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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सफर

January 11, 2018
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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सफर

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सफर

वर्तमान में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, जो कि केसरिया, सफेद और नारंगी रंग की क्षैतिज पट्टियों और केंद्र में अशोक चक्र के साथ यथा प्रमाणित दिखता है, एक लंबी समयावधि के बाद इसके रंग और डिजाइन में कई परिवर्तन किए गए हैं। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सफर – पहले यह स्वतंत्रता संग्राम का प्रतिनिधित्व करता था और अब यह स्वतंत्र भारत का प्रतिनिधित्व करता है।

22 जुलाई सन 1947 को, संवैधानिक विधानसभा की बैठक में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अपने वर्तमान स्वरूप में आया। राष्ट्रीय ध्वज 15 अगस्त सन 1947 से 26 जनवरी सन 1950 तक भारत के प्रभुत्व के रूप में फहराया गया और इसके बाद यह गणराज्य भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्थापित किया गया। ध्वज की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात 2:3 है और इसको बनाने के लिए केवल खादी कपड़े का ही प्रयोग किया जाता है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज किसने बनाया है?

भारत का राष्ट्रीय ध्वज लेफ्टिनेंट श्री पिंगली वेंकय्या द्वारा डिजाइन किया गया था।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सफर

सन 1904 में, अस्तित्व में आने वाला पहला भारतीय ध्वज सिस्टर निवेदिता द्वारा डिजाइन किया गया था। कुछ समय के लिए, इस ध्वज को सिस्टर निवेदिता का झंडा भी कहा जाता था। ध्वज के दो रंग थे- लाल और पीला। लाल रंग स्वतंत्रता संग्राम और पीला रंग विजय का प्रतीक था। ध्वज पर बंगाली भाषा में वंदे मातरम् लिखा गया था और इसके पास वज्रा (एक प्रकार का हथियार) और केंद्र में एक सफेद कमल का चित्र भी था।

इसके बाद 7 अगस्त सन 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान चौक में ध्वज को फहराया गया। इस ध्वज में तीन समान क्षैतिज पट्टियाँ या नीले, पीले और लाल रंग के फीते थे। सबसे ऊपरी नीली पट्टी में आठ सितारों के साथ विभिन्न बिंदुओं को दर्शाया गया था, जिसमें कमल का खिलता हुआ फूल अंकित था। बीच की पीली पट्टी में देवनागरी लिपि में वंदे मातरम लिखा गया था। प्रत्येक छोर पर सूर्य और सितारा तथा एक छोटा सा अर्धचंद्र पीले रंग की पट्टी पर मौजूद था।

‘सप्तर्षि झंडे’ को मैडम कामा द्वारा डिजाइन किया गया था। ध्वज को पहली बार पेरिस में और फिर 22 अगस्त सन 1907 को अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस केस्टटगार्ट में फहराया गया था। यह उपरोक्त ध्वज के साथ दिखने में काफी समान है, सप्तर्षि ध्वज की सबसे ऊपरी पट्टी केसरिया रंग की थी,जिसमें एक कमल का फूल और सप्तर्षि को सात सितारों के रूप में दर्शाया गया था।

उस समय उपलब्ध तिरंगा झंडा जिसके कई रूप थे जो उपर्युक्त झंडे के समान थे। इनमें से एक में ऊपरी वाली पट्टी पर आठ कमल के फूल थे, जो भारत के आठ प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते थे।

होम रूल (स्वशासन) आंदोलन के दौरान झण्डा

“होम रूल आंदोलन” के दौरान कलकत्ता में एक कांग्रेस अधिवेशन में ध्वज फहराया गया था। उस समय के दो लोकप्रिय हस्तियों के नाम अर्थात् डॉ.एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक इस ध्वज से जुड़े हुए थे। ध्वज स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई का प्रतीक था। इसमें 9 पट्टियाँ थीं, जिसमें 5 लाल रंग की और 4 हरे रंग की थी। ध्वज के ऊपरी बाएं रंग में यूनियन जैक था। शीर्ष दाएं कोने में अर्धचंद्र और सितारा था। ध्वज के बाकी हिस्सों में सप्तर्षि के स्वरूप में सात सितारों को व्यवस्थित किया गया था।

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के झंडे

इसके बाद, 1921 में गाँधीजी द्वारा ध्वज को स्वीकृत और संशोधित किया गया। यह मूल रूप से आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति द्वारा डिजाइन किया गया था, जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हुए लाल और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों का वर्णन किया गया था। यह डिजाइन आंध्र प्रदेश के बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में अखिल भारतीय काँग्रेस समिति की बैठक के दौरान प्रस्तुत किया गया था। गाँधी जी ने शीर्ष पर सफेद पट्टी और केंद्र में चरखे को जोड़कर ध्वज में कुछ बदलाव किए। संशोधनों के बाद ध्वज की ऊपरी पट्टी सफेद रंग की बीच वाली पट्टी हरे रंग की और सबसे नीचे लाल रंग की पट्टी के साथ केंद्र में चरखा था। इसमें चरखा प्रगति और सफेद चिन्ह भारत में अन्य सभी समुदायों के प्रतीक के रूप में दर्शाया गया था। यह ध्वज काँग्रेस के कार्यकाल के दौरान इस्तेमाल किया गया था लेकिन कांग्रेस कमेटी ने इसे कभी भी मंजूरी नहीं दी थी।

सन 1931 में, सात सदस्यीय ध्वज समिति द्वारा एक अन्य ध्वज का सुझाव दिया गया था लेकिन इसे काँग्रेस समिति ने मंजूरी नहीं दी थी। यह ध्वज केसरिया रंग का था, जिसमें शीर्ष बाएं कोने में लाल-भूरे रंग का चरखा शामिल था।

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ने औपचारिक रूप से 6 अगस्त सन 1931 को एक झंडा अपनाया और 31 अगस्त सन 1931 को इसे फहराया। इस दिन को  ध्वज दिवस के रूप में मानाया जाता था। यह वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज की तरह था, लेकिन इसके केंद्र में चरखा था।

वर्तमान दिवस राष्ट्रीय ध्वज

हमारा राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई को सन 1947 में “उत्पन्न” हुआ था और 15 अगस्त, सन 1947 को परिषद सभा में फहराया गया था। जैसा कि हम सभी जानते हैं, झण्डे के केंद्र में नीले अशोक चक्र के साथ केसरिया, सफेद और हरे रंग की तीन क्षैतिज धारियां हैं। चक्र में एक दिन के 24 घंटों और हमारे देश की निरंतर प्रगति को दर्शाया है। अशोक चक्र या “कानून का पहिया“ जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मौर्य सम्राट अशोक के न्याय का प्रतीक था। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के झंडे से राष्ट्रीय ध्वज को अलग करने के लिए चरखे को चक्र द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।

ध्वज संहिता

ध्वज संहिता के अनुसार, भारत के नागरिकों को किसी भी दिन अपने घरों और कार्यालयों पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन इस ध्वज संहिता को 26 जनवरी सन 2002 को संशोधित किया गया था और नए ध्वज संहिता के अनुसार, भारत के सभी नागरिक अब वर्ष के किसी भी दिन राष्ट्रीय ध्वज को फहरा सकते हैं। लेकिन ध्वज संहिता में ध्वज के लिए लिखे निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।

झण्डा विनिर्माण

विनिर्माण मानक भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) समिति द्वारा निर्धारित किया गया था। इसके साथ ही, समिति द्वारा उत्थान नियम भी निर्धारित किए गए थे। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज बनाने के लिए केवल खादी कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है और दिशा-निर्देशों के अनुसार डाई, रंग, धागे को सम्मिलित करना चाहिए।