Home / India / गर्भाशय में टीबी: कारण, लक्षण और उपाय

गर्भाशय में टीबी: कारण, लक्षण और उपाय

January 25, 2018
by


गर्भाशय में टीबी: कारण, लक्षण और उपाय

क्षयरोग (टीबी) क्या है?

क्षय रोग (टीबी) एक प्राचीनरोग है जो अभी तक दूर नहीं हो पाया है। यह रोग माइको बैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। आज भी अधिकतर लोग इस रोग का शिकार हो जाते हैं। इस रोग को’ बहरूपिया’ भी कहा जाता है क्योंकि यह रोग कई परिस्थितियों में लक्षणों के साथ उत्पन्न हो जाता है। यह माइको बैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक संक्रमित जीवाणुओं के शरीर में प्रवेश होने के कारण होता है, जो कई प्रकार के कुष्ठ रोगों का कारण बनता हैं – यह रोग मुख्य रूप से हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है।

यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में हर वर्ष टीबी के लगभग 12 लाख नए मामलों का निदान किया जाता है और प्रति वर्ष इस बीमारी के कारण 2.7 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती हैं। संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार, टीबी का प्रकोप 1990 में 211 लाख प्रति वर्ष और 2013 में, 465 लाख प्रति वर्ष कम हुआ है और इसी अवधि के दौरान मृत्यु दर 38 लाख प्रति वर्ष से 19 लाख प्रति वर्ष नीचे आ गई है। फिर भी, क्षय रोग एक ऐसा रोग है जिसमें मल्टी ड्रैग प्रतिरोध (एमडीआर-टीबी) उत्पन्न करने की क्षमता और शरीर के कई अंगों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति होती है, जिससे निपटना बहुत मुश्किल होता है।

गर्भाशय ट्यूबरकुलोसिस क्या है?

गर्भाशय टीबी एक ऐसा रोग है, जो मुख्य रूप से महिलाओं के जननांग अंग जैसे अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और योनि या श्रोणि में आसपास के लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है। पुरुषों में, यह प्रोस्टेट ग्रंथि और टेस्टेस को प्रभावित कर सकता है और यह दोनों जातियों में किडनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग को प्रभावित कर सकता है। यह आम तौर पर संक्रमण के प्रसार का परिणाम है जिससे हमारे शरीर के अन्य भागों के साथ, मुख्य रूप से फेफड़े प्रभावित होते हैं। यह रोग मुख्य रूप से महिलाओं को प्रसव अवधि के दौरान प्रभावित करता है और संयोगवश यह रोग अक्सर बांझपन का कारण बन जाता है।

गर्भाशय टीबी के शुरूआती लक्षण क्या हैं?

गर्भाशय टीबी की प्रारंभिक अवस्थाओं का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। इस रोग का संदेह होने पर, जाँच कराने के लिए अच्छी सलाह की आवश्यकता होती है। गर्भाशय टीबी बांझपन का प्रमुख कारण होता है, यदि महिला को प्राथमिक बांझपन (पहली बार गर्भधारण करने में असमर्थता) उत्पन्न होती है तो इस संदेह को दूर किया जाना चाहिए और अपने परिवार के सदस्यों की भी जाँच करानी चाहिए कि परिवार का कोई भी सदस्य इस रोग से ग्रसित तो नहीं है। कई महीनों या वर्षों से सभी सामान्य स्थितियों में निर्बलता, थकावट, लो ग्रेड फीवर, पेट-संबंधी परेशानी या दर्द, योनि स्राव और मासिक धर्म अनियमितताओं की अच्छी तरह से जाँच करानी चाहिए

गर्भाशय टीबी का निदान कैसे किया जाता है?

शरीर के किसी भी भाग में गर्भाशय टीबी का पता लगाने के लिए ट्यूबरकुलिन त्वचा का परीक्षण करवा सकते हैं। जैसे छाती का एक्स-रे, पैल्विक अल्ट्रासाउंड स्कैन, ग्रीवा स्मीयर परीक्षण और मासिक धर्म रक्त विश्लेषण और जननांग अंगों के लैप्रोस्कोपिक या एंडोस्कोपिक परीक्षण करके स्थिति का पता लगाकर इस रोग का उपचार किया जा सकता है।

गर्भाशय टीबी का इलाज कैसे किया जाता है?

डायरेक्टिव अब्जर्व ट्रीटमेंट के अनुसार, जननांग तपेदिक या टीबी का उपचार 2 चरणों में किया जाता है; प्रारंभिक चरण में 2 महीने तक कम से कम 3 एंटीफंगल टीबी की दवाओं के साथ और इसी क्रम में दूसरे चरण में 4-10 महीने के लिए कम से कम 2 एंटीफंगल टीबी की दवाओं के साथ निरंतर इलाज चलता रहता है और शायद ही, जननांग अंगों में शल्य चिकित्सा उपचार में व इस रोग के विकसित चरणों में प्रतिरोधक दवाओं की आवश्यकता पड़ती है।

यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि उपचार के दौरान आप सही दिशा निर्देशों का पालन कर रहे है। साथ ही साथ निर्धारित (अनुशंसित) अवधि के दौरान नियमित रूप से दवाइओं का सेवन करना चाहिए जिससे एमडीआर-टीबी को विकसित होने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता हैं।

गर्भाशय टीबी को कैसे रोका जा सकता है?

दुर्भाग्यवश, गर्भाशय टीबी का सुनिश्चित व पूर्ण इलाज के बाद भी आज बांझपन की दर बहुत अधिक है। पूर्ण इलाज के माध्यम से गर्भाशय टीबी को शरीर के अन्य भागों को प्रभावित करने से रोका जा सकता है। इसके बचाव का अर्थ यह है कि महिलाओं को युवावस्था में अपने फेफड़ों से संबंधित टीबी के खिलाफ सावधानियाँ बरतनी चाहिए। चूँकि टीबी खांसी और छींक से निकलने वाली बूंदों से फैलती है, इसलिए फेफड़े से संबंधित टीबी के निदान के मामले में उन लोगों से बचना महत्वपूर्ण होता है जिन्हें यह रोग हुआ है। सभी शिशुओं को बीसीजी वैक्सीन अनिवार्य रूप से देना चाहिए और टीबी रोग के स्थानिक क्षेत्रों से आने वालों को जाँच अवश्य करानी चाहिए। गर्भाशय टीबी से प्रभावित लोगों को अपने यौन साथी के साथ सुरक्षित सेक्स तकनीक की सलाह लेनी चाहिए।

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives