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आइए हम पर्यावरण के अनुकूल और बीमारी से मुक्त दीवाली मनाने के प्रति प्रतिज्ञाबद्ध बनें

November 3, 2018
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आइए हम पर्यावरण के अनुकूल और बीमारी से मुक्त दीवाली मनाने के प्रति प्रतिज्ञाबद्ध बनें

प्रकाश के त्योहार के रूप में प्रसिद्ध दिवाली या दीपावली, भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है जिसे बहुत ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हिन्दूओं के चंद्र कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के 14 वें दिन मनाया जाता है,ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास को पूरा करके अयोध्या वापस लौटे थे। अयोध्या के लोगों ने भगवान राम को वनवास पूरा करके वापस लौटने की खुशी में अपने घरो की सफाई की, एक दूसरे को मिठाई बाँटी और मिट्टी के दीपों से प्रकाश करके, इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया। इस तरह से दीपावली दो नामों से मिलकर बना है, दीप जिसका अर्थ है – मिट्टी के दिए और वली जिसका अर्थ है-शृंखला। पिछले कुछ वर्षों से, इस त्योहार में पटाखे भी शामिल किए गए हैं।

पर्यावरण के अनुकूल दिवाली मनाने के 10 तरीके-

दुर्भाग्यवश, वर्तमान समय में दिवाली ने अपने वास्तविक अर्थ को खो दिया है और इस समय इस त्योहार में भगवान राम के आने की खुशी में पटाखे दगाए जाते हैं। बाजार में विभिन्न तरह के पटाखे आसानी से उपलब्ध होते हैं जो पर्यावरण और हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं, इसकी परवाह किए बिना ही हम लोग हजारों रुपये पटाखों को खरीदने पर खर्च कर देते हैं। यहाँ पर पटाखों के कुछ बुरे प्रभाव बताये गये हैं, जिनके बारे में जानकारी होना आवश्यक है –

पर्यावरणीय खतरे

बॉम्बे नेशनल हिस्ट्री सोसाइटी लैबोरेटरी, मुंबई के अनुसार पटाखों में निम्न घटक होते हैं –

  • कैडमियम, सीसा, तांबा, मैंगनीज, जस्ता, सोडियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे अत्यधिक विषैली भारी धातुऐं।
  • उपरोक्त धातुओं में से कुछ नाइट्राइट और नाइट्रेट के रूप में होती हैं।
  • सल्फेट और फॉस्फेट

उपरोक्त रसायन निम्नलिखित तरीकों से आम आदमी के लिए, वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं:

  • बेरियम, कैडमियम, सोडियम, बुध, नाइट्रेट और नाइट्राइट नामक धातुऐं मुख्य वायु प्रदूषक हैं।
  • पटाखे बनाने के लिए उपयोग किए गए रसायनों के कारण उनसे उत्पन्न होने वाला धुआं, वायु पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
  • धुएं में छोटे- छोटे धातुओं के कण होने के कारण धुंध उत्पन्न होती है।
  • दीवाली के दौरान हानिकारक पार्टिक्यूलेट सामग्री आरएसपीएम हवा में मिल जाती है जिससे यह हवा स्वांस के द्वारा मनुष्य के अंदर पहुँचकर मनुष्य को बीमार बना देती है।
  • पटाखें जलाने के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है। जो ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है।
  • दिवाली के दौरान पेपर, प्लास्टिक्स और आतिशबाजी कवर के रूप में बहुत ज्यादा कचरा भी इकट्ठा हो जाता है,जो प्राकृतिक तरीके से सड़नशील नही होता है जिससे भूमि प्रदूषण होता है।
  • वर्तमान के अध्ययनों से यह पता चला है कि रासायनिक कण जल निकायों को भी दूषित करते हैं।

रासायनिक कण मिट्टी में शामिल होकर भू-जल प्रदूषण का कारण बनते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पानी, उपयोग के लिए अयोग्य हो जाता है।

ध्वनि प्रदूषण

अत्यधिक शोर अवांछित ध्वनि है और इसे डेसीबल (डीबी) से मापा जाता है। यह वास्तव में खतरनाक प्रदूषण है जो पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है।पटाखों से जो ध्वनि उत्पन्न होती है वह मानव कान के लिए सहनीय होने वाले डेसीबल से बहुत अधिक होती हैं। दिवाली के दौरान डेसीबल का स्तर 125 डीबी तक बढ़ जाता है जो कि सैन्य जेट द्वारा उत्पन्न की गई ध्वनि के बराबर होता है। सरकार द्वारा निर्धारित शोर का स्तर दिन के समय 45 डीबी और रातके समय केवल 55 डीबी होता है, लेकिन इन सीमाओं को काफी हद तक पार कर दिया जाता है, जो पर्यावरण के खतरों का कारण बन जाता है।

स्वास्थ्य के लिए खतरनाक

दिवाली एक हर्षोल्लास और खुशियों वाला उत्सव है, लेकिन अब निम्नलिखित कारणों से यह बीमारियों का स्रोत बन गया है:

  • जलते हुए पटाखे से निकलने वाले कण, हवा में मिल जाते हैं, जिसके कारण त्वचा, आँख, गला और नाक में एलर्जी जैसी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है।
  • पटाखों से निकलने वाले कण, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की वजह से ब्रोन्काइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियां का कारण बनते हैं।
  • हाल के दिनों में, फेफड़ों से संबंधित रोगों से पीड़ित लोगों ने पहाड़ी स्थानों या अस्पतालों में जाकर शरण लेना शुरू कर दिया है।
  • धूम्रपान की वजह से 6 से 16 वर्ष की आयु के ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्वांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित होते हैं।
  • पटाखों में इस्तेमाल होने वाली भारी धातुएं अवशेष छोड़ती हैं जो स्थायी रूप से लोगों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं।
  • पटाखों से उत्पन्न होने वाली सल्फर डाइऑक्साइड पौधे की प्रोग्रेस और उनकी उत्पादकता को भी प्रभावित करती हैं।
  • पटाखे जलाने की प्रक्रिया में उत्पादित कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त में हीमोग्लोबिन को आने से रोकता है जिससे रक्त में ऑक्सीजन के प्रवाह की प्रक्रिया में रूकावट पैदा होती है। इस प्रकार से शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है।
  • ध्वनि प्रदूषण के परिणाम- सुनने में तकलीफ, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और नींद विकार जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं।
  • पटाखों में इस्तेमाल किए गए रसायन से अप्रत्यक्ष रूप से पेट दर्द जैसी समस्याऐं उत्पन्न होती हैं, क्योंकि अगर भोजन करने से पहले हाथों को ठीक तरह से धोया नहीं जाता है तो यह भोजन जहर का कार्यकर सकता है।
  • असुरक्षित प्रथाओं के परिणामस्वरूप कई जलने जैसी चोटें लग सकती हैं जिनसे बचा जा सकता हैं।
  • पटाखे सामान्यतः हाथ से बनाये जाते हैं और लोग हानिकारक रसायनों के संपर्क में रहते हैं, जिसके कारण स्वास्थ्य सम्बंधी हानि हो सकती है।अधिकांशतः कारखानों में युवा बच्चों को रोजगार देकर इसे और भी भयानक बना दिया गया है।
  • अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि पक्षियों और जानवरों पर पटाखों का विपरीत असर पड़ा है। मनुष्यों की तुलना में कुत्तों और बिल्लियों पर इसका अधिक प्रभाव पड़ा है। पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (पीईटीए), एक गैर-लाभकारी संगठन के अनुसार, जनता के लिए जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। उपरोक्त नकारात्मक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
  • 125 डीबी के शोर स्तर से अधिक के पटाखों के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाई गई है।
  • 00 बजे से 6.00 बजे तक पटाखे जलाने पर रोक लगाई गई है।
  • अस्पताल, शैक्षणिक संस्थानों और पूजा के स्थानों पर पटाखे जलाने पर रोक लगाई गई है।

पारिस्थिति के अनुकूल दिवाली

पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होकर हम दीवाली के महत्व को पुनः स्थापित करें। दिवाली में मिट्टी के दीपक जलाएं, एक-दूसरे में मिठाई बांटकर एकजुटता के साथ इस त्योहार को मनाएं। यह समय दीपावली में पर्यावरण के अनुकूल जाने का है। प्रदूषण मुक्त पटाखे भी उपलब्ध हैं, हालांकि ये बहुत महंगे हैं। इस साल दिवाली में हम पटाखों का उपयोग कम से कम मात्रा में करके पर्यावरण को अनुकूल बनाने में मदद करेंगे। दिवाली की शाम को समुदाय लेजर शो के लिए किसी भी विकल्प को चुन सकते हैं। पटाखे पर रूपये खर्च करने के बजाय, उसी पैसे का उपयोग घर में पूंजी निवेश करने या किताबें और नए कपड़े खरीदने के लिए किया जा सकता है। इस दीवाली आप पाठ्य पुस्तकें, नए कपड़े और स्वादिष्ट भोजन को दान करके इस उत्सव का आनंद लें।

आशा है, कि सभी लोग खुशियों के पर्व दीपावली को पर्यावरण मुक्त बनाएंगें! आप सभी पाठको को दिवाली की शुभकामनाएं।