‘भाग्यशाली’ रत्नों का जुनून: रत्न और उनके महत्व
यदि आप भारत से सम्बंधित हैं तो शायद आपने “नवरत्न” या नौ अनमोल रत्नों के बारे में सुना ही होगा, जिनको आमतौर पर नव मुख्य ग्रहों (ग्रह) को संतुष्ट करने के लिए धारण किया जाता है जो किसी के भाग्य को गहराई से प्रभावित करने वाले माने जाते हैं। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नव ग्रह में (मुख्य सूर्य, चंद्रमा और राहु तथा केतु सहित अन्य) भी हैं कहा जाता है कि ये जन्मजात सारणी में अपनी गति तथा स्थिति के अनुसार किसी के भी भाग्य को प्रभावित करने वाले माने जाते हैं। “नवरत्न” का महत्व प्रत्येक राशि के लिए अलग-अलग होता है। नकारात्मक प्रभावों को नकारने और सकारात्मक वाइब्स पर दवाब बनाने के लिए आपको एक (अंगूठी) या लटकन (पेंडेन्ट) के रूप में एक रत्न धारण करने के लिए कहा जाता है। इन रत्नों और उनके गुणों को समझने के लिए यहाँ एक आसान मार्गदर्शिका दी गई है।
हीरा
शुक्र ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: वृषभ और तुला राशि के स्वामी शुक्र को प्रसन्न करने के लिए हीरा रत्न को धारण किया जाता है। रंग- जब आप हीरा खरीदते हैं तो शुद्धता, कटौती और रंग जैसे महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखें। गुण- हीरा सबसे प्रभावी और अनमोल रत्न है। इसे धारण करने वाला व्यक्ति धन सफलता और सुख प्रदान करता है। ज्योतिषी कहते हैं कि यह मधुमेह और पाचन संबधित बीमारियों के लिए भी फायदेमंद हैं। लंबे समय तक जीवित रहने, सफल विवाह और व्यवसायी सफलता के लिए यह आशीर्वाद प्रदान करता है। हीरा पहनने से पहले उसकी अनुकूलता की जाँच करना बहुत ही आवश्यक होता है।
पन्ना
बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: हिंदू ज्योतिष में, पन्ना, बुध ग्रह से संबधित है, जो मिथुन और कन्या राशि-चक्र का स्वामी होता है। रंग- इसका रंग हल्के तोतिये से लेकर गाढ़े हरे रंग तक हो सकता है, असली पन्ने में काले रंग के हलके रेशे होते है। यह रत्न पीले और नीले रंग के माध्यमिक रंगों को भी प्रदर्शित कर सकते हैं। गुण- कहा जाता है कि पन्ना को बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है। यह रत्न आपके भाषण-सम्बंधित कौशल और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायता प्रदान करता है। पुरानी पाचन संबधी बीमारियों के लिए यह सामान्य तौर पर सुझावित उपायों में से एक है। सृजनात्मक उद्योग वाले व्यक्तियों और खिलाड़ियों को आमतौर पर पन्ना रत्न धारण करने के लिए कहा जाता है।
माणिक
सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: ज्योतिषियों का मानना है कि, माणिक रत्न सूर्य ग्रह से संबधित है जो सिंह राशि का स्वामी है। सूर्य हमारे सौर मंडल के केंद्र में स्थित है और यह हमारी राशि के लिए महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्वामी माना जाता है। रंग- रूबी या माणिक देखने में चमकदार लाल रंग का होता है। अपनी उत्पत्ति की स्थित के आधार पर यह लाल से भिन्न, गुलाबी और काले रंग का भी हो सकता है, यहाँ तक कि चमकदार नारंगी भी। गुण- कहा जाता है कि रूबी पहनने वाले व्यक्ति की उर्जा में बढ़ोत्तरी होती है। यह हृदय की सुरक्षा करने के साथ-साथ जीवन शक्ति को भी बढ़ाता है। नेता, अग्रणी, उद्यमी और जो अपने युद्ध क्षेत्र में सफल बनने की इच्छा रखते हैं उन्हें सदैव रूबी पहनने की सलाह दी जाती है।
नीलम
शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: नीला नीलमणि शनि ग्रह को शांत करने के लिए धारण किया जाता है यह (हिंदू ज्योतिष के अनुसार) सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक और मकर तथा कुंभ राशि का स्वामी माना जाता है। रंग- नीलम हल्के नीले और चमकीले नीले रंग के होते हैं। जो कम मूल्यवान होते हैं वे सफेद या काले रंग के भी होते हैं। गुण- नीलम या नीलमणि ज्योतिषियों द्वारा सुझाए गए सबसे अधिक सुरक्षात्मक और तीव्र कार्यकारी रत्नों में से एक है। कहा जाता है कि इसे निराशा, आलस्य, अवरुद्ध मार्ग का मार्गदर्शन और भ्रमित करने वाले विचारों से रक्षा तथा आश्चर्यजनक प्रतिफल देने वाले परिणाम को प्राप्त करने के लिए धारण किया जाता है। हालांकि, नीलम को धारण करने से पूर्व सावधानी पूर्वक जाँच कर लेनी चाहिए।
पीला नीलम
बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पीला नीलमणि धनु और मीन राशि का स्वामी होता है तथा बृहस्पति ग्रह को संतुष्ट करने वाला होता है। रंग- पीला नीलमणि या पुखराज हल्के पीले रंग का या चमकीला पीला या शहद के रंग का भी हो सकता है। गुण- एक पुखराज पहनने वाले व्यक्ति के जीवन में बृहस्पति संतुष्ट होकर अशुभ घटनाओं को दूर करके उसके जीवन में खुशियाँ भर देते हैं। ऐसा माना जाता है कि पीला नीलमणि पहनने वाले व्यक्ति के जीवन में संपत्ति, पदोन्नति और प्रतिष्ठा में उन्नति होती है तथा एक अच्छा जीवन साथी भी मिलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि यह थायरॉयड से संबंधित बीमारियों और अनिद्रा के लिए संसोधन करने वाला होता है। यह आपको आधात्यमकि रूप से और अधिक प्रवृत्त बनाने का कार्य करता है।
मूंगा
मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: यह मोंगा या कोरल रत्न है जो नियमित रूप से अग्नि के ग्रह मंगल से संबधित मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी माना जाता है। रंग- ज्योतिषियों के अनुसार चमकदार लाल या चमकता हुआ नारंगी मूंगा अत्यधिक शुभ बताया जाता है। मूंगा धब्बेदार काला या अन्य मुद्रण का या फिर इनसे भी अलग हो सकता है। गुण- मूंगा पराक्रम और निडरता प्रदान करता है। यह पति या पत्नी को लेकर आत्मविश्वास बढ़ाने और “मांगलिक दोष” के प्रभाव को भी दूर करता है। यह बवासीर संबंधी बीमारियाँ या मासिक धर्म अनियमितताओं के लिए उपाय के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह प्रगति और व्यावसायिक उन्नति में स्थायित्व लाता है। सैन्य कर्मियों, पुलिस अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को यही मूंगा पहनने की सलाह दी जाती है।
मोती
चन्द्रमा ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: पर्ल या मोती चंद्रमा का पसंदीदा रत्न तथा कर्क राशि का स्वामी और भावनात्मक स्थिरता और रचनात्मकता का गुणक है। रंग- मोती दूधिया सफेद, नीले, गुलाबी और यहाँ तक कि काले रंग के भी होते हैं। हालांकि ज्योतिष संबंधी उद्देश्यों के लिए सफेद दूधिया मोती को ही प्राथमिकता दी जाती है। गुण- रचनात्मक कलाओं से संबधित लोगों को भी मोती पहनने की सलाह दी जाती है। यह बहुत आवश्यक भावनात्मक स्थिरता प्रदान करता है और साथ ही कई मानसिक बीमारियों को भी ठीक करता है। ज्योतिषियों का मानना है कि यह समतुलित प्रवाह और मूत्र संबंधी बीमारियों के लिए उपचार करने का कार्य करता है तथा इसको धारण करने से सामंजस्यपूर्ण संघ और नए दोस्तों की प्राप्ति होती है।
गोमेद
राहु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: गोमेद रत्न को आमतौर पर राहु ग्रह को शांत करने तथा ग्रंथि से संबधित उपचारों के लिए अनुशंसित किया जाता है। राहु को एक सर्प का नेतृत्व करने वाले असुर के रूप में माना जाता है, जो केतु के साथ मिलकर ग्रहण का कारण बनते हैं। रंग- गोमेद या हेसनोनिट, गहरा पीला, लाल, नारंगी और काला तथा भूरा, शहद के रंग का होता है। गुण- गोमेद को बहुत शक्तिशाली पत्थर माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसको धारण करने वाला व्यक्ति विपत्तियों से सुरक्षा में रहता है तथा नशीली दवाओं, शराब और जुएं से संबधित आदतों से भी मुक्त हो जाता है। त्वचा रोग, छालरोग और मनोविज्ञान के विभिन्न रूपों से राहत प्रदान करता है। गोमेद पहनने वाला व्यक्ति दुश्मनों पर विजय प्राप्त करता है।
लहसुनिया
केतु ग्रह को प्रसन्न करने के लिए धारण करें: लहसुनिया रत्न (बिल्ली की आँख की तरह) को आमतौर पर केतु को शेंत करने तथा ग्रंथि को सुरक्षा प्रदान के लिए धारण किया जाता है। माना जाता है कि केतु एक सर्प के शरीर वाले असुर है जो राहु के साथ मिलकर ग्रहण का कारण बनते हैं। रंग- (लहसूनिया रत्न) का नाम बिल्ली की आँख इस लिए रखा गया है क्योंकि यह देखने में बिल्ली की आँख की तरह लगता है। यह सफेद, भूरा और हरे रंग का भी होता है। गुण- बिल्लियों जैसी आँखों वाला रत्न व्यक्ति के कर्म के परिणामों को नकारात्मक होने से रोकता है। यह आध्यात्मिक मामलों, मनोगत विज्ञान और ज्ञान या मोक्ष में गहरा प्रभाव डालता है। यह नकारात्मक दोषों जैसे कि कालसर्प दोष के प्रभाव को भी कम करता है।