ईद उल-फितर – हर्षो उल्लास का त्यौहार
ईद उल-फितर, जिसे रोजे के बाद के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है, को मीठे त्यौहार के रूप में मनाया जाता है, जो इस्लामी पवित्र महीना रमजान के अंत का प्रतीक है। यह ईद नए चाँद को देखकर मनाई जाती है। आम तौर पर यह नया चाँद दो तिथियों में देखा जाता है क्योंकि कुछ लोग चाँद को देखकर ईद मनाते हैं बल्कि कुछ लोग मक्का से चाँद दिखने की घोषणा करने के बाद ईद मनाते हैं। ईद का यह त्यौहार शव्वाल के महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है।रमजान के पूरे महीने में मुस्लिम लोग उपवास (रोजे) रखते हैं। ईद का यह त्यौहार ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
सलात उल-ईद या सुबह की पहली नमाज
ईद कादिन सलात उल-फज्र या सुबह की पहली नमाज के साथ शुरू होता है। सभी मुसलमान सुबह जल्दी उठते हैं और नमाज अदा करने से पहले नहाकर नये कपड़े पहनते हैं। ईद के दिन कोई भी मुस्लिम उपवास (रोजा) नहीं रख सकता हैं और मस्जिद में ईद की नमाज अदा करने के बाद भोजन करते हैं। सलातउल-ईद जिसे समुदाय के एक हिस्से के रूप में जाना जाता है। ईद की नमाज एक खुले स्थान पर बिना आजान दिये अदा की जाती है।
फितरा या दान
ईद की नमाज अदा करने से पहले मुसलमानों द्वारा ईद के दिन गरीबों और जरूरत मंदों को फितरा या दान दिया जाता है। बहुत से लोग, इस शुभ अवसर पर अपने माल-असबाब पर निकला हुआ जकात वितरित करते हैं। जकात निकालना एक इस्लामिक अनिवार्यता है, जिसमें एक व्यक्ति अपनी वार्षिक बचत का 2.5% हिस्सा ज़रूरत मंदों को प्रदान करता है। मुस्लिम लोग जकात के रूप में अकसर भोजन और नए कपड़े वितरित करते हैं। यह जकात गरीब, धैर्य, पूजा और दान की सहानुभूति को प्रदर्शित करता है।
रमजान के दौरान रोजे रखने के पीछे की विचारधारा
रमजान के महीने के दौरान उपवास सभी सांसारिक इच्छाओं से खुद पर नियंत्रण रखने और अल्लाह पर ध्यान केंद्रित करने के लिए रखा जाता है। एक तरह से ये रोजे अल्लाह पाक द्वारा दिए गए सभी एहसानों का शुक्रिया अदा करने का एक तरीका है। रमजान के महीने के दौरान रखे जाने वाले व्रत (रोजे) प्रत्येक मुसलमान को प्यास और भूख की पीड़ा का अनुभव कराते है। व्रत के दौरान, उन गरीबों की स्थिति के बारे में पता चलता है, जिनको ठीक ढंग से भोजन और पानी भी नहीं मिल पाता है। इसके अलावा, किसी न किसी को रोजा खोलने के लिए इफ्तार पार्टी करवानी चाहिए और अन्य लोगों को इस इफ्तार पार्टी में भाग लेना चाहिए। कोई भी व्यक्ति इस काम को प्रमुखता दे सकता है और खासकर उनके लिए यह एक अच्छा विचार होगा जो भोजन का खर्चा वहन नहीं कर सकते हैं साथ ही यह दान का कार्य भी है।
नए कपड़े पहनना
ईद के दिन नए कपड़े पहनना और परिवार के साथ इस दिन का जश्न हर्षो उल्लास के साथ मनाने का महत्व है। इसके अलावा, इस दिन अल्लाह के एहसानों को स्वीकारना और अल्लाह ने जो कुछ भी दिया है उसके लिए उसको धन्यवाद देना है।
व्यंजन
ईद के इस त्यौहार पर विशेष व्यंजनों में लच्छे या सेवइयां, दूध और मेवे (ड्राई फ्रूट्स) के साथ टोस्टेड स्वीट वर्मी सेली नूडल्स की तरह तैयार की जाती हैं।
जश्न
ईद उल-फितर का यह त्यौहार एक से तीन दिनों तक मनाया जाता है। इस दिन लोग अरबी भाषा में ‘ईद मुबारक (“ब्लैस्ड ईद”) और ‘ईद सईद (“हैप्पी ईद”) बोलकर बधाई देते हैं। इस त्यौहार का जश्न मनाने के लिए हजारों की संख्या में मुस्लिम अति उत्साहित होकर बाहर निकलते हैं। बाजार और शॉपिंग मॉल मुस्लिम समुदाय के लोगों से भर रहते हैं। महिलाएं, विशेष रूप से युवा लड़कियां अक्सर पारंपरिक मेंहदी को अपने हाथों पर लगाती हैं और रंगीन चूड़ियां पहनती हैं।
ईद की नमाज के बाद, कुछ परिवार कब्रिस्तान जाते हैं और अपने परिवार के मृत सदस्यों की मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। पड़ोसियों, परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ मिलकर मिठाइयों का आदान-प्रदान करना इस दिन बहुत खास माना जाता है। परंपरागत तरीके से एक दूसरे के गले लगकर ईद की मुबारकबाद दी जाती है। लोगों के बीच अक्सर उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है और बच्चों को अपने बुजुर्गों द्वारा कुछ रूपये (ईदी) दिये जाते हैं।
भारत में प्रसिद्ध स्थान,जहां ईदउल-फितर की नमाज अदा की जाती है
दिल्ली में जामा मस्जिद, हैदराबाद में मक्का मस्जिद, लखनऊ में ऐशबाग ईदगाह, कोलकाता में रेड रोड और नखोदा मस्जिद, भोपाल में ताज-उल-मस्जिद, मुंबई में जामा मस्जिद, कश्मीर में हजरतबल मस्जिद।