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दिल्ली में वायु प्रदूषण: दीवाली के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान

October 23, 2017
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वायु प्रदूषण, कणिका तत्व के स्तर में बढ़ोत्तरी, श्वसन संबंधी बीमारियाँ … दुर्भाग्य से, राष्ट्रीय राजधानी के दैनिक शब्दावली का हिस्सा बनने वाले ऐसे कारण हैं, जो खतरे के सूचक माने जाते हैं। इस समय दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर है और दिल्ली के एनसीआर क्षेत्र में रहने वाले लोग दीवाली का त्यौहार उत्साह की बजाय घबराहट की भावना के साथ मनाने के लिए बाध्य हैं।

हर साल दीवाली के बाद शहर में और उसके आस-पड़ोस के राज्यों में वायु प्रदूषण, खतरनाक स्तर तक पहुँच जाता है। अक्टूबर 2016 में दिल्ली के वातावरण में कणिका तत्व का स्तर सुरक्षित सीमा (विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित) 14 से 16 के बीच था। श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए दीवाली का त्यौहार खुशी और उत्साह की बजाय उन्हे डराने का काम करता है, क्योंकि इस समय दिल्ली पटाखों के धुएं के मोटे काले बादलों और प्रदूषित वायु की गिरफ्त में होती है। स्कूलों व अन्य शैक्षणिक संस्थानों और अन्य संस्थानों को तब तक बंद रखा जाता है, जब तक शहर को प्रभावित करने वाली धुएं की परत साफ नहीं हो जाती है।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान

सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्सव संबंधी और सर्दी के मौसम के दौरान राजधानी क्षेत्र को प्रभावित करने वाले जहरीले प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए दिए जाने वाले सुझाव के कारण, पिछले साल केंद्र सरकार ने ग्रेडिंग रिस्पांस एक्सन प्लान अपनाने का फैसला किया। जनवरी 2017 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने कहा कि यह योजना अक्टूबर 2017 और मार्च 2018 के बीच लागू की जाएगी। सफलता के आधार पर यह योजना आगामी वर्षों में भी कार्यान्वित की जा सकती है।

इस ग्रेडिंग रिस्पांस एक्सन प्लान का पहला कदम पर्यावरण संरक्षण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण या ईपीसीए की स्थापना है, जो विशेष रूप से दिल्ली के एनसीआर क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ईपीसीए का नेतृत्व पूर्व आईएएस अधिकारी भंवर लाल की अध्यक्षता में किया जाएगा। देश में प्रदूषण को रोकने की खातिर आवश्यक निर्णय लेने के लिए, ईपीसीए को विशेष शक्तियों के साथ वरीयता प्रदान की गई है। ईपीसीए को ऑड एवन कार फॉर्मूला को लागू करने के साथ-साथ प्रदूषण मानदंडों के उल्लंघन के लिए कठोर दंड व जुर्माना लगाने और यदि आवश्यक हो तो कुछ क्षेत्रों में स्कूलों और उद्यमों को बंद कराने का भी अधिकार प्रदान किया जाएगा। ईपीसीए एनसीआर में 30 निगरानी स्टेशनों की स्थापना के फलस्वरूप, वायु की गुणवत्ता के आँकड़े प्राप्त करने में सक्षम होगा।

प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश

दिल्ली में वायु की गुणवत्ता की कमी को सुधारने के लिए, सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं –

  • कोयला ईंधन आधारित बिजली संयंत्र, बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन को जुलाई 2018 तक बंद करने के आदेश दिए गए हैं। कोयला आधारित बिजली संयंत्र वायु प्रदूषण में अहम भूमिका निभाते हैं और दिल्ली में पीएम 5 स्तर के साथ लगभग 11 प्रतिशत दर्ज किया गया है। हालांकि यह एक स्थायी उपाय है, फिर भी दीवाली से पहले वायु की गुणवत्ता में कमी के कारण सुधारात्मक कार्रवाई के रूप में, इस सप्ताह के सभी दिन बिजली संयंत्र को बंद करने का आदेश दिया गया था।
  • राजधानी में वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए डीजल वाले जेनरेटरों के उपयोग पर प्रतिबंध, भारत सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में से एक है। दिल्ली में अधिकांश अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स और कार्यालय संस्थानो में डीजल वाले जेनरेटरों का उपयोग किया जाता है। इन जगहों पर लगाया गया प्रतिबंध मार्च तक लागू रहने की संभावना है।
  • अस्पतालों और अन्य आपातकालीन सेवाओं को इस तरह के प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है और यह डीजल वाले जेनरेटर का उपयोग कर सकते हैं।
  • एनसीआर में अत्यधिक प्रदूषण करने वाले ईंट भट्ठों को भी बंद करने के आदेश दिए गए हैं। ईपीसीए ने ‘जिग-जैग तकनीक’ वाले ईंट के भट्ठों पर इस तरह का कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाया है और ईपीसीए ने प्रदूषण करने वाले ईंट के भट्ठों को ‘जिग-जैग तकनीक’ का उपयोग करने का सुझाव दिया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध काफी सराहनीय कदम माना जाता है। हालाँकि न्यायालय का यह आदेश निश्चित ही कुछ बच्चों को निराश कर सकता है, लेकिन इस वर्ष निर्मल और पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाने के नजरिए से इसका सकारात्मक कदम के रूप में स्वागत किया जा रहा है। इसकी सफलता के आधार पर, आगामी वर्षों में देश के अन्य भागों में भी इस तरह के प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं।
  • प्रदूषणकारी वाहनों का उपयोग करने या कचरे को जलाने वाले लोगों के खिलाफ कठोर दंड निर्धारित किए गए हैं।

पिछले साल, शीतकालीन के समय हजारों दिल्लीवासी श्वसन संबंधी बीमारियों की चपेट में आ गए थे। बच्चों को स्कूल न जाने के लिए बाध्य किया गया था। देश की राजधानी दिल्ली अस्थमा, लंग (फेफड़ा) कैंसर और अन्य संबंधित बीमारियों के रुझानों से भयग्रस्त है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए उपाय सरकार को निष्ठुर लग सकते हैं, लेकिन वे दिल्ली के निवासियों और पड़ोसी राज्यों में रहने वाले लोगों के अस्तित्व और भलाई के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।