Home / Government / छत्तीसगढ़ में बसपा के साथ अजीत जोगी का गठबंधनः कांग्रेस के लिए होगा बड़ा झटका?

छत्तीसगढ़ में बसपा के साथ अजीत जोगी का गठबंधनः कांग्रेस के लिए होगा बड़ा झटका?

November 2, 2018
by


छत्तीसगढ़ में बसपा के साथ अजीत जोगी का गठबंधनः कांग्रेस के लिए होगा बड़ा झटका?

क्या छत्तीसगढ़ में बसपा के साथ अजीत जोगी के गठबंधन से कांग्रेस को झटका लगेगा? इसका जबाब हाँ है। छत्तीसगढ़ में लगातार तीन बार रमन सिंह की अगुआई वाली भाजपा सरकार सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है और 2018 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के पास राज्य में वापस आने का सबसे अच्छा मौका मिला है।

कांग्रेस, भाजपा का सामना करने के लिए बसपा के साथ गठबंधन को लेकर आश्रित थी। कांग्रेस के पूर्व सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने अपनी पूर्व पार्टी को छोड़ते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) और मयावती की बसपा के बीच गठबंधन करके एक मजबूत पार्टी का निर्माण किया।

इस डेवलपमेंट से कांग्रेस को बहुत तगड़ा झटका लगा है, लेकिन इसमें कोई चौंकने वाली बात नहीं है, क्योंकि मायावती उत्तर प्रदेश के आगामी चुनावों में अपने सदस्यों को बड़े पैमाने पर उतारने के लिए कड़ी मेहनत कर रहीं हैं। छत्तीसगढ़ में इस डेवलपमेंट को बड़े खेल के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस 2019 के आम चुनावों में भाजपा को टक्कर देने के लिए राजनीतिक रूप से विविध पार्टियों के अव्यवस्थित समूह महागठबंधन को एक साथ लाने की कोशिश कर रही है। मायावती की बसपा को इस भव्य गठबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना था। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में 2018 में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, यह बीजेपी के खिलाफ 2019 की निर्णायक जंग में महागठबंधन के लिए लॉन्चिंग पैड होने की उम्मीद है।

हालांकि, अखिलेश सिंह की अगुआई वाली समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को टक्कर देने के लिए मायावती की बसपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया है जिसने राज्य में आम चुनावों के चलते राज्य में मजबूत महागठबंधन की कांग्रेस की योजनाओं पर पानी फेर दिया है।

उत्तर प्रदेश में मायावती द्वारा सपा के पक्ष में महागठबंधन का झुकाव जो पहला संकेत था कि वह कांग्रेस के बजाय सपा के साथ अपने राजनीतिक करयिर को आगे बढ़ाने की इच्छुक थीं। छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के साथ उनका गठबंधन निराशाजनक रहा लेकिन कांग्रेस के लिए यह कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है। उम्मीद की गई थी कि छत्तीसगढ़ में बसपा के साथ गठबंधन राजनीतिक रूप से जोगी का पत्ता साफ कर देगा और भाजपा के खिलाफ अपनी पकड़ को मजबूत बना पाने में पार्टी कामयाब होगी।

लेकिन अब जेसीसी-बीएसपी गठबंधन और बीजेपी के साथ संघर्ष करने के लिए यह द्विपक्षीय लड़ाई है। जोगी के गठबंधन ने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पार्टी को कमजोर करके भाजपा की मदद की है। कांग्रेस ने जेसीसी-बीएसपी गठबंधन की, अपने खिलाफ भाजपा का प्रायोजित कदम के रूप में, निंदा की है।

हालांकि भाजपा को भरोसा है कि वह लगातार चौथे कार्यकाल में अपने पद को बनाए रखेगी, लेकिन सत्ता विरोधी लहर से विधानसभा चुनावों में इसे उम्मीद की अपेक्षा  कम सीटें मिलने की संभावना है। ऐसे परिदृश्य में, अजीत जोगी किंगमेकर के रूप में अच्छी तरह से उभर सकते थे। इसका सकारात्मक प्रभाव मायावती पर भी पड़ेगा, क्योंकि यह सीबीआई और ईडी के दबाव को कम करेगा।

छत्तीसगढ़ में दो चरणों पर 90 सीटों के लिए विधानसभा चुनाव का आयोजन – 12 नवंबर और 20 नवंबर को होगा। 421 उम्मीदवारों ने पहले चरण में 18 सीटों पर लड़ने के लिए अपना नामांकन दर्ज कराया है।

विधानसभा चुनाव परिणाम की तुलना 2013 और 2008

वर्ष 2013

  • कुल सीटें: 90
  • निर्वाचन क्षेत्रों का प्रकार: सामान्य: 50; एससी: 10; एसटी: 29
  • कुल प्रतियोगी: 986
  • कुल मतदाता: 16,895,762
  • पुरुष मतदाता: 8,586,556
  • महिला मतदाता: 8,308,557
  • मतदान प्रतिशत: 77.12%

पार्टीवार सीट शेयर:

  • भाजपा: 49 सीटें
  • कांग्रेस: 38 सीटें
  • बसपा: 1 सीट
  • अन्य: 1 सीट