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भारत के लिए सरदार पटेल का दृष्टिकोण

January 16, 2018
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भारत के लिए सरदार पटेल का दृष्टिकोण

भारत के आयरन मैन (लौह पुरुष) सरदार वल्लभ भाई पटेल को आधुनिक भारत का वास्तुकार माना जाता है। हाल ही में वित्त मंत्री जी ने घोषणा की थी कि गुजरात में इस महान व्यक्ति की एक बड़ी सी प्रतिमा बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। यह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है कि वह सरदार पटेल की प्रतिमा का अनावरण करके उनको श्रद्धांजलि दें। “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” नामक यह प्रतिमा “स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी” के समान होगी, जो हमारे देश की महानता, संस्कृति और सरदार पटेल द्वारा देश के प्रति किए गए कार्यों का बखान करेगी और भारत के प्रति सरदार पटेल का यही सपना भी था।

घोषणा के बाद से इस परियोजना के बारे में सोशल मीडिया में बहुत सारी चर्चाएं हो रही हैं और युवा पीढ़ी इस परियोजना की बुरी तरह से आलोचना कर रही है। युवा पीढ़ी के अनुसार, 200 करोड़ रुपए एक बड़ी राशि है, जिसका उपयोग अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के लिए किया जा सकता था।

हालांकि यह सच है, क्योंकि हम इस बात से इनकार भी नहीं कर सकते हैं कि सरदार पटेल स्वतंत्रता के बाद, जब वह जीवित थे, तब उन्होंने भारत को दुनिया भर में एक बेहतर और समृद्ध देश बनाने के लिए काफी सपने देखे थे। पटेल के एक महान प्रशंसक और कट्टर अनुयायी नरेंद्र मोदी ने एक बार अपने निजी ब्लॉग में यह कहा था कि सरदार पटेल आजादी के बाद देश का परिदृश्य पूरी तरह से परिवर्तित कर देने वाले पहले उप-प्रधानमंत्री थे।

आधुनिक भारत के लिए सरदार पटेल का दृष्टि कोण क्या था?

सरदार पटेल महात्मा गांधी के विचारों से बहुत ज्यादा प्रभावित हुए थे। सरदार पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी शामिल हुए थे। सरदार पटेल ने गुजरात के विभिन्न हिस्सों में किसान आंदोलन शुरू किया और किसानों पर अंग्रेजों द्वारा लगाए गए अधिक कर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। वर्ष 1931 में सरदार पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। सरदार पटेल ने नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई थी और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक माना जाता था।

सरदार पटेल और स्वतंत्र भारत

आधुनिक भारत का इतिहास सरदार वल्लभभाई पटेल के बिना अधूरा माना जाता है। स्वतंत्र भारत के प्रति उनका नजरिया, उनका काम और उनके सिद्धांत अत्यधिक उल्लेखनीय थे, जिनमें से कुछ यहाँ प्रस्तुत हैः

भारत को एकीकृत करना: जब वर्ष 1947 में हमारा देश स्वतंत्र हुआ, तो सरदार पटेल को देश के गृह मंत्रालय में उप-प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। सरदार पटेल ने उप-प्रधानमंत्री के रूप में काफी नजाकत से कार्य-भार संभाला, क्योंकि उस समय भारतीय इतिहास बहुत ही संकटमय स्थिति में था। उस दिन के बाद से, सरदार पटेल भारत को संयुक्त देश में समेकित करने का सपना साकार करने में संलग्न हो गए थे। स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री के रूप में, सरदार पटेल ने 565 स्वशासी रियासतों और प्रदेशों को भारतीय संघ में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अपने आलोचकों और साथी राजनेताओं को आश्चर्यचकित करते हुए, लगभग एक वर्ष के अन्दर ही सरदार पटेल ने भारत के एक नए मानचित्र को अंकित कर दिया था। इसमें उन्होंने हर राजसी राज्य में भारतीय संघ का एक हिस्सा होने के लिए सांस्कृतिक एकता और सामंजस्य का मार्ग प्रशस्त किया।

स्वतंत्र भारत में नागरिक सेवाएं: कई लोगों के अनुसार, स्वतंत्र भारत में भारतीय नागरिक सेवा के गठन की वास्तविक स्वीकृति का श्रेय सरदार पटेल को जाता है। ब्रिटिश सरकार की भारतीय नागरिक सेवाएं भारत में उनके शासन को सुरक्षित और मजबूत करने के लिए बनाई गई थीं। दूसरी तरफ, सरदार पटेल एक मजबूत और स्वतंत्र नागरिक सेवा का शुभारंभ करना चाहते थे। सरदार पटेल ने एक संघीय नागरिक सेवा के लिए अपना समर्थन भी दिया था। उनका मानना था कि लोकतांत्रिक भारत में स्थापित सिविल सेवा (नागरिक सेवा) को भारत के लोगों की सेवा करनी चाहिए। सरदार पटेल का यह तर्क एकीकृत राष्ट्रीय प्रशासन के लिए एक आधारभूत स्वरूप बन गया था। आज, हमारे देश में भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा आदि जैसी कई सेवाएं मौजूद हैं। लेकिन, हम यह नहीं कह सकते कि क्या सही मायने में सरदार पटेल की विचार धारा का पालन किया गया है या नहीं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर सिविल सर्वेंट (नागरिक सेवक) में कुछ को छोड़कर बाकी सभी भ्रष्टाचार और राजनेताओं के चंगुल में फँसे हुए हैं। हालांकि, हम इस तथ्य को भी नहीं नकार सकते हैं कि सरदार पटेल का दृष्टिकोण एक मजबूत और जीवंत प्रशासनिक व्यवस्था का निर्माण करना था, लेकिन दुर्भाग्य से सरदार पटेल अपने इस सपने को पूरा करने के लिए लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाए थे।

सीमा सुरक्षा के बारे में चिंताशील: सरदार पटेल की अवधारणा थी कि अपने देश को सीमावर्ती देशों के हमलों से सुरक्षित रखने के लिए कुछ उचित नीतियों पर विचार किया जाना चाहिए। सरदार पटेल ने नेहरू जी को एक पत्र लिखा, जिसमें कुछ तथ्यों की ओर इशारा किया गया था, जो यहाँ प्रस्तुत हैं:

  1. उन्होंने भारत के लिए खतरे और चीन के नजदीकी युद्ध के बारे में सचेत किया था।
  2. रक्षा बल को मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
  3. विभिन्न सीमाओं में सैन्य स्थिति की जाँच करने और फिर से फेरबदल करने की आवश्यकता है।
  4. उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सीमा को सुदृढ़ बनाना चाहिए।
  5. इन सीमावर्ती क्षेत्रों में परिवहन और संचार में सुधार करना होगा।

हालांकि, नेहरु जी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण हमें 1962 में भारत-चीन के युद्ध में भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। इतना ही नहीं, सरदार पटेल द्वारा उस वक्त किए गए कुछ सावधानी पूर्वक उपायों के कारण, आज हमारा देश आतंकवाद के डर से थोड़ा आस्वस्त है।

निजीकरण: इसके अलावा, सरदार पटेल निजी उद्यमों के अनुकूल थे, जैसा कि नेहरू ने इष्ट सार्वजनिक क्षेत्र के विरोध में किया था। उस समय उनके कई बड़े भारतीय व्यापारियों के साथ बहुत घनिष्ठ संबंध थे और भारतीय व्यापार पर उनके विचार आज भी आधुनिक भारत के लिए उपयुक्त हैं।

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि नरेंद्र मोदी ने कई बार जो अपने भाषण में कहा, वह उचित ही कहा था कि यदि सरदार पटेल पहले प्रधानमंत्री बनते, तो भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ अलग प्रकार की होती। वास्तव में सरदार पटेल आधुनिक भारत के वास्तुकार थे। दुर्भाग्यवश, सरदार पटेल आजादी के बाद तीन साल तक ही जीवित रहे। अगर वह अधिक समय तक जीवित रहे होते, तो यह आयरन मैन आधुनिक भारत को अपने दृष्टिकोण से दुनिया के सबसे विकसित देशों में शामिल करने में काफी सक्षम थे। हम इस महान भारत को नमन करते हैं।