ्र ही इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। यह घटना 6 मार्च की रात मेरठ में हुई थी और इसी तरह की एक घटना अगले दिन आजमगढ़ में भी हुई, जहाँ तीन लोगों के समूह ने कथित तौर पर बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से इस मामले की जाँच करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि राज्य में मूर्ति बर्बरता (विखंडन) जैसी घटनाएं फिर से नहीं होनी चाहिए।

तमिलनाडु

इसी प्रकार की एक घटना तमिलनाडु में भी हुई, क्योंकि राज्य के भाजपा नेता एच. राजा ने त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ति के विध्वंस के बाद एक विवादास्पद ट्वीट पोस्ट किया था। नेता के ट्वीट के परिणामस्वरूप लोगों ने तर्कवादी सामाजिक सुधारक ईवी रामास्वामी की मूर्ति को ध्वस्त कर दिया था। “पेरियार”, जो लोकप्रिय रूप से दक्षिण भारत राज्य में गैर-ब्राह्मण द्रविड़ के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, भाजपा नेता ने तुरंत अपना ट्वीट वापस ले लिया था, लेकिन इससे द्रविड़ों को आघात पहुँचा था, जिससे द्रविड़ विदुतलाई कड़गम के कथित सदस्यों द्वारा उच्च जाति वाले ब्राह्मणों को निशाना बनाया  था। भाजपा नेता की टिप्पणी के खिलाफ एक प्रतिशोध के रूप में,”पेरियार अमर रहे” के नारे के साथ इन लोगों ने ब्राह्मणों के पवित्र धागे को काट दिया था। पेरियार की तमिलनाडु में द्रविड़ आंदोलन के प्रतीक के रूप में पूजा की जाती है।

पश्चिम बंगाल

7 मार्च को मूर्तियों की तोड़-फोड़ का यह कार्य कोलकाता में भी हुआ, जब कॉलेज के माओवादी समर्थक छात्र संगठन से जुड़े छह कट्टरपंथी छात्रों के एक समूह ने जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मूर्ति का विखंडन कर दिया था। कालिघाट में जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर के अंदर भी मूर्ति विखंडन का कार्य हुआ था। टीएमसी कार्यकर्ता, उपद्रवियों द्वारा मूर्ति को तहस-नहस करने से रोकने के लिए मौके पर पहुँचे थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने देश-भर में हो रही मूर्ति विखंडन की घटनाओं की निंदा की है और यह सुनिश्चित किया कि जब तक वह जीवित हैं इस तरह की घटनाएं पश्चिम बंगाल की जमीं पर कभी नहीं होंगी।

मूर्तियों के तोड़-फोड़ का कार्य सिर्फ निंदनीय ही नहीं है, बल्कि यह उन नेताओं के लिए भी शर्मनाक है, लेनिन को छोड़कर, जिन्होंने  भारत के गठन और विकास में योगदान दिया है और विचार धाराओं के इस युद्ध में राजनीतिक और क्षेत्रीय समूहों द्वारा मूर्तियों का विखंडन किया जा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मूर्ति विखंडन की घटनाओं की निंदा की है और अधिकारियों से इन घटनाओं की जाँच करने के लिए कहा है। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को इस मामले की जाँच करने और इस तरह की घटनाएं देश में कहीं नहीं होगीं, यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

यहाँ तक कि प्रधानमंत्री के आदेश के बाद भी राजनीतिक नेताओं की मूर्तियों की तोड़-फोड़ की खबरें सामने आई हैं। इस तरह की घटनाएं हमारे समाज में बढ़ रही असहिष्णुता को दर्शाती हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रिक देश है और भारतीय समाज की विविधता इस देश की सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन जिस तरह से यह घटनाएं हो रही हैं, लगता है यह लोकतंत्रिक देश समय से पहले अतिवाद के विरोध का हिस्सा बन जाएगा।

लेख का नाम– मूर्ति बर्बरता- एक विनाशकारी विचारधारा

लेखक का नाम – वैभव चक्रवर्ती

विवरण– हाल ही में हुई मूर्तियों की तोड़-फोड़ का कार्य राजनैतिक दलों के बीच वैचारिक मतभेदों से लड़ने का एक नया तरीका बन गया है, जो गौरवशाली नेताओं और सामाजिक सुधारकों के प्रति अपमानजनक है।