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चंद्रगुप्त मौर्य – भारतीय इतिहास के सबसे महान शासक

October 11, 2017
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चंद्रगुप्त मौर्य - भारतीय इतिहास के सबसे महान शासक

भारत के महान सम्राट मौर्य ने (340 ईसा पूर्व – 298 ईसा पूर्व) अपने शासनकाल में, पहली बार भारत को एक सत्ता के रूप में एकीकृत किया। उनके शासनकाल से पूर्व दक्षिण एशिया अधिकांशतः छोटे – छोटे राज्यों में बँटा हुआ था, जबकि गंगा के मैदानों पर नंद वंश का शासन था। चंद्रगुप्त मौर्य ने अधिकांश भारतीय उपमहाद्वीप पर विजय प्राप्त करके भारत को राजनीतिक एकता प्रदान की और मौर्य साम्राज्य की नींव रखी।

हालाँकि, चंद्रगुप्त मौर्य के शुरुआती दिनों के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है लेकिन ऐसा माना जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म लगभग 340 ईसा पूर्व हुआ था और इनकी माता का नाम मुरा था। यह भी माना जाता है कि मौर्य शब्द उनकी माँ मुरा के नाम से लिया गया। पुराणों (ऐतिहासिक संस्कृत कार्य) में वर्णित के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य ने 24 वर्षों तक शासन किया। इसके बाद उनके बेटे बिंदुसार ने 25 साल तक शासन किया। 274 ईसा पूर्व में बिन्दुसार की गद्दी अशोक ने संभाली, जो एक सफल शासक हुआ।

उनके पूर्वजों के बारे में भी जानकारी अस्पष्ट है। भारतीय साहित्यिक परंपराओं के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य का संबंध नंद वंश से था। लगभग आधी सहस्राब्दी के बाद, एक  संस्कृत नाटक मुद्राक्षस के नंदा (अधिनियम 4) में उन्हें “नंदनवय” पुकारा गया। विष्णु पुराण के मध्ययुगीन टीकाकार के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म नंद के राजकुमार और उनकी नौकरानी मुरा से हुआ था। जबकि बौद्ध पाठ महावंश के मतानुसार, चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म  खट्टिया (क्षत्रिय) कबीले में मोरिय नाम से हुआ था। तथ्यों को कल्पना से अलग करना मुश्किल है।

चाणक्य ने चंद्रगुप्त को राजनीति और युद्ध कौशल के विभिन्न पाठ सिखाए थे। चाणक्य या कौटिल्य एक महान विद्वान थे, जो प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के शिक्षक थे। उसके बाद चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु बने। चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश के शासक धनानंद को हराकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी।

उनका साम्राज्य भारतीय इतिहास में सबसे अधिक विस्तृत था। मौर्य साम्राज्य पूर्व में बंगाल और असम से लेकर अफगानिस्तान और बलूचिस्तान तक, पश्चिम में पूर्वी और दक्षिण-पूर्व ईरान तक, उत्तर में कश्मीर और दक्षिण में दक्कन के पठार तक फैला हुआ था। जब उन्होंने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की, उस समय उनकी आयु मात्र 20 वर्ष थी।

चंद्रगुप्त मौर्य विदेशी आक्रमण और निराशा की स्थिति का सामना करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने यूनान शासन से मुक्त राष्ट्र स्थापित किया।

चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर महान और उनके उत्तराधिकारी सेल्यूकस- I निकेटर से युद्ध में विजय प्राप्त की। फिर चंद्रगुप्त मौर्य ने यूनानी राज्यों के साथ दोस्ती की नीति बनाने के लिए सेल्यूकस की बेटी से विवाह किया। वास्तव में, इस नीति ने पश्चिमी दुनिया के साथ भारत के व्यापार को बढ़ाया था।

भारत के एकीकरण के बाद, चाणक्य की सलाह के अनुसार, चन्द्रगुप्त मौर्य ने महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक सुधार किए थे। चन्द्रगुप्त मौर्य ने अत्यंत कम सत्तावाद संरचना के साथ एक मजबूत केन्द्रीय प्रशासन की स्थापना की।  इस तरह एक मजबूत प्रशासन के कारण व्यापार और कृषि दोनों का विकास हुआ और अर्थव्यवस्था को बहुत मजबूत बना दिया। मौर्य साम्राज्य के दौरान कला और वास्तुकला काफी हद तक विकसित हुई। बौद्ध धर्म और जैन धर्म बहुत महत्वपूर्ण धर्म बन गए।

ग्रीक और लैटिन भाषा में चंद्रगुप्त को “सैंड्राकोटोस” या “एंड्राकोटस” के नाम से भी जाना जाता है। मौर्य साम्राज्य लगभग 137 वर्षों तक अस्तित्व में रहा। 298 ईसा पूर्व चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने बेटे बिन्दुसार को सिंहासन सौंपकर शासन के कार्य से स्वयं को मुक्त कर लिया। उस समय उनकी उम्र केवल 42 वर्ष की थी।

यह माना जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने जैन धर्म से प्रेरित होकर जैन धर्म को अपनाया और जैन संत भद्रबाहु के अधीनस्त एक संन्यासी बन गए। वह श्रवन बेलगोला दिनों के दौरान (वर्तमान कर्नाटक) सलेखाना (उपवास से मृत्यु) के द्वारा मौत को प्राप्त हो गए।

चंद्रगुप्त मौर्य अपने पोते अशोक की तरह सबसे प्रभावशाली शासक थे। अपने शासन के तहत उन्होंने भारत के एकीकरण द्वारा आधुनिक भारत की नींव स्थापित की।

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