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जीएसटी कार्यान्वयन के तहत ई-वे बिलिंग प्रणाली

April 26, 2018
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जीएसटी कार्यान्वयन के तहत ई-वे बिलिंग प्रणाली

भारत में माल और सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन से विभिन्न क्षेत्रों के कामकाज में एक बड़ा बदलाव आया है। इस साल 1 जुलाई को इसे लागू हुए 1 साल हो जाएगा और पूरी दुनिया जीएसटी के द्वारा किए गए विकास कार्यो की गवाह है। इसके कार्यान्वित होने के बाद देश में सुधार की कई नई संभावनाएं उत्पन्न हुई हैं। ई-वे बिलिंग प्रणाली का परिचय जीएसटी कार्यान्वयन के तहत एक ऐसी ही पहल है।

पहले, राज्यों को वैट के तहत अपनी अलग ई-वे बिलिंग प्रणाली की आवश्यकता पड़ती थी। यह राज्य के अन्दर माल के आवागमन में बहुत कठिनाई पैदा करता था। अब नई बात यह थी कि ई-वे बिलिंग प्रणाली एक आवश्यकता बन गई जो पूरे भारत भर में लागू हो। जीएसटी के तहत ई-वे बिलिंग प्रणाली के लागू होने के साथ, देश में एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं के पारगमन के लिए अब एक सार्वभौमिक कानून होगा। ई-वे बिल को 1 अप्रैल से पूरे भारत में लागू किया गया है।

राज्यों के भीतर ई-वे बिलिंग सिस्टम का कार्यान्वित होना

जीएसटी परिषद ने इस साल 15 अप्रैल से राज्यों के भीतर माल के परिवहन के लिए ई-वे बिलिंग प्रणाली शुरू करने का निर्णय लिया है। राज्य के भीतर (इंट्रा-स्टेट) माल के आवागमन की प्रक्रिया राज्य के बाहर (इंटर-स्टेट) आवागमन की प्रक्रिया के समान है। अब तक, 12 राज्यों में इस नए इंट्रा-स्टेट बिलिंग सिस्टम को लागू किया जा चुका है। मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मेघालय और केन्द्र शासित प्रदेश पुडुचेरी जैसे राज्यों ने इस साल 25 अप्रैल से इंटरा स्टेट ई-वे बिल सिस्टम लागू कर दिया है।

ई-वे बिल क्या है?

ई-वे बिल एक इलेक्ट्रॉनिक डाक्यूमेंट बिल है जो जीएसटी शासन के तहत राज्यों के भीतर और बाहर माल के आवागमन के लिए आवश्यक है। बिल मूल रूप से एक डिजिटल इंटरफेस के साथ एक स्वीकृति प्रक्रिया है, जिसमें एक व्यक्ति को जीएसटी पोर्टल पर उनके आवागमन से पहले भेजे हुए माल के संबंध में प्रासंगिक जानकारी प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। वाहन में माल के परिवहन को राज्य के भीतर और राज्य के बाहर ई-वे बिल के जारी होने के बाद ही अनुमति दी जाएगी।

ई-वे बिल का उद्देश्य

भारतीय राज्यों के भीतर माल के आवागमन की निगरानी और कर चोरी पर जाँच रखने के लिए ई-वे बिल पेश किया गया है।

इसे कब जारी करना है?

ई-वे बिल का जारी होना तब अनिवार्य है, जब सामान की कीमत कुछ प्रावधानों के अधीन 50,000 रुपये से अधिक होगी। यदि एकल चालान का मूल्य 50,000 रुपये से कम है और यदि सभी सामानों का मूल्य 50,000 रुपये से अधिक है तब ट्रांसपोर्टरों को बिल जारी करवाने की आवश्यकता नहीं होगी।

किसी अन्य राज्य में कर्मचारी के मालिक द्वारा माल परिवहन के मामले में, भेजे गए माल की राशि को निरपेक्ष रूप से बिल में जारी करना चाहिए। इसी तरह, एक राज्य से दूसरे राज्य में हस्तशिल्प वस्तुओं का परिवहन, जिसे पंजीकरण प्राप्त करने की छूट दी जाती है, को भी इस बिल को जारी करवाने की आवश्यकता होगी, भले ही उस माल का मूल्य 50,000 रुपये से कम हो।

ई-वे बिलिंग प्रणाली की उपयुक्तता (व्यावहरिकता)

सभी व्यक्तियों के लिए इस ई-वे बिल को जारी करवाना आवश्यक होगा यदि सामान का मूल्य 50,000 रुपये से अधिक है फिर चाहे वे पंजीकृत हो, अपंजीकृत हो या माल के ट्रांसपोर्टर हों। माल भेजने वाले, माल प्राप्त करने वाले या ट्रांसपोर्टर कोई भी हो उसके लिए इस बिल को जारी करवाना आवश्यक है, जिनका वाहन एक स्थान से दूसरे स्थान तक माल के परिवहन के लिए उपयोग किया जाता है। जब माल भेजने वाले या माल प्राप्त करने वाले द्वारा यह बिल जारी नहीं कराया जाता तो यह बिल जारी करवाना ट्रांसपोर्टर का कर्तव्य बन जाता है।

इसके जारी होने की प्रक्रिया

ई-वे बिल फॉर्म, जीएसटी ईडब्लूबी -01 को दो हिस्सों में बांटा गया है – भाग ए 50,000 रुपये से अधिक मूल्य के माल के प्राप्तकर्ता या सप्लायर द्वारा भरा जाता है और भाग बी माल के ट्रांसपोर्टर द्वारा भरा जाता है। जहाँ सामान आपूर्तिकर्ता या प्राप्तकर्ता द्वारा स्वयं पहुँचाया जाता है, तो जीएसटी पोर्टल पर ई-वे बिल बनाने के लिए भाग बी को भरना आवश्यक होता है।

जब माल को स्थानांतरित करने के लिए पंजीकृत व्यक्ति द्वारा माल ट्रांसपोर्टर को सौंप दिया जाता है, पंजीकृत व्यक्ति आम पोर्टल पर फॉर्म के भाग बी में ट्रांसपोर्टर का ब्योरा प्रस्तुत करेगा। फॉर्म के भाग ए में पंजीकृत व्यक्ति द्वारा भरी गई जानकारी के आधार पर ई-वे बिल ट्रांसपोर्टर द्वारा जारी किया जाएगा।

ई-वे बिल संख्या (ईबीएन) की उत्पत्ती ई-वे बिल के जारी होने पर होगी, जो आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता और पोर्टल पर ट्रांसपोर्टर के लिए उपलब्ध होगी।

कुछ ऐसे मामले जिसमें इसकी आवश्यकता नहीं होती है

  • जब भेजे हुए माल की कीमत 50,000 रुपये से कम होती है।
  • परिवहन का साधन एक गैर मोटर वाहन है।
  • खाली कार्गो कंटेनरों का परिवहन।
  • नेपाल या भूटान से आयात या निर्यात ट्रांजिट कार्गो
  • संबंधित राज्य / केन्द्र-शासित राज्य में जीएसटी नियमों द्वारा जरूरत के मुताबिक ई-वे बिल में छूट दी गयी हो।

ई-वे बिल की वैधता

ई-वे बिल की वैधता इसके जारी होने के समय से तुरंत शुरू होती है। 100 कि.मी. की दूरी तक, बिल की वैधता एक दिन है। 100 कि.मी. से अधिक दूरी होने पर, बिल एक अतिरिक्त दिन के लिए मान्य होगा।

ई-वे बिल का रद्दीकरण

ई-वे बिल को ई-वे बिल में उल्लिखित विवरणों के अनुसार परिवहन नहीं किया जाता है, तो इसके जारी होने के 24 घंटे के भीतर इसे रद्द किया जा सकता है। इसे सीधे या आयुक्त द्वारा अधिसूचित सुविधा केंद्र में रद्द करवाया जा सकता है। जारी किए गए बिलों को रद्द करने के लिए एसएमएस सुविधा भी उपलब्ध है।