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मौर्य साम्राज्य के दौरान कला का विकास

February 20, 2018
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मौर्य साम्राज्य, भौगोलिक दृष्टि से प्राचीन भारत का विशाल साम्राज्य था। इस साम्राज्य पर मौर्य वंश ने 322 ईसा पूर्व से 185 ईसा पूर्व तक शासन कियाथा। चंद्रगुप्त मौर्य, मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे और उन्होंने पाटलिपुत्र (वर्तमान समय पटना) को अपनी राजधानी बनाया था। अपनी सुंदर इमारतों और शाही महलों की वजह से राजधानी पाटलिपुत्र उस समय के सबसे अद्भुत शहरों में से एक थी, लेकिन इनमें से अधिकांश इमारतें लकड़ी की बनी होने के कारण मौर्य साम्राज्य की समयावधि के दौरान ही क्षतिग्रस्त हो गई थीं। कला और संस्कृति के अलावा, वहाँ पूर्णरूप से सामाजिक एकता विद्यमान थी और भारत में इस अवधि के दौरान ज्ञान और विज्ञान में भी कुछ महान विकास हुए थे। मौर्य साम्राज्य के दौरान कलात्मक शैलियों में भी बदलाव देखने को मिले। इस काल से पहले, अधिकांश कलात्मक शैलियों के लिए लकड़ी मुख्य सामग्री थी, लेकिन मौर्य साम्राज्य के दौरान इस मुख्य सामग्री की जगह पत्थर का उपयोग किया जाने लगा था। आज भी भारत का राष्ट्रीय प्रतीक, मौर्य साम्राज्य से संबधित अशोक का सिंह चतुर्मुख स्तम्भ शीर्ष (अशोक स्तंभ) सारनाथ में स्थिति है।

मौर्य साम्राज्य के दौरान हुए अनुकरणीय कार्य

अशोक स्तंभ

अशोक के अखंड स्तंभ मौर्य कला के सबसे बेहतरीन और प्रसिद्ध उदाहरणों में से एक हैं। पवित्र स्थानों या कस्बों के आस-पास स्थापित इन स्तंभों का निर्माण पत्थर से किया गया था, जिन पर अशोक के अभिलेखों को चिन्हित किया गया था। इन स्तंभों को बनाने के लिए चित्तीदार लाल और सफेद बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया था। प्रत्येक स्तंभ के तीन भाग- नींव (जमीन के अंदर का हिस्सा), स्तंभ का दंड और शीर्ष (पशु आकृति या एक शेर या एक हाथी बना होता है) होते हैं।

सारनाथ स्तंभ मौर्यकला और मूर्तिकला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है। इस स्तंभ में सबसे ऊपर शेर की चार मूर्तियाँ बनी हैं, जो पीछे से एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं और उसके नीचे चार जानवरों की छोटी-छोटी आकृतियाँ तथा एक उल्टा कमल का फूल बना हुआ है।

मौर्य काल की अन्य लोकप्रिय मूर्तियों में, मध्य प्रदेश में बेसनगर की यक्ष की मूर्ति, मथुरा के निकट परखम में यक्ष की मूर्ति और उड़ीसा के धौली में पत्थर का हाथी है।

स्तूप

अशोक द्वारा निर्मित स्तूपमौर्य वंश की एक प्रमुख कला शैली है। यह माना जाता है कि वहाँ 84,000 स्तूप थे, जिनका निर्माण बुद्ध के अवशेषों को संरक्षित रखने के लिए किया गया था।

मिट्टी के बर्तन

मौर्य साम्राज्य के दौरान मिट्टी के बर्तन बनाने की कला अपने चरम पर थी। उस समय के दौरान कुम्हार का पहिया (चाक) काफी प्रसिद्ध था। उत्तरी चित्रित धूसर मृदभांड (एनबीपी) के नाम से प्रसिद्ध, एक विशेष प्रकार की मिट्टी से बने बर्तनों को मौर्य बर्तनों का व्यापार-चिह्न माना जाता है। अच्छी जलोढ़ मिट्टी से बने चित्रित धूसर मृदभांड (एनबीपी) बर्तन, अपनी अद्वितीय चमक और प्रतिभा के कारण मिट्टी के बर्तनों के अन्य रूपों से भिन्न हैं। खुदाई हुए अधिकांश मौर्य स्थलों में विभिन्न आकार की मिट्टी से बनी वस्तुओं, खिलौनों, आदिम मूर्तियों के साथ-साथ तक्षशिला में गहने और मोती पाए गए हैं।

सिक्के

चिन्हित प्रतीकों के साथ-साथ विभिन्न आकारों, आकृतियों और वजन वाले ताँबे और चाँदी के सिक्के मौर्य काल की विशिष्ट पहचान हैं। इस अवधि में हाथी, पहाड़ और पेड़ सबसे सामान्य प्रतीक थे। सिक्कों को अक्सर पुन: प्रचालित किया जाता था, क्योंकि इनमें से कुछ सिक्कों पर साहूकार (मुद्रा परिवर्तक) के निशान भी मिलते थे।

बराबर गुफाएं

बराबर गुफाएं मौर्य वंश की सबसे महत्वपूर्ण विरासत हैं। बराबर गुफाएं बोध गया से 19 मील की दूरी पर स्थित हैं। इस अवधि के दौरान पॉलिश करने की कला अपने चरम पर थी और दो स्थानों पर स्थित बराबर गुफाओं को काँच के दर्पण की तरह पॉलिश किया गया है।

स्थानीय मूर्तिकार, जो सम्राट द्वारा अधिकृत नहीं थे, उन्होंने भी इस अवधि के दौरान की कुछ सबसे खूबसूरत मूर्तियों को बनाया था। बेसनगर की महिला आकृतियाँ और परखम की पुरुष आकृतियाँ उनकी कला के उदाहरण हैं। धौली में पत्थर के हाथी की आकृति को फिर से स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाया गया था।

मौर्य साम्राज्य की अन्य विशेषताएं

  • मौर्य समाज में सात वर्ग दार्शनिक, किसान, सैनिक, चरवाहे, कारीगर, न्यायाधीश और सभासद थे।
  • इस अवधि के दौरान सड़कें बनवाई गईं थीं और शाही राजमार्गों का उपयोग तक्षशिला और पाटलिपुत्र को जोड़ने के लिए किया गया था।
  • विधवाओं को मौर्य समाज में एक सम्मान जनक स्थान दिया गया था। कुल मिलाकर मौर्य काल में महिलाओं को पूरी आजादी दी गई थी।
  • कृषि का विकास करने के लिए इस अवधि के दौरान किसानों को कर मुक्त कर दिया गया था। इसके अलावा उन पर फसल संग्रह का कोई बोझ नहीं था।
  • पूरे भारत में चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा एक तरह की मुद्रा चलाई गई थी।
  • मौर्य काल के दौरान ही कस्बों और शहरी संस्कृति को स्थापित किया गया था।
  • मजबूत केंद्रीय सरकार और एक विशाल सेना मौर्य साम्राज्य की बुनियाद थी।