Home / India / गुड़ी पड़वा 2018 – खुशियों का त्यौहार

गुड़ी पड़वा 2018 – खुशियों का त्यौहार

February 26, 2018
by


गुड़ी पड़वा 2018 - खुशियों का त्यौहार

गुड़ी पड़वा हिंदुओं का एक मंगल सूचक त्यौहार है। यह मराठी हिंदुओं का बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है, क्योंकि इस दिन परंपरागत रूप से हिन्दू नव वर्ष का आरंभ होता है। गुड़ी पड़वा नामक यह त्यौहार महाराष्ट्र और भारत के अन्य भागों में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा बसंत ऋतु के आगमन का त्यौहार है और यह मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। ‘पड़वा’ शब्द, संस्कृत के प्रतिपदा शब्द से लिया गया है और यह पंद्रह दिनों के चंद्रोदय के पहले दिन का प्रतीक है। वर्ष 2018 में, गुड़ी पड़वा नामक यह त्यौहार 18 मार्च को मनाया जाएगा।

गुड़ी पड़वा का महत्व:

गुड़ी पड़वा का त्यौहार परंपरागत नए साल के रूप में, उम्मीद और आशा का प्रतीक है। इस त्यौहार को बसंत के मौसम और परिपूर्णता का स्वागत करते हुए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा के प्रतिच्छेदन बिंदु से ऊपर होती है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्यौहार मूल रूप से फसलों की उपज का त्यौहार है और देश भर में इसके बहुत से नाम जैसे तेलगू में उगादि, कन्नड़ में युगादि, सिंधी में चेटी चंद और कश्मीरी में नवरेह हैं।

कुछ किंवदंतियों के अनुसार यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना की गई थी, जिसका उल्लेख ब्रह्म पुराण में भी किया गया है। सृष्टि की रचना के बाद इस दिन सतयुग की शुरुआत हुई। पौराणिक रूप सेयह दिन राम द्वारा रावण की पराजय और प्रसन्नतापूर्वक अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा से जुड़ी एक अन्य ऐतिहासिक घटना हूणों पर शकों की जीत है। महान छत्रपति शिवाजी, जो एक मराठा शासक थे, उन्होंने गुडी प्रदर्शन के साथ इस प्रथा की शुरुआत करके इस त्यौहार को मनाया था। तब से लगभग हर मराठी परिवार में यह गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाया जाता है।

गुड़ी की सजावट:

गुड़ी मूल रूप से एक लकड़ी पर चमकीले रंग के कपड़े के साथ आम के ताजे पत्तों की कलियों से सजाई जाती है। इसे अन्य प्रकार की चीजों जैसे चीनी के क्रिस्टल, नीम के पत्तियों, आम के पत्तों और लाल रंग के फूलों की माला का उपयोग करके कपड़े से लपेटकर भी बनाया जाता है। एक चाँदी या ताँबे के बर्तन को लकड़ी और कपड़े पर उलटा करके रखा जाता है, जिससे गुड़ी का निर्माण होता है। गुड़ी को घर के बाहर दाहिनी ओर ऊँचे स्थान पर रखा जाता है, जहाँ से हर कोई इसे देख सके। यह त्यौहार शुभकामना और समृद्धि सहित बुराई के विरुद्ध विजय का प्रतीक है। प्रवेश द्वार पर रंगोली को सजाने के लिए लाल और पीले रंग के सुंदर फूलों का उपयोग किया जाता है।

गुड़ी पड़वा का उत्सव:

हालांकि, विशेष भोजन के बिना कोई भी त्यौहार पूरा नहीं होता है, इसलिए गुड़ी पड़वा कोई अपवाद नहीं है। इस उत्सव को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। पूरन पोली, खीर आदि जैसे व्यंजन इस दिन बनाए जाते हैं। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और मीठे व्यंजनों का आदान-प्रदान करते हैं। एक धार्मिक क्रिया को अपनाते हुए स्नान करते समय शरीर पर तेल लगाकर, ईश्वर से प्रार्थना करते हुए दिन की शुरुआत की जाती है। आमतौर पर मराठी परिवार व्यंजनों को नीम के पेड़ की कड़वी-मीठी पत्तियों, गुड़ और इमली के मिश्रण का उपयोग करके तैयार करते हैं और इसी से अपने दिन की शुरुआत करते हैं, जो रक्त को शुद्ध करने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए बेहतर माना जाता है।

Like us on Facebook

Recent Comments

Archives
Select from the Drop Down to view archives