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भयंकर आग आपदाएं, जो भारतवासियों को आज भी याद हैं

January 11, 2018
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भयंकर आग आपदाएं, जो भारतवासियों को आज भी याद हैं

14 फरवरी 2016 की शाम को, जब पूजा सावंत गिरगांव चौपाटी समुद्र तट पर ‘मेक इन इंडिया’ सांस्कृतिक कार्यक्रम में अभिनय प्रदर्शन कर रही थी, तो उस समय मंच के नीचे अचानक आग लग गई थी। अरब सागर से आने वाली हवाओं के कारण आग तेजी से फैल गई और मिनटों में पूरा क्षेत्र काले धुएं में घिरा गया था और आग के कारण रात में आसमान नारंगी रंग की तरह प्रदीप्तिमान हो रहा था।

हालांकि, इस भयंकर आग आपदा में कोई भी प्रतिभागी और दर्शक क्षतिग्रस्त नहीं हुए थे और न ही हताहतों की कोई सूचना मिली थी। बचाव अभियान बिना किसी लापरवाही के जारी किया गया था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनका परिवार व गणमान्य व्यक्ति तथा प्रसिद्ध हस्तियाँ शामिल थीं, जो सुरक्षित स्थान पर पहुँचने में सफल रहे थे। इस कार्यक्रम को आयोजित करने से पहले अग्नि परीक्षण के साथ-साथ शाम के समय आपदा प्रबंधन योजना भी तैयार की गई थी। गणमान्य व्यक्तियों और कलाकारों को विभिन्न निकास द्वार के बारे में पता था और उन्हें इस प्रकार के संकट के समय में बिना किसी बाधा रहित स्थान पर पहुँचने के बारे में भी विदित था। आग बुझाने के लिए 14 फायर टेंडर और 10 पानी के टैंकरों का उपयोग किया गया था।

यद्यपि यह भयंकर आग आपदा ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के लिए एक बड़ी नाकामयाबी थी, लेकिन आग से पीड़ित व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए किया गया बचाव अभियान काफी सराहनीय था। यहाँ तक कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भी इस बचाव अभियान की प्रशंसा की थी।

यहाँ कुछ भारत में हुई भयंकर आग आपदाओं का विवरण प्रस्तुत हैं, जो आने वाले वर्षों में भी भारत वासियों को याद रहेंगी:

  1. उपहार अग्निकांड – दिल्ली

13 जून 1997 को फिल्म बॉर्डर की स्क्रीनिंग के दौरान, दिल्ली के ग्रीन पार्क उपहार सिनेमा में आग लग गई थी और यह आग भारत के इतिहास की सबसे भयंकर व दु:खद घटनाओं में से एक थी, क्योंकि इस आपदा में लगभग 59 लोगों की मौत हो गई थी। यह मौते अंदर फँसे लोगों को सांस न मिलने के कारण दम घुटने की वजह से हुई थी और आग लगने के कारण मची भगदड़ के परिणाम स्वरूप कम से कम 103 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

आपातकालीन क्रियात्मक पीए प्रणाली और आपातकालीन लाइटों, फुट लाइटों और निकासी लाइटों के अभाव तथा बंद निकासी गलियारों और साधारण निकास द्वार और अनाधिकृत दुकानों के कारण निकास द्वार की अड़चने, इस घटना के प्रमुख कारण थे। अग्निशमन यंत्रों के खराब रखरखाव और इनकी अनुपस्थिति ने हालातों को और अधिक खराब कर दिया था।

  1. एएमआरआई अग्निकांड कोलकाता

एक और भयंकर आग आपदा, 9 दिसंबर 2011 को दक्षिण कोलकाता के ढकुरिया में स्थित एएमआरआई अस्पताल में हुई थी। अस्पताल में यह भीषड़ अग्निकांड लगभग शाम 3 बजे हुआ था। इमारतों के तहखानों में आग पकड़ने वाले कुछ ज्वलनशील पदार्थ मौजूद थे और जिसमें शॉर्ट सर्किट की वजह अस्पताल में आग काफी तेजी से फैल गई थी। एसी प्रणाली केन्द्र में होने के कारण पूरे अस्पताल में धुँआ फैल गया था तथा यह अस्पताल के अंदर अस्थिरता पैदा कर रहा था, जिसके कारण अस्पताल के कर्मचारियों व अन्य सदस्यों सहित लगभग 95 लोगों की मृत्यु हो गई थी।

अस्पताल एएमआरआई में आग लगभग 3 बजे लगी थी और फायर टेंडरों (आग बुझाने वाले वाहन)) को 4 बजे बुलाया गया था, लेकिन ये फायर टेंडर 5 बजे आए थे। हालांकि इस बीच स्थानीय युवा कई लोगों को बचाने में सफल रहे थे। निर्माण योजना के ब्लूप्रिंट (खाका) के अभाव के कारण फायर ब्रिगेड द्वारा बचाव अभियान भी बाधित हुआ था।

  1. स्टीफन कोर्ट अग्निकांड– कोलकाता

23 मार्च 2010 को पार्क स्ट्रीट में, स्टीफन कोर्ट की ऐतिहासिक इमारत में आग लग गई थी। जिसमें लगभग 42 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके अतिरिक्त फायर ब्रिगेड को वहाँ पहुँचने में 80 मिनट का समय लगा था तथा वहाँ आग से बच निकलने का कोई मार्ग भी नहीं था, क्यों कि इमारत की छत से निकलने वाले रास्ते के साथ-साथ बरामदे का गेट भी बंद था। इसलिए इमारत की ऊपरी मंजिल के लोगों की मौत हो गई थी, क्योंकि वह लोग रास्ता न होने के कारण वहीं फँस गए थे। लोगों का मानना था कि बचाव के लिए स्काई लिफ्टों, का उपयोग किया जाना चाहिए था और बेहला तथा साल्ट लेक बहुत दूर संग्रहीत थीं तथा बचाव अभियान की टोली स्थान पर डेढ़ घंटे में पहुँची थी, जिसके कारण अधिक लोगों की मौत होगई थी। यह इमारत पुरानी थी और उचित रखरखाव न होने के कारण अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था।

  1. श्रीरंगम मैरिज हाल अग्निकांड-तमिलनाडु

यह अग्निकांड 23 अगस्त 2004 को श्रीरंगम में पद्मप्रिया मैरिज हॉल में एक विवाह समारोह के दौरान हुआ था। यह आग वीडियो कैमरे में लगाने वाले एक विद्युत तार में शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी थी। इस आग में दूल्हा सहित 57 लोगों की मृत्यु हो गई थी। अनाधिकृत अस्थायी छप्पर तथा उसी तरफ बिजली की अस्थायी लाइने भी आग लगने का एक प्रमुख कारण थी।

  1. कुंभकोणम स्कूल अग्निकांड – तमिलनाडु

यह अग्निकांड 16 जुलाई 2004 को तंजावुर जिले के कुंभकोणम स्कूल में हुआ था और इस आग में लगभग 94 स्कूली बच्चों की मृत्यु हो गई थी। यह आग प्राइमरी स्कूल, प्राथमिक स्कूल और हाई स्कूल में लगी थी, जो अन्य आवासीय संपत्तियों द्वाराचलाए जा रहे थे। इसस्कूल में खुली जगह का अभाव व पास-पास स्थित कक्षाएं और बाहर निकलने वाला छोटा गेट तथा छप्पर और वेंटिलेशन (वायु-संचार) का अभाव बच्चों की मौत का प्रमुख कारण थे। स्कूल की कम जगह में 900 बच्चे उपस्थित थे और आपदा प्रबंधन योजना मौजूद न होने के कारण बचाव अभियान बहुत मुश्किल था, इसलिए उस आग में लगभग 94 मासूम जिंदगियाँ समाप्त हो गई थीं।

  1. मंडी डबवाली अग्निकांड– हरियाणा

यह अग्निकांड भारत के इतिहास की सबसे भयंकर आग दुर्घटना थी। यह हादसा 24 दिसंबर 1995 को डबवाली मंडी में बासों से निर्मित पंडाल (तम्बू) में आग लगने के कारण हुआ था, जहाँ स्थानीय डीएवीपी स्कूल के बच्चे वार्षिक समारोह में प्रतिभागिता निभा रहे थे। समारोह में भाग लेने वाले व आए लोगों पर जला हुआ पंडाल गिर गया, जिससे वह पूरी तरह से झुलस गए। इस आग में लगभग 300 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें ज्यादातर स्कूली बच्चे थे। इस दुर्घटना में लगभग 100 लोग घायल हो गए थे, जबकि 70 से 80 लोग बुरी तरह से झुलस गए थे। इस समारोह के लिए बनाए गए पंडाल की संचरना चौकोर थी, जिसमें केवल एक ही छोटा द्वार था, जिसके माध्यम से बाहर निकला जा सकता था। यह आग शार्ट सर्किट की वजह से लगी थी।

सुरक्षा उपाय-

प्रत्येक व्यक्ति को विभिन्न आपदाओं से बचाव के लिए उचित प्रबंधन योजनाओं को अपनाना होगा, क्योंकि इससे बचाव अभियान अधिक प्रभावशाली होगा, जैसा कि मुम्बई में देखा गया था।

बचाव के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं:

  • किसी भवन या इमारत को बनवाते समय सुरक्षात्मक सीमा पार नहीं करनी चाहिए।
  • अस्थायी संरचना (जैसे पंडाल) में समारोह की मेजबानी करने के लिए, उस स्थान पर फायर ब्रिगेड और एक एम्बुलेंस का निर्धारण जरूर कर लेना चाहिए।
  • किराएदारों तथा घर के निवासियों को आग के व्यपस्थापन के बारे में पता होना चाहिए।
  • किराएदारों तथा घर के निवासियों को द्वार (गेट) और अग्निशमन यंत्र के स्थान के बारे में पता होना चाहिए।
  • आग बुझाने वाले यंत्रों को नियमित रूप से अपनी इमारतों या भवनों में रखना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर वह आसानी से प्राप्त हो सकें।
  • यदि इमारत में कोई खतरनाक (जलने योग्य) सामग्री उपलब्ध है, तो उन पदार्थों को निर्धारित मानदंडों और नियमों के अनुसार ठीक से संग्रहीत करना चाहिए।